
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्वारंटाइन में रहकर कार्य करते हुए अपने संसदीय क्षेत्र ऊधमपुर में कोविड प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा की
उन्होंने कहा कि 6 जिलों ऊधमपुर, कठुआ, रियासी, रामबन, डोडा एवं किश्तवाड़ में कोविड प्रबंधन बहुत हद तक नियंत्रण में है
टीकाकरण तेज गति से आगे बढ़ रहा है
कोविड-19 संक्रमण होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद क्वारंटाइन में रहकर काम करते हुए, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज अपने लोक सभा क्षेत्र, ऊधमपुर के संबंधित जिला प्रशासन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कोविड प्रबंधन के स्थिति समीक्षा की।
इस बैठक का आयोजन वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किया गया, क्योंकि करोना संक्रमण के हालिया प्रकरण के बाद सिंह को अभी कोविड के लिए नकारात्मक परीक्षण कराना बाकी है और वे अभी किसी के साथ शारीरिक रूप से बैठक या बातचीत नहीं कर रहे हैं।
बैठक में उनके लोकसभा क्षेत्र के छह मुख्य जिलों अर्थात् उधमपुर, कठुआ, रियासी, रामबन, डोडा और किश्तवाड़ को शामिल किया गया। इस बैठक में भाग लेने वाले लोगों में संबंधित डीडीसी अध्यक्ष, संबंधित उपायुक्त, संबंधित नगर अध्यक्ष, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और संबंधित सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य शामिल हैं। बैठक के दौरान, एक-एक करके प्रत्येक जिलों के साथ अलग-अलगसंवाद किया गया।
बैठक के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर बल दिया कि कोविड के खिलाफ लड़ाई को सामूहिक रूप से लड़ा जाना चाहिए और इसके लिए जबकि स्वास्थ्य और प्रशासनिक प्रबंधन जरूरी है, समुदायिक भागीदारी और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी के बिना सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। उन्होंने सामाजिक सरोकार वाले मुद्दों का समाधान मानवीय और संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाते हुए किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा, यहां तक कि अगर एक भी रोगी को ऑक्सीजन वाले बिस्तर की आवश्यकता होती है लेकिन वह नहीं मिल पाता है, तो वह समाज के लोगों में अधिक असंतोष और दहशत उत्पन्न करेगा, उन सौ अन्य रोगियों की तुलना में जो उपचारित किए जा चुके हैं, स्वस्थ हो चुके हैं और वापस अपने घर जा चुके हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में अनेक टेलीफोन हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध होने चाहिए, जो कि चालू अवस्था में हों और जरूरतमंद लोगों को जवाब देने और मार्गदर्शन करने के लिए हमेशा उपलब्ध रहें। उन्होंने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि जब ये हेल्पलाइन एक बार चालू हो जाएं तो इनका प्रचार जनता के बीच व्यापक रूप से किया जाना चाहिए, क्योंकि कई बार जरूरतमंद लोग भ्रम और दहशत की स्थिति में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिस्तर, ऑक्सीजन या दवा के लिए अपनी आवश्यकताओं को पोस्ट करना शुरू कर देते हैं, जहां पर उनकी समस्याओं का हमेशा समाधान नहीं मिलता है लेकिन इसके विपरीत सामान्य रूप से दहशत का माहौल उत्पन्न हो जाता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे और उनके कार्यालय के कर्मचारीगण नियमित रूप से दैनिक आधार पर सभी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के संपर्क में रहते हैं और जबकभी आवश्यकता होती है, उन्हें मध्यवर्तन के लिए संपर्क किया जा सकता है, भले ही वे वर्तमान में पोस्ट-कोविड के बाद आइसोलेशन में हैं।
बैठक के दौरान डॉ जितेंद्र सिंह को बताया गया कि सभी 6 जिलों में कोविड प्रबंधन कुल मिलाकर बहुत हद तक नियंत्रण में है और इस संबंध में सामाजिक स्तर पर भी ज्यादा शिकायतें प्राप्त नहीं हुई है। उन्हें बताया गया कि सभी 6 जिलों में मृत्यु दर कुल मिलाकर 1 प्रतिशत या उससे कम रही है। इन सभी जिलों में कोविड की सकारात्मकता दर भी कुल मिलाकर 2.5% से 3% के आसपास रही है, ऊधमपुर जिले को छोड़कर जहां पर संभवतः उच्च सकारात्मकता दर दर्ज की गई है।बैठक के दौरान उन्हें यह भी बताया गया कि जहां रामबन में ऑक्सीजन प्लांट जल्द ही चालू हो जाएगा, वहीं डोडा में ऑक्सीजन प्लांट पहले से ही पूरा हो चुका है और किश्तवाड़ में यह पूरा होने वाला है।
टीकाकरण की स्थिति के बारे में उन्हें यह बताया गया कि इन सभी जिलों में अब तक केवल 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया गया है, लेकिन यह कार्य अच्छी तरह से चल रहा है। रामबन में अब तक 80 से 90 प्रतिशत, कठुआ में 60 प्रतिशत से ज्यादा और किश्तवाड़ में 50 प्रतिशत से ज्यादा टीकाकरण किया जा चुका है। इन सभी जिलों में वेंटिलेटर की स्थिति बहुत हद तक संतोषजनक है, हालांकि कुछ मामलों में इंटुबैशण को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित लोगों का अभाव है।