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Sher-e-Kashmir Stadium: इसी स्टेडियम में होगा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन, जानें क्या खास बात है इसकी

Sher-e-Kashmir Stadium: इसी स्टेडियम में होगा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन, जानें क्या खास बात है इसकी

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कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन 30 जनवरी को कश्मीर में होने वाला है. इस यात्रा के समापन पर राहुल गांधी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक भव्य रैली करेंगे.

लेकिन हम यहां आपको इस क्रिकेट स्टेडियम के बारे में रोचक जानकारी देने जा रहे हैं.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन

श्रीनगर: राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक भव्य रैली के दौरान लोगों को संबोधित करेंगे. इस रैली में जहां कांग्रेस के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता हिस्सा लेंगे, वहीं अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे. यह रैली भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर हो रही है. रैली के आयोजन स्थल शेर कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम का अपना एक अलग इतिहास है, जिसके चलते यह अपनी एक अलग पहचान रखता है.

आइए एक नजर डालते हैं, शेर कश्मीर स्टेडियम श्रीनगर के ऐतिहासिक बिंदुओं पर

वर्ष 1983 में जब विश्व चैंपियन भारत वेस्टइंडीज के खिलाफ क्रिकेट मैच के लिए इस स्टेडियम में आया था, तो प्रशंसक उत्साहित दिखे, लेकिन बाद में वेस्टइंडीज के लिए खुशी मनाई. विश्व कप ट्रॉफी जीतने और वेस्टइंडीज को हराने के बाद, भारतीय टीम को घाटी के स्टेडियम में शानदार स्वागत की उम्मीद थी, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल विपरीत. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने अपनी पुस्तक ‘रन एंड रन्स’ में लिखा कि ‘हार के बाद हूट किया जाना समझ में आता है, लेकिन यह अविश्वसनीय था.’

उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा कि ‘इसके अलावा, भीड़ में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले कई लोग थे, जो हमें भ्रमित कर रहे थे, क्योंकि हम वेस्टइंडीज के साथ खेल रहे थे, न कि पाकिस्तान के साथ. सच कहूं तो, यह पूरी भीड़ नहीं थी, बल्कि इसके कुछ हिस्से थे. लेकिन ये तबके सबसे अधिक मुखर थे और इसलिए ऐसा लगा कि ज्यादातर भीड़ हमारे खिलाफ है.’ बाद में एक समूह ने पिच पर आक्रमण भी किया और उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की.

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जानकारी के अनुसार इस समूह में शब्बीर अहमद शाह शामिल था, जो बाद में कश्मीरी अलगाववादी नेता बना. इसके बाद 1986 में शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया. भीड़ उस दिन उत्साहित थी और यह तब हुआ जब ऑस्ट्रेलिया ने मैच जीत लिया. साथ ही, सोनावर में शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट ग्राउंड गंभीर राजनीतिक भाषणों का भी गवाह रहा है, चाहे वह पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हों या मनमोहन सिंह.

स्टेडियम हर उस शख्स के बयानों का गवाह बना, जिसने कश्मीर की ‘जख्मी आत्मा’ को ठीक करने की बात की है. यह 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का भी हिस्सा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें कश्मीर पर किसी की सिफारिश से परेशान नहीं होना चाहिए. इसी स्टेडियम में 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी के दिवंगत संस्थापक मुफ्ती मुहम्मद सईद का जनाजा भी देखा गया था. 2017 में यह वही क्रिकेट का मैदान था, जहां से जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र को कड़ी नसीहत दी थी.

तब महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अलगाववाद एक ऐसा विचार है, जिसे मारा या कैद नहीं किया जा सकता है. इस बार उसी पिच पर राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का समापन मायने रखता है. यह विशेष रूप से तब है, जब घाटी में राजनीतिक दलों द्वारा महसूस की जाने वाली सरकार की नीतियों के लिए जमीन पर न्यूनतम विरोध होता है. कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कश्मीरी नेताओं में उत्साह साफ देखा जा सकता है.

विश्लेषकों का मानना है कि यात्रा कश्मीरी राजनीतिक नेताओं के लिए लंबे समय से जमे हुए क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य में खुद को फिर से स्थापित करने का पहला बड़ा मंच है. शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में राहुल गांधी का भाषण कश्मीरी राजनेताओं को कुछ प्रोत्साहन देगा, जो केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमले का सामना कर रहे हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ, जब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू के लखनपुर में कांग्रेस नेता और अपने दिवंगत मित्र राजीव गांधी के पुत्र की अगवानी की.
फारूक अपने दोस्त के बेटे का स्वागत करने के लिए जम्मू से लखनपुर जाने वाली बस में चढ़ते हैं, जिन्होंने “नफरत के बाजार में प्यार की दुकान” खोलने का विकल्प चुना है. इसके अलावा, स्टेडियम का नाम शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के नाम पर रखा गया है. दिलचस्प बात यह है कि शेख का जन्मदिन अब सार्वजनिक अवकाश नहीं है और उनका नाम पुलिस कर्मियों के लिए यूटी के वीरता पुरस्कार में भी नहीं है.

Ashish Sinha

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