छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़रायपुर

बस्तर में कांग्रेस के लिए ”ऑल इज वेल नहीं”, आसान नहीं होगा 2018 का प्रदर्शन दोहराना

नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में करीब 9 माह बाकी है, मगर राजनीतिक दलों में अभी से तलवारें खिंच गईं हैं। सबसे ज्यादा उथल-पुथल बस्तर संभाग में दिख रहा है। बस्तर संभाग में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल से छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार का सफाया कर दिया था, यही हाल सरगुजा सहित दिगर आदिवासी बेल्ट वाले विधानसभा क्षेत्रों का रहा।

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

भाजपा नेताओं का लगातार दौरा…दूसरी तरफ बघेल अकेले

Congress in Bastar: बस्तर संभाग को छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी माना जाता है। बस्तर संभाग में भाजपा का लगभग सफाया हो चुका है, इसी वजह से इस बार भाजपा के प्रदेश और केंद्रीय नेताओं का लगातार बस्तर दौरा पार्टी के खोये हुए वोट बैंक को बनाएं रखने की पुरजोर कोशिश माना जा रहा है।

Congress in Bastar: बस्तर संभाग के नारायणपुर को ​केंद्र प्रवर्तित आकांक्षी जिलों में लाया गया है, जिसकी तैयारी बीजेपी की ओर से बहुत पहले शुरू कर दी गई थी। जब भी बीजेपी का कोई बड़ा नेता या केंद्रीय मंत्री बस्तर या छत्तीसगढ़ के दौरे पर आता है तो सबसे पहले आकांक्षी जिलों की बात करता है। भाजपा को इस बात पर यकीन है कि वो आकांक्षी जिलों में चल रही केंद्रीय योजनाओं का बखान कर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा पाने में सफल होगी।

Congress in Bastar: भाजपा नेताओं के लगातार बस्तर दौर से कांग्रेस भी चौंकन्नी हो गई है। करीब करीब हर माह सीएम भूपेश बघेल किसी ना किसी कार्यक्रम में बस्तर का दौरा कर रहे हैं, साथ ही पार्टी के कामकाज के साथ विधायकों की परफारमेंस को भी टटोल रहे हैं। यानि भूपेश बघेल अकेले ही बस्तर की कमान संभाले हुए हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बस्तर दौरा आज

Congress in Bastar: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शनिवार को अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान बस्तर संभाग में 4 कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इसी दौर में नड्डा जगदलपुर में बस्तर लोकसभा के पदाधिकारियों की बैठक लेंगे और जगदलपुर में एक आम सभा को भी संबोधित करेंगे।

Congress in Bastar: कुल मिलाकर आने वाले विधानसभा चुनाव में बस्तर में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर प्रदेश संगठन से मिले फीडबैक की पार्टी स्तर पर दोहरी पड़ताल होगी। जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। बस्तर में मतदाताओं के रुझान की जानकारी प्रदेश के अलावा केंद्रीय स्तर पर अलग अलग स्तरों पर जुटाई जा रही है।

Congress in Bastar: सर्व आदिवासी समाज के नेताओं पर नजर

बस्तर में पूर्व मंत्री मनोज मंडावी के निधन के बाद रिक्त हुई भानूप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज के नेताओं की सक्रियता से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जहां कांग्रेस के लिए साफ्ट कार्नर रखने वाले कई बड़े आदिवासी नेता सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार के पक्ष में खड़े दिखे। हालांकि कांग्रेस ने जीत हासिल की। पर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार अकबर राम कोर्राम को मिले 23,371 वोट ने कांग्रेस को चौंका दिया।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

जबकि इस सीट पर दिवंगत कांग्रेस विधायक की लोकप्रियता और उनकी प​त्नी सावित्री मंडावी को पार्टी उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस को उम्मीद थी कि सहानुभूति वोट से वो ​रिकार्ड मतों से जीत हासिल करेगी, दावा तो यहां तक किया गया था कि बीजेपी की जमानत जब्त हो जाएगी।

Congress in Bastar: मगर जब नतीजे आए तो एकबारगी से कांग्रेस भी सोच में पड़ गई। इस उप चुनाव में डाले गए कुल मतों में से सावित्री नेताम को 65327, बीजेपी के ब्राहृमानंद नेताम को 44229 और सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार अकबर राम कोर्राम को 23371 मत मिले।

Congress in Bastar: आंकड़ों पर गौर करें तो यहां प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद बीजेपी यहां अपना वोट बैंक बचा पाने में सफल रही। यही बात बीजेपी के लिए बस्तर में आने वाले समय में प्लस साबित हो रही है। इसी वजह से बीजेपी ने बस्तर में अपना फोकस बढ़ा दिया। वहीं सर्व आदिवासी समाज को मिले वोट कांग्रेस को परेशान कर रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री व आदिवासी नेता अरविंद नेताम को नोटिस

Congress in Bastar: बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम की पिछले चुनाव में सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस में वापसी कराई थी। हालांकि वो कांग्रेस से जुड़े रहे मगर आदिवासी आरक्षण के मामले में नेताम की पार्टी से अलग लीक पर चलने को पार्टी गंभीरता से ले रही है।

यही वजह है कि कांग्रेस की केंद्रीय अनुशासन समिति की ओर से उन्हें पार्टी से अलग लीक पर चलने पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले गतिविधियों के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी कर सवाल जवाब किया गया है। नोटिस में इस बात को साफ किया है कि नेताम ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ काम किया और भानुप्रताप उपचुनाव में आदिवासी समाज के कैंडिडेट को समर्थन दिया। जिसे पार्टी अनुशासन हीनता मान रही है। सूत्र बताते हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले बस्तर के कुछ आदिवासी नेता कांग्रेस से किनारा कर सकते हैं। यानि बस्तर में कांग्रेस के लिए आल इज वेल नहीं कहा जा सकता। वहीं बीजेपी इसे भुनाने में लगी है। आने वाले समय में आदिवासी आरक्षण के अलावा बस्तर में आदिवासियों के धर्मातंरण का मुद्दा बड़ा चुनावी फैक्टर साबित हो सकता है।

Pradesh Khabar

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!