
ग्रीष्म ऋतु में सतत पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश
ग्रीष्म ऋतु में सतत पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश
भूमिगत जल का उपयोग केवल पेयजल के लिए करने के निर्देश
ट्यूबवेल से सिंचाई के कारण गिर रहा भू-जल स्तर
जल संरक्षण और जनजागरूकता अभियान चलाने पर जोर
जल संकट से निपटने के लिए इंजेक्शन वेल तकनीक का उपयोग
राजनांदगांव, 13 मार्च 2025। ग्रीष्म ऋतु में बढ़ते जल संकट को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मैदानी अमले के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में एसडीओ, उप अभियंता, हैण्डपंप तकनीशियनों सहित अन्य संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति रही। बैठक के दौरान जिले में जल आपूर्ति की स्थिति का जायजा लिया गया और आने वाले दिनों में पेयजल संकट से निपटने के लिए रणनीति तैयार की गई।
पेयजल आपूर्ति को बनाए रखने के सख्त निर्देश
कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की सतत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि गर्मी में जल संकट गहरा सकता है, इसलिए सभी अधिकारी अलर्ट मोड पर रहें और जल आपूर्ति को बाधित न होने दें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि बिना अनुमति के कोई भी अधिकारी-कर्मचारी अवकाश पर नहीं जाएगा।
कलेक्टर ने निर्देश दिया कि जल संरक्षण को अभियान की तरह चलाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी क्षेत्र में पेयजल संकट उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा कि चिन्हांकित ग्रामों में जल समस्या समाधान शिविर, जल संगोष्ठी, फसल चक्र परिवर्तन, वृक्षारोपण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं ताकि लोगों को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।
भू-जल दोहन पर नियंत्रण आवश्यक
बैठक में कलेक्टर ने जिले में भू-जल स्तर में आ रही गिरावट पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल से अत्यधिक पानी निकालने के कारण जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, जिससे भविष्य में पेयजल संकट और गहरा सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि भूमिगत जल का उपयोग केवल पेयजल के लिए सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर बोरवेल का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, जिससे जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है।
कलेक्टर ने निर्देश दिया कि किसानों को कम पानी वाली फसलों की ओर प्रेरित किया जाए ताकि जल संरक्षण किया जा सके। उन्होंने कहा कि ग्रीष्म ऋतु के दौरान ट्यूबवेल से सिंचाई करने से भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे आने वाले समय में पानी की समस्या और विकराल हो सकती है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने की जरूरत बताई।
जल संरक्षण के लिए जनसहयोग आवश्यक
कलेक्टर ने कहा कि जल संरक्षण के लिए प्रशासन के साथ-साथ जनसहयोग भी बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि जिले में भू-जल के पुनर्भरण (रिचार्ज) के लिए 1000 इंजेक्शन वेल मशीनों का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए ग्राम पंचायतों में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इंजेक्शन वेल तकनीक के माध्यम से भू-जल पुनर्भरण को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे भू-जल स्तर को बनाए रखा जा सके।
कलेक्टर ने निर्देश दिए कि जल संरक्षण अभियान को प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय निकायों और ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण एक सामूहिक प्रयास है, और इसके लिए सभी को जागरूक होना जरूरी है।
व्हाट्सएप ग्रुप और टोल-फ्री नंबर की सुविधा
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जिले में जल संकट से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन द्वारा एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा। इस ग्रुप में सभी अधिकारी, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि जुड़े रहेंगे, ताकि जल आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा सके।
इसके अलावा, टोल-फ्री नंबर 18002330008 पर प्राप्त शिकायतों का जल्द से जल्द निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे जल संकट से जुड़ी समस्याओं का समय रहते समाधान किया जा सकेगा।
पेयजल आपूर्ति की मॉनिटरिंग और सुधार के निर्देश
बैठक में कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई हैंडपंप चालू हालत में हैं, जबकि कुछ बंद पड़े हैं। इस पर कलेक्टर ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ग्रामवार हैंडपंपों की लगातार मॉनिटरिंग करें और सुनिश्चित करें कि सभी हैंडपंप सुचारू रूप से कार्यरत रहें।
कलेक्टर ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि जल संकट से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां त्वरित समाधान के लिए कार्य योजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को जल संरक्षण के विभिन्न तरीकों की जानकारी दी जाए और उन्हें पेयजल का विवेकपूर्ण उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए।
भविष्य में जल संकट से बचाव के उपाय
बैठक के दौरान कलेक्टर ने जल संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए बिना जल संकट का समाधान संभव नहीं होगा।
कलेक्टर ने सुझाव दिया कि:
जल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के लिए जलाशयों, तालाबों और कुओं की सफाई की जाए।
वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) को अनिवार्य किया जाए।
ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरचनाओं का निर्माण कर भू-जल स्तर को संतुलित रखा जाए।
अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए ताकि जल संरक्षण को बढ़ावा मिले।
जल संरक्षण से जुड़े जागरूकता अभियान को और प्रभावी बनाया जाए।
ग्रीष्म ऋतु में जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सफलता जनता की भागीदारी पर निर्भर करेगी। कलेक्टर ने जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाने की जरूरत बताई है, जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए जल संकट की समस्या से बचाव किया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जल संरक्षण और जल आपूर्ति से संबंधित सभी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करें, ताकि ग्रीष्म ऋतु में किसी भी क्षेत्र में जल संकट न उत्पन्न हो।
बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ, उप अभियंता, हैंडपंप तकनीशियन और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।