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कांग्रेस के लिए ‘लोकतंत्र के वसंत’ की चाबी 48 लोकसभा सीट वाले महाराष्ट्र के पास

कांग्रेस के लिए ‘लोकतंत्र के वसंत’ की चाबी 48 लोकसभा सीट वाले महाराष्ट्र के पास

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मुंबई। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है और वह 2024 में 2004 के अपने प्रदर्शन को दोहराने का सपना देख रही है – इस बार देश में ‘लोकतांत्रिक वसंत’ के रूप में।

इस बुलंद महत्वाकांक्षा को हकीकत में उतारने के लिए महाराष्ट्र 2024 में राष्ट्रीय राजनीति और सरकार गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा क्योंकि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के बाद निचले सदन में सबसे ज्याद 48 सांसद इसी राज्य से होते हैं।

पिछले चार आम चुनावों में जब कांग्रेस ने समान विचारधारा वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ साझेदारी में लड़ाई लड़ी थी, 2004 में (24 सीटों के साथ) इसने अच्छा प्रदर्शन किया और इसे 2009 में 25 सीट पर पहुंच गई।

इसके बाद 2014 में ‘मोदी की लहर’ में पार्टी ध्वस्त हो गई। कांग्रेस और एनसीपी को मिलाकर केवल छह सीटें मिलीं। यह 2019 में घटकर सिर्फ पांच रह गई।

हालांकि, 2024 में स्थिति काफी अलग होगी क्योंकि मूल शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ लिया है और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस-एनसीपी के साथ शामिल हो गई है। भाजपा शिवसेना से अलग हुए शिंदे गुट के साथ चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।

शिवसेना (उद्धव गुट) कोई छोटी-मोटी सहयोगी नहीं है। उसका राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड दुर्जेय रहा है। (अविभाजित) शिवसेना ने 2019 और 2014 में 18-18 सीटें (2019), 2009 में 11 और 2004 में 12 सीटें जीती थीं – बेशक हमेशा बिग बॉस भाजपा के साथ उसकी साझेदारी रही थी।

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान ने कहा, भाजपा सरकार सभी मोचरें- महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, साम्प्रदायिक स्थिति, विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर पूरी तरह से विफल रही है। लोग नाराज और चिंतित हैं। यह स्पष्ट है कि ‘नफरत की सांप्रदायिक राजनीति’ देश में अब और नहीं चलेगी।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रत्नाकर महाजन ने कहा, कर्नाटक ने संकेत दिया है कि भाजपा का ‘गेम प्लान’ लोगों की समझ में आ गया है। भाजपा के पास न तो कोई समाधान है और न ही समस्याओं को हल करने की क्षमता है, इसलिए यह हर चुनाव में सांप्रदायिक हंगामा भड़काती रहती है। 2024 में लोग भाजपा द्वारा फैलाए गए धार्मिक उन्माद की परवाह किए बिना शांति विकास और प्रगति के लिए मतदान करेंगे।

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राज्य कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने कहा, भाजपा द्वारा फासीवादी, निरंकुश, साम्प्रदायिक शासन थोपने का प्रयास भारत के लोकतंत्र को नष्ट करने का निश्चित नुस्खा है। लोकतंत्र केवल धर्मनिरपेक्षताके साथ काम कर सकता है जहां सभी समान हैं। लेकिन ये ‘हिंदुत्व’ ताकतें देश के धर्मनिरपेक्ष लोकाचार पर सीधे हमला कर रही हैं। अब सभी दलों को लोकतंत्र को निरंकुशता से बचाने के लिए अपने वैचारिक मतभेदों को दूर करना चाहिए।

वर्तमान में, एमवीए तिकड़ी कई चुनौतियों से जूझ रही है – एक अति-आक्रामक भाजपा-शिवसेना गठबंधन, विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों के हमले, और आपसी असंतोष की आंतरिक सुगबुगाह जिससे लगभग हर दिन एमवीए टूट की कगार पर दिखता है।

सावंत ने कहा, यह सब केवल मीडिया का बनाया हुआ है। क्या किसी ने 2019 से पहले कभी एमवीए की कल्पना की थी? यह हुआ और लोकतंत्र को बचाने के लिए ²ढ़ता से जीवित रहा। इस बार हम फासीवादी-सांप्रदायिक ताकतों को सीधी टक्कर लेने और 2024 में उन्हें बाहर करने के लिए तैयार हैं।

महाजन ने सहमति जताते हुए कहा कि कर्नाटक के फैसले के बाद, लोग अपने अल्पकालिक राजनीतिक हितों के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करने वाली सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन नहीं करेंगे, और देश तथा इसकी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वेच्छा से कांग्रेस का समर्थन करेंगे।

खान ने कहा कि भाजपा पहले ही महाराष्ट्र में हताश हो चुकी है और पिछले कुछ महीनों में औरंगाबाद, जालना, अहमदनगर, नासिक, अकोला और परभणी में सांप्रदायिक गड़बड़ी/दंगे किए गए, जो जनता को रास नहीं आ रहा है।

कर्नाटक में भी मई के चुनावों से छह महीने पहले, भाजपा ने ‘हिजाब’, ‘हलाल’ जैसे मुद्दों को उठाया, वहां मुस्लिम आरक्षण को रद्द कर दिया, चुनाव से कुछ दिन पहले इसने फर्जी फिल्म (‘केरल स्टोरी’) को बढ़ावा दिया और अंतिम क्षणों में पीएम ने खुद बजरंगबली के नाम से अपील की; देखिए क्या हुआ?

पार्टी के दूसरे केंद्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं का कहना है कि लोग विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थानों के ‘व्यवस्थित विनाश’ या ‘दुरुपयोग’ को चुपचाप देख रहे हैं, कैसे केंद्रीय जांच एजेंसियां विपक्षी दलों को आतंकित करने और चुप कराने के लिए खुलेआम लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई राज्य सरकारों को सत्ता से हटा रही हैं। धन-शक्ति और संवैधानिक प्राधिकारों का दुरुपयोग, भाजपा द्वारा अपने शत्रुतापूर्ण भगवा एजेंडे का पालन करना, यह सब ‘लोकतंत्र और भारत के लिए एक अंधकारमय भविष्य’ को चित्रित करता है।

सावंत, महाजन और खान 2024 में भाजपा की नकली और कपटपूर्ण राजनीति के अंत की भविष्यवाणी करते हैं जब यह महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में इकाई अंक में सिमट सकती है। राज्य बदले में केंद्र में गैर-भाजपा सरकार के निर्माण में बड़ा योगदान देगा।

Keshri shahu

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