
भाई बहन के साथ जगन्नाथ महाप्रभु मौसी के घर से पहुंचे अपने घर
जगन्नाथ महालक्ष्मी मंदिर का भूमि पूजन भी संपन्न
गोपाल सिंह विद्रोही/बिश्रामपुर-गाजे बाजे के बीच धूम धाम से लौटे महाप्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र-छोटी बहन के साथ अपने घर
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष के द्वितीय को श्री महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में विश्रामपुर नगर में भी उत्कल समाज के द्वारा गत 7 वर्षों से धूमधाम से महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है, जिसका स्वरूप दिनों दिन जनसहयोग से बढ़ता ही जा रहा है। इस वर्ष भी गत 20 जून को रथ यात्रा का आयोजन करते हुए भगवान जगन्नाथ जी, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा जी को पारंपरिक तौर पर विधि विधान से पूजा अर्चना कर रथ पर सवार कर संपूर्ण नगर में भ्रमण करते हुए आरटीआई कॉलोनी स्थित सरस्वती मंदिर (मौसी मा मंदिर)तक ले जाया गया। जहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहनों के साथ 9 दिनों तक अपने मौसी के घर पर विश्राम किए, जहां परंपरा अनुसार 9 दिवस तक महाप्रभु को अलग-अलग विशेष भोग एवं नैवेद्य अर्पित किया गया। वही इन 9 दिनों में पंचमी के दिन परंपरा अनुसार महाप्रभु का अपने भाई बहनों के साथ रथ यात्रा पर निकल जाने से नाराज उनकी धर्मपत्नी महालक्ष्मी जी रथ को तोड़ने जाती हैं, उक्त परंपरा को भी उत्कल समाज द्वारा संपन्न किया गया। तत्पश्चात गत बुधवार को बहुडा यात्रा (वापसी यात्रा) के माध्यम से पुनः महाप्रभू रथ पर विराजमान होकर आरटीआई कॉलोनी सरस्वती मंदिर से निकलकर मंगतराम चौक होते हुए बस स्टैंड, अंबेडकर चौक एवं पुनः बस स्टैंड होते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में प्रवेश किए। जहां एकादशी गुरुवार को परंपरा अनुसार महाप्रभु का स्वर्ण श्रृंगार संपन्न किया गया , वही द्वादशी तक महाप्रभु रथ के भीतर ही विराजमान रहेंगे तथा त्रयोदशी 1 जून को मंदिर के भीतर प्रवेश करेंगे जिसे नीलाद्री विजय के नाम से जाना जाता है।
गौरतलब है कि रथ यात्रा आयोजन का जगह-जगह अलग-अलग समाज द्वारा स्वागत किया गया तथा रथ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को पानी, शरबत एवं मिष्ठान की व्यवस्था प्रदान की गई। वहीं छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शैला एवं करमा नृत्य ने सबका मन मोह लिया। बाहुड़ा यात्रा के पश्चात मंदिर प्रांगण में उत्कल समाज द्वारा श्रद्धालुओं भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें भोग प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोगों ने जबरदस्त उत्साह दिखाते हुए भोग भंडारा प्रसाद ग्रहण किया।रथ यात्रा आयोजन को सफल बनाने में समिति के संरक्षक अशोक स्वाइ,अध्यक्ष विशाल सवाई,सचिव प्रभाकर स्वाई, सह सचिव अक्षय साहू, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रधान, कोषाध्यक्ष अलंकार नायक, वरिष्ठ सदस्य सेनापति प्रधान, प्रदीप त्रिपाठी, सुरेशन स्वाई,एलसी त्रिपाठी, संजय पंडा, सुदर्शन सेठी, संतोष, प्रमोद कहर, सूरज सेठी, त्रिनाथ,तरुण प्रधान आदि सहित सुभद्रा प ग्रुप से महिलाओं में अध्यक्ष दीप्ति स्वाई, सचिव अनुराधा प्रधान, कोषाध्यक्ष गीता स्वाई, ममता सेठी प्रभासिनी नायक, लीलावती स्वाई,नीलाद्री साहू, आशा पात्रों,आदि सक्रिय रूप से लगे रहें।
जगन्नाथ,महालक्ष्मी मुख्य मंदिर निर्माण का किया गया भूमि पूजन।
गौरतलब है कि उत्कल समाज विश्रामपुर द्वारा महाप्रभु जगन्नाथ जी एवम महालक्ष्मी जी का मुख्य मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जिसकी नीव बहुडा यात्रा से पूर्व रखी गई। समाज के गोविंद स्वाई एवम दीप्ति स्वाई द्वारा भूमि पूजन कार्य संपन्न किया गया। भूमि पूजन के सारे अनुष्ठान एवं 9 दिनों तक महाप्रभु जगन्नाथ जी के सारे पारंपरिक पूजन मंदिर के मुख्य पुजारी एस मिश्रा के द्वारा संपन्न करवाया गया। जगन्नाथ एवं महालक्ष्मी मंदिर निर्माण होने से यह समूचे जिले का एकमात्र ऐसा मंदिर होगा जहां महालक्ष्मी जी अपने पति के साथ एक ही जगह पर विराजमान होंगे।