
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में 15% तक वृद्धि की तैयारी, वायु प्रदूषण बना कारण
भारतीय बीमा कंपनियां बढ़ते वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य दावों के चलते स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में 10% से 15% वृद्धि पर विचार कर रही हैं। IRDAI से प्रस्ताव को मंज़ूरी मिलना बाकी है।
वायु प्रदूषण बना बीमा प्रीमियम बढ़ोतरी का कारण: स्वास्थ्य बीमा 10-15% तक हो सकता है महंगा
नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025 | हेल्थ-बिजनेस |भारत की राजधानी नई दिल्ली और अन्य महानगरों में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर अब केवल लोगों के स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका प्रभाव बीमा प्रीमियम की जेब पर भी पड़ने वाला है। देश की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा कंपनियां 10% से 15% तक प्रीमियम दरें बढ़ाने पर विचार कर रही हैं, जिसका कारण वायु प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य दावों में लगातार वृद्धि बताया जा रहा है।
यदि यह प्रस्ताव मंज़ूरी पाता है, तो यह भारत में पहली बार होगा जब वायु प्रदूषण को बीमा प्रीमियम निर्धारण का आधार बनाया जाएगा।
बीमा कंपनियों का तर्क: दावों में भारी बढ़ोतरी
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) को सौंपे गए एक प्रस्ताव में कई बीमा कंपनियों ने दावा किया है कि पिछले तीन वर्षों में, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता और लखनऊ जैसे क्षेत्रों में, श्वसन रोगों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े के संक्रमण और अन्य वायु जनित बीमारियों के इलाज के लिए किए गए दावों में 30% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
बीमा कंपनियों का डेटा:
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2021 में प्रदूषण-जनित स्वास्थ्य दावों की संख्या: 6.5 लाख
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2023 में यह संख्या बढ़कर हो गई: 8.4 लाख
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अनुमान है कि 2025 में यह आंकड़ा 10 लाख पार कर जाएगा
बीमा इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों की राय
HDFC ERGO के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी के अनुसार:
“हम वायु प्रदूषण को अब एक ‘स्थायी स्वास्थ्य जोखिम’ के रूप में देख रहे हैं। विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती दर, दवाओं पर खर्च और दावे दायर करने की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।”
ICICI Lombard और Star Health Insurance जैसी कंपनियों ने भी यह माना है कि उन्हें अब एरिया-वाइज प्रीमियम तय करने की दिशा में सोचना पड़ रहा है।
मरीजों पर क्या असर पड़ेगा?
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो प्रदूषित इलाकों में रहते हैं। मसलन, दिल्ली-एनसीआर, कानपुर, गाजियाबाद, भिवाड़ी, पटना जैसे शहरों के निवासियों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के लिए ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है।
शहर | मौजूदा प्रीमियम (₹) | प्रस्तावित प्रीमियम (₹) |
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दिल्ली | ₹10,000 | ₹11,500 |
मुंबई | ₹9,000 | ₹10,350 |
पटना | ₹8,500 | ₹9,775 |
बेंगलुरु | ₹7,500 | ₹7,875 (न्यूनतम बढ़ोतरी) |
वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य और आर्थिक बोझ
भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का आर्थिक बोझ लगातार बढ़ रहा है। Lancet के 2023 अध्ययन के अनुसार, भारत में हर साल 12 लाख से अधिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं और इसके चलते GDP का 1.3% हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च होता है।
बीमा कंपनियों की नई रणनीति
बीमा कंपनियां प्रीमियम निर्धारण के लिए अब कुछ नई रणनीतियाँ अपना रही हैं:
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जनस्थान आधारित प्रीमियम मॉडल
(high-pollution zone = higher premium) -
स्वास्थ्य जोखिम स्कोरिंग – जिसमें श्वसन इतिहास, धूम्रपान आदतें, और लोकेशन फैक्टर शामिल होंगे
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Wearable device integration – जिससे उपयोगकर्ता की गतिविधि और स्वास्थ्य डाटा ट्रैक किया जाएगा
क्या कहती है IRDAI?
IRDAI ने फिलहाल इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, बीमा नियामक इस मॉडल को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली और मुंबई में लागू करने पर विचार कर रहा है।
IRDAI के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:
“बीमा कंपनियों को ग्राहक के जोखिम प्रोफाइल के आधार पर प्रीमियम तय करने का अधिकार है, लेकिन किसी भी नई प्रणाली को लागू करने से पहले व्यापक सार्वजनिक परामर्श आवश्यक है।”
आम जनता पर असर
प्रीमियम वृद्धि से उन लोगों पर दबाव बढ़ सकता है जो पहले ही महंगाई और चिकित्सा खर्चों से जूझ रहे हैं। कई उपभोक्ता संगठनों ने चेतावनी दी है कि इससे स्वास्थ्य बीमा गरीब और मध्यम वर्ग के लिए और भी महंगा हो जाएगा।
चिंताएं और बहस
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क्या आम आदमी को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित है?
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क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करे?
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क्या बीमा कंपनियां मुनाफा बढ़ाने के लिए वायु प्रदूषण का सहारा ले रही हैं?
इस पर ऑल इंडिया पब्लिक हेल्थ फोरम के अध्यक्ष डॉ. रमेश यादव कहते हैं:
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग वायु प्रदूषण जैसी समस्या से पहले ही पीड़ित हैं, और अब उन्हें बीमा प्रीमियम के रूप में इसकी कीमत भी चुकानी होगी। सरकार को पहले प्रदूषण नियंत्रण की नीति लागू करनी चाहिए, फिर बीमा बदलाव पर विचार हो।”
डिजिटल प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया हंगामा
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस विषय को लेकर लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। कई यूज़र्स ने इसे “double punishment” बताया है।