छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यरायपुर

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

रायपुर : भुंजिया जनजाति के नर्तक दल ने दी वैवाहिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

नृत्य और गीतों में गाँव, जंगलों से जुड़े कहानियों की मिलती है झलक

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM

रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज शाम भंुजिया जनजाति के नर्तक दलों ने वैवाहिक अवसर पर किए जाने वाले नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसका दर्शकों ने आनंद लिया और ताली बजाकर नर्तक दल की प्रस्तुति को सराहा। भुंजिया के नृत्य में उनकी पूरी संस्कृति झलकती है। नृत्य के दौरान पुरूष हाथों में तीर-कमान थामें होते हैं, जबकि महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में होती है। भुंजिया एक ऐसी विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने गोद लिया है। इस जाति के लोग छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, महासमुंद और धमतरी जिला तथा ओड़िशा के कुछ में क्षेत्रों में रहते हैं। इनकी रहन-सहन, वेषभूषा या यूँ कहें कि पूरी संस्कृति ही औरों से बहुत अलग है।
आदिकाल से भुंजिया समुदाय के लोग जंगल तथा पहाड़ों पर निवास करते आ रहे हैं। इन्हें जंगलों से ही अपनी आजीविका चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में सब कुछ मिल जाता है, जैसे कि लकड़ी, फल, फूल, रस्सी, जड़ी-बूटी, पानी, शुद्ध हवा आदि। इस समुदाय के लोग अपनी ही दुनिया में खुश रहना चाहते हैं, बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं रहने के कारण इन लोगों का प्रकृति से अत्यधिक लगाव रहता है। भुंजिया समुदाय के लोग प्राकृतिक चीजों से श्रृंगार करना पसंद करते हैं, जैसे- महुआ, गुंजन, हर्रा आदि के फूलों की माला। महिलाएं अपने बालों को सजाने के लिए मयूर पंख या जंगल के फूलों का इस्तेमाल करती हैं। खाने में भी यह समुदाय कंद-मूल, फल-फूल एवं शिकार करके अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। शादी-विवाह, अतिथि के स्वागत आदि खुशी के पलों में ये नृत्य किये जाते हैं। इस नृत्य में भुंजिया लोगों को साल के पत्ते, तेंदू के पत्ते, महुआ के फूल आदि चीज़ें लगाए पूरे वेशभूषा एवं श्रृंगार के साथ देखा जा सकता है। ये अपने हाथों में अपने पूर्वजों से मिले तीर-कमान लिए रहते हैं। सामाजिक कार्यक्रमों, शादी विवाह आदि में तीर चलाने की प्रथा है।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!