
छत्तीसगढ़ की बेटियां बिहार के रेड लाइट इलाके से बरामद – मानव तस्करी पर सरकार मौन!
छत्तीसगढ़ की बेटियां बिहार के रेड लाइट इलाके से बरामद – मानव तस्करी पर सरकार मौन!
पटना के रेड लाइट एरिया से छत्तीसगढ़ की 41 नाबालिग लड़कियां बरामद, सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
रायपुर। बिहार के पटना स्थित रेड लाइट इलाके से छत्तीसगढ़ की 41 नाबालिग लड़कियों के बरामद होने की खबर ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ मानव तस्करी का गढ़ बन चुका है और सरकार इस गंभीर समस्या पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल रही है।
घटना का विस्तृत विवरण
सूत्रों के अनुसार, बिहार पुलिस और एक एनजीओ द्वारा संयुक्त अभियान चलाकर पटना के रेड लाइट इलाके से 41 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया। इन लड़कियों को झांसा देकर छत्तीसगढ़ से बिहार लाया गया था, जहां उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया और देह व्यापार में धकेलने की कोशिश की जा रही थी। इस ऑपरेशन में यह भी खुलासा हुआ कि मानव तस्करों का एक संगठित गिरोह छत्तीसगढ़ के दूरस्थ इलाकों से महिलाओं और बच्चियों की तस्करी कर रहा है।
मानव तस्करी का गढ़ बनता छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़, विशेषकर जशपुर, बस्तर, पत्थलगांव और सरगुजा जैसे क्षेत्र, पिछले कुछ वर्षों में मानव तस्करी के केंद्र के रूप में उभरे हैं। यहाँ प्लेसमेंट एजेंसियां रोजगार दिलाने के नाम पर नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर राज्य से बाहर भेज रही हैं। इन लड़कियों को बड़े शहरों में घरेलू कामगार, फैक्ट्रियों में मजदूर या फिर रेड लाइट इलाकों में धकेल दिया जाता है।
कांग्रेस का हमला – भाजपा सरकार विफल!
इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, “भाजपा सरकार हमारी बेटियों को सुरक्षित नहीं रख पा रही है। महिला दिवस पर विज्ञापन छपवाने वाली सरकार की पोल इस घटना ने खोलकर रख दी है। महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।” उन्होंने मांग की कि लापता लड़कियों की तलाश के लिए एसआईटी गठित कर जांच करवाई जाए।
प्लेसमेंट एजेंसियों की संदिग्ध भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय कई प्लेसमेंट एजेंसियां मानव तस्करी में लिप्त हैं। ये एजेंसियां गरीब परिवारों को नौकरी का झांसा देकर उनकी बेटियों को दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में भेजती हैं, जहां वे शोषण और अमानवीय अत्याचार का शिकार बनती हैं। कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि इन प्लेसमेंट एजेंसियों की गहन जांच की जाए और यह पता लगाया जाए कि पिछले कुछ वर्षों में कितनी लड़कियों को प्रदेश से बाहर भेजा गया है और वे अब कहां हैं।
रमन सरकार का कार्यकाल भी कटघरे में
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जब राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब भी महिलाओं की तस्करी के मामले चरम पर थे। 2013 में संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स एंड क्राइम रिपोर्ट (UNODC) में खुलासा हुआ था कि छत्तीसगढ़ देश के उन शीर्ष राज्यों में शामिल था, जहां से सबसे अधिक महिलाएं और लड़कियां गायब हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक, रमन सरकार के दौरान 27,000 से अधिक महिलाएं लापता हो गई थीं। कांग्रेस का दावा है कि अब फिर से वही हालात बनने लगे हैं।
महिला सुरक्षा पर सरकार की विफलता
महिला सुरक्षा को लेकर भाजपा सरकार की लापरवाही इस घटना से स्पष्ट होती है। मानव तस्करी जैसी गंभीर समस्या को रोकने के लिए राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
क्या सरकार एसआईटी गठित कर इस मामले की जांच करेगी?
क्या प्लेसमेंट एजेंसियों पर सख्त कार्रवाई होगी?
क्या लापता लड़कियों को खोजने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा?
भविष्य के लिए सुझाव
इस समस्या से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है:
एसआईटी का गठन: राज्य में लापता लड़कियों की तलाश के लिए विशेष जांच दल (SIT) बनाया जाए।
प्लेसमेंट एजेंसियों की जांच: सभी एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए और उनके रिकॉर्ड की सख्ती से जांच की जाए।
सुरक्षा तंत्र मजबूत किया जाए: मानव तस्करी रोकने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन हो।
गांव-गांव जागरूकता अभियान: महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए।
सख्त कानून और सजा: दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए।
छत्तीसगढ़ की 41 नाबालिग लड़कियों का बिहार के रेड लाइट इलाके से बरामद होना केवल एक घटना नहीं, बल्कि राज्य में बढ़ते अपराध और प्रशासनिक विफलता का जीता-जागता उदाहरण है। यह मामला केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सरकार को त्वरित और ठोस कार्रवाई करनी होगी, ताकि भविष्य में किसी भी बेटी को इस दंश का शिकार न होना पड़े।