
निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला: तीन महीने में खत्म होगा डुप्लीकेट इपिक नंबर का संकट
निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला: तीन महीने में खत्म होगा डुप्लीकेट इपिक नंबर का संकट
रायपुर, 8 मार्च 2025: भारत निर्वाचन आयोग ने दशकों पुराने डुप्लीकेट इपिक नंबर की समस्या को हल करने का फैसला लिया है। अगले तीन महीनों में इस मुद्दे का पूर्ण समाधान किया जाएगा। यह कदम देश के लोकतांत्रिक तंत्र को मजबूत करने और मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
भारत की सबसे बड़ी मतदाता सूची
भारत की मतदाता सूची विश्व की सबसे बड़ी चुनावी सूची है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं। इसे अद्यतन करने की प्रक्रिया निर्वाचन आयोग द्वारा निरंतर की जाती है। इसके तहत हर वर्ष अक्टूबर से दिसंबर के बीच विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR) अभियान चलाया जाता है, और इसकी अंतिम सूची जनवरी में प्रकाशित की जाती है। जिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव होने वाले होते हैं, वहां यह प्रक्रिया पहले पूरी कर ली जाती है।
हाल ही में SSR 2025 का कार्यक्रम 7 अगस्त 2024 को जारी किया गया था, और अंतिम मतदाता सूची 6-10 जनवरी 2025 के बीच प्रकाशित की गई। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सहभागी होती है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारी (BLO), निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ERO), और राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
कैसे तैयार होती है मतदाता सूची?
मतदाता सूची की तैयारी एक व्यापक प्रक्रिया है। प्रत्येक मतदान केंद्र पर BLO नियुक्त किया जाता है, जो घर-घर जाकर सत्यापन करता है। इस दौरान, यदि कोई विसंगति पाई जाती है, तो उसे सही करने के लिए संबंधित अधिकारी को सूचित किया जाता है। मतदाता सूची का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाता है और राजनीतिक दलों को भी इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाती है।
इसके बाद प्राप्त दावों और आपत्तियों की जांच की जाती है और सत्यापन पूरा होने के बाद ही अंतिम सूची प्रकाशित की जाती है। मतदाता सूची को निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाता है, ताकि कोई भी नागरिक इसे देख सके और किसी गलती की शिकायत कर सके। यदि किसी मतदाता को सूची में कोई आपत्ति होती है, तो वह RP Act 1950 की धारा 24(a) के तहत जिला मजिस्ट्रेट के पास पहली अपील दर्ज कर सकता है। असंतोषजनक निर्णय की स्थिति में, वह दूसरी अपील राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास कर सकता है।
डुप्लीकेट इपिक नंबर की समस्या और समाधान
डुप्लीकेट इपिक नंबर का मुद्दा लंबे समय से चला आ रहा था। इपिक नंबर, यानी मतदाता पहचान पत्र संख्या, हर मतदाता को अलग-अलग दी जानी चाहिए, लेकिन जांच में यह सामने आया कि कई मतदाताओं को एक ही नंबर जारी कर दिया गया।
मतदाता सूची के हालिया विश्लेषण में पाया गया कि 100 से अधिक मतदाताओं की सैंपल जांच में सभी वास्तविक मतदाता हैं। वर्ष 2000 में जब राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इपिक सीरीज आवंटित की गई थी, तब कुछ निर्वाचन अधिकारियों (ERO) ने गलत सीरीज का उपयोग कर लिया, जिससे विभिन्न राज्यों में डुप्लीकेट नंबर जारी हो गए।
अब क्या होगा?
निर्वाचन आयोग ने इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेते हुए तकनीकी विशेषज्ञों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ व्यापक चर्चा की है। इसके तहत अगले तीन महीनों में इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
इस समाधान योजना के तहत:
डुप्लीकेट इपिक नंबर वाले सभी मतदाताओं को नया विशिष्ट राष्ट्रीय इपिक नंबर जारी किया जाएगा।
नए इपिक नंबर को डिजिटल डेटाबेस से जोड़ा जाएगा, जिससे भविष्य में ऐसी समस्या उत्पन्न न हो।
मतदाता पहचान प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जाएगा।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नए इपिक नंबर जारी करने की स्पष्ट गाइडलाइन दी जाएगी।
मतदाता के लिए लाभ
इस निर्णय से मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ेगी और फर्जी मतदान पर भी लगाम लगेगी। मतदाता अब बिना किसी संदेह के अपने मतदान अधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। यह प्रक्रिया आगामी लोकसभा चुनाव 2029 और विधानसभा चुनावों में निष्पक्षता बनाए रखने में भी मदद करेगी।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा डुप्लीकेट इपिक नंबर की समस्या का समाधान एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह भारतीय लोकतंत्र को अधिक मजबूत और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। आगामी तीन महीनों में इस समस्या का स्थायी समाधान कर दिया जाएगा, जिससे मतदाता सूची को पूर्ण रूप से पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया जा सके।