
प्रधानमंत्री के भाषण पर विपक्ष का प्रहार: बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा संकट पर उठाए सवाल
प्रधानमंत्री के भाषण पर विपक्ष का प्रहार: बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा संकट पर उठाए सवाल
जंतर-मंतर पर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन, नई शिक्षा नीति और UGC ड्राफ्ट के खिलाफ छात्रों की हुंकार
नई दिल्ली। हाल ही में प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले पर एक भावनात्मक भाषण दिया, जिसमें भारतीय संस्कृति और धार्मिक महत्व को रेखांकित किया गया। लेकिन इस बीच, देश में महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा संकट जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार की चुप्पी को लेकर विपक्ष और छात्र संगठनों ने तीखा हमला बोला है। जंतर-मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छात्रों ने नई शिक्षा नीति (NEP) और UGC के नए ड्राफ्ट को वापस लेने की मांग की, जिसे वे शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक मानते हैं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कहा, “कुंभ मेले पर बात करना अच्छा है, पर आपको भविष्य के बारे में भी बात करनी चाहिए। प्रधानमंत्री बेरोजगारी और महंगाई पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं। भाजपा का मॉडल है—अडानी को देश का धन और आरएसएस को देश के सारे संस्थान सौंप देना। हम इसके खिलाफ एक हैं और साथ मिलकर लड़ेंगे।”
राहुल गांधी के इस बयान से स्पष्ट है कि कांग्रेस और विपक्षी दलों का ध्यान अब आर्थिक असमानता और संस्थागत स्वायत्तता पर केंद्रित हो गया है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार आम जनता के मुद्दों से बचने के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों पर ज्यादा जोर दे रही है, जबकि देश की युवा पीढ़ी नौकरी और शिक्षा संकट से जूझ रही है।
NSUI के अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा, “हमारी मांग है कि नई शिक्षा नीति और UGC ड्राफ्ट को तुरंत वापस लिया जाए। यह ऐसा ड्राफ्ट है, जो हमारे देश के अकादमिक सिस्टम को पूरी तरह से खत्म कर देगा। शिक्षा मंत्री ने कुछ खास विचारधारा के लोगों को संस्थानों में बैठाने के लिए पूरे एजुकेशन सिस्टम को गिरवी रख दिया है।”
छात्र संगठनों का आरोप है कि नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत सरकारी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है और निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
देशभर में परीक्षा पेपर लीक की घटनाओं में वृद्धि हुई है। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने की खबरें आई हैं। इससे छात्रों में भारी असंतोष है। NSUI ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण देश की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। वरुण चौधरी ने कहा, “हर रोज अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है। परीक्षा के पेपर लीक हो रहे हैं, और सरकार पूरी तरह से खामोश है।”
छात्रों का कहना है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के बजाय सरकार उन मुद्दों पर ध्यान दे रही है, जो जनता का ध्यान मूल समस्याओं से भटका सकें। वे मांग कर रहे हैं कि परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
विरोध कर रहे छात्रों का आरोप है कि सरकार के इशारे पर कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रशासनिक दबाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति के तहत छात्रसंघ चुनावों पर पाबंदी लगाने, कैंपस में छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने और शिक्षकों को डराने-धमकाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह शैक्षणिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
वरुण चौधरी ने कहा, “सरकार शिक्षण संस्थानों में लोकतंत्र की हत्या कर रही है। स्टूडेंट्स को बोलने नहीं दिया जा रहा, विरोध करने पर उन्हें निशाना बनाया जाता है। कैम्पस में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।”
वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए विपक्ष को कटघरे में खड़ा किया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां छात्रों को भड़का रही हैं। नई शिक्षा नीति छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बनाई गई है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल इसे मुद्दा बनाकर अशांति फैला रहे हैं।”
सरकार का कहना है कि नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी और छात्रों को ज्यादा अवसर प्रदान करेगी।
NSUI और अन्य छात्र संगठनों ने ऐलान किया है कि वे अपने संघर्ष को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तो वे देशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
छात्रों की यह चेतावनी सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है, क्योंकि युवा वर्ग किसी भी देश का भविष्य होता है। यदि सरकार छात्र संगठनों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो इसका असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।
देश में बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा संकट जैसे मुद्दे लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। जंतर-मंतर पर हुए विरोध प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया है कि छात्र और युवा अब केवल वादों से संतुष्ट नहीं होंगे। विपक्ष सरकार पर हमलावर है और भाजपा इसे मात्र राजनीतिक ड्रामा करार दे रही है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार छात्रों की मांगों को मानकर शिक्षा सुधार की दिशा में कदम उठाती है या फिर यह आंदोलन और उग्र रूप लेता है।