छत्तीसगढ़

सरगुजा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रबोझ भिंज और कांग्रेस के प्रीतम राम होंगे आमने-सामने

सरगुजा: छत्तीसगढ़ का वनांचल क्षेत्र हैं इस जिले में कुल 3 विधानसभा सीटें है. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की लुंड्रा विधानसभा सीट से कांग्रेस अच्छी जीत हासिल की थी. यहां मतदाओं में जातिगत समीकरण है. यहां सबसे अधिक गोंड, कंवर समाज के साथ उरांव और यादव समाज के मतदाता शामिल हैं. यहां साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम राम 77 हजार 773 वोट से विजयी हुए थे. फिलहाल प्रीतम राम यहां से विधायक हैं. इस सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है. बीजेपी ने इस बार प्रबोध मिंज पर भरोसा कर प्रत्याशी बनाया है.

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लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र को जानिए:

देश और प्रदेश में हुये पहले विधानसभा चुनाव 1962 से ही ये सीट अस्तित्व में आई. अम्बिकापुर, लखनपुर और सीतापुर विधानसभा के हिस्सों को काटकर लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र बनाया गया है. लुंड्रा विधानसभा में करीब 78 फीसद की आबादी एसटी वर्ग की है, जिनमें सबसे अधिक गोंड और कंवर समाज के मतदाता हैं. कंवर और गोंड समाज की अधिकता के साथ ही यहां उरांव और यादव समाज का भी दबदबा देखने को मिलता है.

यहां से बीजेपी ने प्रबोध मिंज को टिकट दिया है.जानिए कौन हैं प्रबोध मिंज ?:

प्रबोध मिंज पहले कांग्रेस में थे. फिर एनसीपी में शामिल हुए. इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हुए. साल 2003 के नगर निगम चुनाव में प्रबोध ने कांग्रेस के अभेद्य गढ़ अंबिकापुर नगर निगम में दो बार महापौर का चुनाव जीता. प्रबोध मिंज अम्बिकापुर नगर निगम में 10 साल तक मेयर रहे हैं. लुंड्रा के सीमावर्ती इलाकों में प्रबोध मिंज प्रचलित चेहरा हैं. यही कारण है कि बीजेपी ने उनको इस सीट से उम्मीदवार बनाया है.

जानिए कौन हैं वर्तमान विधायक ?:

फिलहाल लुंड्रा से कांग्रेस के प्रीतम राम विधायक हैं. प्रीतम राम इससे पहले सामरी से विधायक रहे हैं. लुंड्रा इनका पैतृक निवास है. इनके छोटे भाई रामदेव राम भी लुंड्रा से विधायक रह चुके हैं.लुंड्रा सीट पर मतदाताओं की संख्या : इस विधानसभा में 1 लाख 88 हजार 717 मतदाता हैं, जिनमें 88410 पुरुष मतदाता शामिल हैं. जबकि 88135 महिला मतदाता इस क्षेत्र में है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस का वोट शेयर 52 फीसद था जबकि भाजपा का वोट शेयर 37 फीसद रहा.

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क्या हैं मुद्दे और समस्याएं ? :

लुंड्रा विधानसभा सीट प्रदेश की एसटी आरक्षित सीट है. आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे मूलभूत समस्याओं का समाधान ही रहा है. आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो पहुंच विहीन हैं. इस विधानसभा में एक गांव तो ऐसा है, जो बरसात के मौसम में दुनिया से ही कट जाता है. इस क्षेत्र में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ. आज भी यहां सड़कों की स्थिति खराब है. कई सरकारी स्कूल भवन जर्जर हैं. कटनी गुमला नेशनल हाईवे का करीब 15 किलोमीटर का हिस्सा इस विधानसभा क्षेत्र में आता है. पूरा नेशनल हाईवे बन गया, लेकिन लुंड्रा क्षेत्र में आने वाली 15 किलोमीटर की सड़क का काम आज भी अधूरा है.लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं 2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: 2018 विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम राम को 77 हजार 773 वोट मिले. उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के विजय नाथ सिंह को महज 55 हजार 594 वोट प्राप्त हुए. प्रीतम राम यह चुनाव 22 हजार 179 वोट के बड़े अंतर से जीते थे. इस चुनाव में 85.64 फीसद मतदान हुआ था. कुल 1 लाख 51 हजार 880 मत पड़े.

लुंड्रा विधानसभा सीट पर 2018 के चुनावी परिणामकौन तय करता है जीत और हार ?:

लुंड्रा विधानसभा ऐसी सीट है, जहां जातिगत वोटों का ध्रुवीकरण किसी भी राजनीतिक दल के लिए अपेक्षाकृत आसान है. शहर से लगे हुए हिस्सों में भाजपा प्रभाव बनाने मे सफल हो सकती है. आदिवासी समाज में गोंड और कंवर में धर्मांतरण ना के बराबर हुआ है. ये ज्यादातर हिन्दू धर्म को मानते है. और इनकी संख्या भी यहां क्रिश्चियन उरांव की तुलना में अधिक है. ऐसे मे यहां भाजपा का हिन्दू कार्ड काम कर सकता है. अगर भाजपा यहां से किसी ईसाई उरांव प्रत्याशी पर दांव लगाती है, तो उसे ईसाई वोट भी मिल सकते है. उदाहरण में अंबिकापुर नगर निगम में 10 साल मेयर रहे ईसाई समाज के प्रबोध मिन्ज के रूप मे देखा जा सकता है.

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