
रायपुर, बैकयार्ड कुक्कुट इकाई योजना के तहत बस्तर संभाग की स्व सहायता समूह की महिलाएं बड़ी मात्रा में अण्डों का उत्पादन कर रही है। समूहों द्वारा राज्य सरकार की सुपोषण योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में अण्डों की बिक्री कर आर्थिक रूप मजबूत हो रहीं है।
पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के आर्थिक उन्नयन के लिए अनुदान पर बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना संचालित है। इस योजना की इकाई लागत 3000 रूपए ह,ै जिसमें 28 दिवसीय 45 कुक्कुट-बतख चूजे अथवा 80 बटेर चूजे प्रदाय किये जाते है। योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं अनु जनजाति के हितग्राहियों को 90 प्रतिशत अर्थात 2700 रूपए का अनुदान और सामान्य वर्ग के लिये 75 प्रतिशत अर्थात 2250 रूपए का अनुदान दिया जाता है। इस योजना में पक्षियों के पालन पोषण, रख-रखाव तथा उन्हें रखने के लिए अलग से राशि की आवश्यकता नहीं होती। हितग्राहियों के आवास में ही छोटे स्थान पर या बाड़े में इन पक्षियों का रहना हो जाता है। प्रदाय किये जाने वाले चूजों से 5 माह पश्चात औसतन 10 से 12 अण्डे प्रतिदिन उत्पादित होते हैं, जो लगभग 10 रुपए प्रति नग के हिसाब से विक्रय किये जाते है। इसी तरह 3 माह की उम्र में पक्षियों का औसत वजन लगभग दो से ढाई किलो का हो जाता है, जिसे सात से आठ सौ रुपये के भाव से बेचा जाता है। इस योजना से प्रति इकाई से औसतन 25 हजार वार्षिक लाभ प्राप्त होता है।
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5.17 लाख रूपए की अनुदान से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 15000 हितग्राहियों तथा सामान्य वर्ग के 4977 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हितग्राही अपने नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था से संपर्क कर सकते है।