छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

सीताफल का संग्राहकों को उचित मूल्य दिलाने वन विभाग की प्रभावी पहल

रायपुर : सीताफल का संग्राहकों को उचित मूल्य दिलाने वन विभाग की प्रभावी पहल

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

सीताफल के मूल्य संवर्धन हेतु दानीकुण्डी में प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

मरवाही वनमण्डल के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्रों में नैसर्गिक रूप से सीताफल की उपज भारी मात्रा में प्रतिवर्ष प्राप्त होती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार उक्त वन मण्डल में लगभग 1500 टन सीताफल का उत्पादन होता है।
इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में विगत दो वर्षों से वन विभाग द्वारा प्रभावी पहल की गई है। इसके तहत सीताफल को संग्राहकों से विभाग एवं वन प्रबंधन समितियों द्वारा अधिकतम दर 12 से 15 रूपए प्रति कि.ग्रा. की दर से क्रय किया जा रहा है। साथ ही सीताफल के मूल्य संवर्धन हेतु यहां सीताफल के प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है। जहां पर पके हुए सीताफल के पल्प को निकालकर उसे हार्डनर मशीन द्वारा माईनस 52 डिग्री सेल्सियस तक लेजाकर हार्ड करने के पश्चात् डीप फ्रीजर एवं शीत गृह में माईनस 25 डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जाता है। जिसे क्रेताओं की मांग पर आपूर्ति एवं सीताफल आईसक्रीम बनाने में की जाती है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि इस योजना में जहां संग्राहको को सीताफल का उचित मूल्य मिल रहा है, वहीं सीताफल से पल्प निकालने में 2 माह तक 50 महिलाओं तथा नवयुवकों को सतत् रोजगार प्राप्त हो रहा है। इसी तरह वन मंडलाधिकारी मरवाही श्री शशि कुमार ने बताया कि पहले इसे ग्रामीणों द्वारा तोड़कर बिचौलियों को सस्ते कीमत पर लगभग 5 से 7 रूपए प्रति किलोग्राम में बेच दिया जाता था। जिसे बिचौलिये ग्रेडिंग करके निकटस्थ शहरी बाजारों में अच्छा लाभ लेकर बेच देते थे। खुदरे व्यापारी इसको 60 से 80 रूपए प्रति कि.ग्रा. तक विकय करते थे। इस प्रकार मरवाही क्षेत्र के गांवों से 6-7 रूपए प्रति कि.ग्रा. निकलने वाला सीताफल लगभग दस गुनी दर पर उपभोक्ता तक पहुंचती है किंतु इसका लाभ ग्रामीणों को प्राप्त नहीं होता था।
सीताफल मरवाही के दानीकुण्डी, धनपुर, सेमरदरी, कोटमी, चुकतीपानी आदि क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है, यहां के सीताफल विशिष्ट गुणवत्ता के हैं, यहां की मिट्टी एवं पर्यावरण इसके अनुकुल है। यहां के सीताफल सीधे ही सड़क एवं रेलमार्ग द्वारा रांची, कलकत्ता, भोपाल, ग्वालियर, इलाहाबाद, दिल्ली, पुणे, मुम्बई, बैंगलोर जैसे महानगरों में जाते थे।
दानीकुण्डी में फल उत्पादन एवं प्रसंस्करण हेतु मरवाही अरण्य फल प्रसंस्करण उद्योग के नाम से समिति का गठन किया गया है। जिसमें सीताफल एवं जामुन, जो इस जिले की पहचान है, इनके संग्रहण प्रसंस्करण एवं विपणन का कार्य कर रही है। संस्था द्वारा स्वयं का 08 टन का कोल्ड स्टोरेज एवं अन्य आवश्यक उपकरणो की स्थापना मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत्त द्वारा चक्रीय निधि से प्रदत्त 60 लाख ऋण की राशि से की गयी है। यहां ग्रेडिंग, सफाई, पल्पिंग, पैकेजिंग कार्य में लगभग 150 ग्रामीण सीधे रोजगार प्राप्त कर आर्थिक आय अर्जित करते हैं। सीताफल संग्रहण कर समिति को विक्रय करने से लगभग 1000 संग्राहकों को उनके संग्रहित सीताफल का उचित मूल्य प्राप्त हो रहा है।
वर्तमान में समिति द्वारा लघु स्तर पर सीताफल एवं जामुन की पल्पिंग कर आईसक्रीम निर्माण एवं पल्प का विक्रय किया जा रहा है। प्रसंस्करण केन्द्र एवं इससे जुड़े ग्रामीणों को लाभ की ओर अग्रसर करने हेतु सीताफल एवं जामुन की संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण एवं उससे निर्मित उत्पाद की पैकेजिंग एवं विक्रय सभी घटक महत्वपूर्ण कारक है, इसमें चरणबद्ध ढंग से कार्य प्रगति पर है।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!