
मोदी झूठ बोलकर गए, नक्सलवाद की पोषक भाजपा की नीतियां – कांग्रेस
मोदी झूठ बोलकर गए, नक्सलवाद की पोषक भाजपा की नीतियां – कांग्रेस
रमन राज के 15 सालों में नक्सलवाद 3 ब्लॉक से 14 जिलों तक पहुंचा
भूपेश सरकार के कार्यकाल में नक्सल घटनाओं में आई 80 प्रतिशत की कमी
रायपुर, 31 मार्च 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नक्सलवाद पर दिए गए बयान पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री को नक्सलवाद पर भाषण देने से पहले अध्ययन करना चाहिए था। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद भाजपा शासन के दौरान फैला। जब 2003 में भाजपा की सरकार बनी, तब नक्सलवाद बस्तर के केवल तीन ब्लॉकों तक सीमित था, लेकिन रमन सरकार के 15 वर्षों में यह बस्तर के तीन ब्लॉकों से बढ़कर 14 जिलों तक फैल गया। इन 15 सालों के अंतिम चार वर्षों में केंद्र में भी नरेंद्र मोदी की सरकार थी। प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि राज्य में नक्सलवाद फैलने की जिम्मेदार भाजपा की नीतियां और फासीवादी सोच रही हैं।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रमन सरकार के दौरान हुए बड़े नक्सली हमलों का जवाब देना चाहिए। भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ ने कई भीषण नक्सली हमलों का सामना किया, जिनमें कई जवानों और नेताओं ने अपनी जान गंवाई। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल 2010 को दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, 24 अप्रैल 2017 को सुकमा के दुर्गापाल में 25 सीआरपीएफ जवानों ने अपनी शहादत दी। इसके अलावा, 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल सहित 30 लोगों की हत्या हुई। 29 जून 2010 को नारायणपुर जिले के धोडाई में 27 पुलिस जवान शहीद हुए, 17 मई 2010 को दंतेवाड़ा में एक यात्री बस पर हमला कर 36 लोगों की हत्या कर दी गई। 12 जुलाई 2009 को मदनवाड़ा में एसपी चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हुए। 9 जुलाई 2007 को उपलमेटा एर्राबोर में 23 पुलिसकर्मी और 15 मार्च 2007 को रानीबोदली, बीजापुर में 55 जवान शहीद हुए। शुक्ला ने कहा कि मोदी को इन घटनाओं पर जवाब देना चाहिए कि इन शहादतों के लिए कौन जिम्मेदार था? भाजपा शासनकाल में कलेक्टर तक सुरक्षित नहीं थे, उनका अपहरण तक किया गया, एसपी शहीद हुए और तत्कालीन मुख्यमंत्री अपने नक्सल सलाहकारों से कहते थे – ‘वेतन लो और मौज करो’। यही भाजपा की नीति थी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी घटनाओं में 80 प्रतिशत की कमी आई। नक्सलियों के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हुई, मुठभेड़ों में नक्सली मारे गए और कई इलाकों से नक्सलवाद का सफाया हुआ। उन्होंने बताया कि 2008 से 2018 तक हर साल औसतन 500 से 600 नक्सली घटनाएं होती थीं, लेकिन भूपेश सरकार के पांच वर्षों में यह आंकड़ा घटकर 250 पर आ गया। 2023 में केवल 134 नक्सली घटनाएं हुईं, जो 2018 के मुकाबले चार गुना कम थीं। 2018 से पहले प्रतिवर्ष 200 से अधिक मुठभेड़ होती थीं, लेकिन भूपेश सरकार के दौरान यह संख्या घटकर दहाई तक सीमित हो गई। वर्ष 2021 में केवल 81 और 2023 में अब तक 41 नक्सली मुठभेड़ हुईं।
भूपेश सरकार के दौरान नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई। कुल 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जो पिछले दस वर्षों में आत्मसमर्पण करने वाले कुल नक्सलियों की संख्या का एक तिहाई से अधिक है। बस्तर संभाग के 589 गांवों के लगभग 5.75 लाख लोग नक्सलवाद के प्रभाव से मुक्त हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं, 118 गांव दंतेवाड़ा जिले के, 115 गांव बीजापुर जिले के, 63 गांव बस्तर जिले के, 92 गांव कांकेर जिले के, 48 गांव नारायणपुर जिले के और 32 गांव कोंडागांव जिले के हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस नक्सल नियंत्रण की उपलब्धि पर अपनी पीठ थपथपा रहे थे, उसके पीछे भूपेश सरकार की नीतियां और कार्ययोजना थी। भूपेश सरकार ने ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ के सिद्धांत पर काम किया, जिससे राज्य में नक्सलवाद कमजोर हुआ। कांग्रेस सरकार ने बस्तर के आम लोगों का विश्वास जीता, दूरस्थ इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित किए, सड़कें, पुल, अस्पताल और स्कूल बनाए। साथ ही, वनोपज के मूल्यवर्धन से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां शुरू की गईं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े और लोगों को नक्सलियों का साथ छोड़ना पड़ा। इन सभी कारणों से राज्य में नक्सलवाद में भारी कमी आई।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे झूठे दावे कर रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि भाजपा सरकारों की गलत नीतियों ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को बढ़ाया, जबकि कांग्रेस सरकार ने इसे नियंत्रित किया। कांग्रेस ने दावा किया कि नक्सलियों के खिलाफ जो सफलता दिख रही है, वह भूपेश सरकार की मेहनत और योजनाओं का नतीजा है।
भाजपा के शासनकाल में नक्सलवाद नियंत्रण के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई थी, जिससे नक्सलियों ने अपना प्रभाव बढ़ाया। वहीं, कांग्रेस सरकार ने विकास कार्यों और जनहितैषी योजनाओं के जरिए नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार केवल सुरक्षा बलों पर निर्भर रही और जमीनी स्तर पर कोई सकारात्मक बदलाव नहीं लाया, जबकि भूपेश सरकार ने स्थानीय लोगों के विश्वास को जीतकर समस्या को जड़ से खत्म करने का प्रयास किया।
कांग्रेस ने मोदी सरकार से यह भी सवाल किया कि जब वे नक्सलवाद पर नियंत्रण का दावा कर रहे हैं, तो उनके शासनकाल में इसे रोकने के लिए क्या नई योजनाएं बनाई गईं? कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार को आंकड़ों के साथ यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में क्या ठोस कदम उठाए, जिससे यह दावा किया जा सके कि नक्सलवाद नियंत्रित हुआ है।
कांग्रेस ने अंत में कहा कि भाजपा की नीतियां ही नक्सलवाद की पोषक रही हैं और प्रधानमंत्री मोदी इस सच्चाई को छुपाने के लिए झूठे दावे कर रहे हैं। नक्सलवाद के खिलाफ वास्तविक लड़ाई कांग्रेस सरकार ने लड़ी और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए।