
महासमुंद में सुशासन तिहार: राजस्व विभाग ने सीमांकन व भू-अभिलेख प्रकरणों का त्वरित समाधान किया
महासमुंद जिले में सुशासन तिहार के तहत राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन, किसान किताब वितरण और भू-अभिलेख की समस्याओं का त्वरित समाधान किया गया। कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के मार्गदर्शन में आम जनता को राहत देने वाले प्रयासों की सराहना हो रही है।
सुशासन तिहार : राजस्व प्रकरणों का त्वरित समाधान और जमीन स्तर पर बदलाव की नई शुरुआत
01 मई 2025, महासमुंद | महासमुंद जिले में ‘सुशासन तिहार’ के तहत चलाया जा रहा प्रशासनिक अभियान न केवल राजस्व विभाग की दक्षता का प्रमाण है, बल्कि आम जनता को राहत देने वाली ठोस पहल भी बनकर उभरा है। कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के मार्गदर्शन में राजस्व विभाग की टीम ने जिस तत्परता से वर्षों से लंबित प्रकरणों का समाधान किया है, वह प्रशंसनीय है।
सीमांकन प्रकरणों का त्वरित निराकरण
सुशासन तिहार के दौरान सीमांकन जैसे जटिल मामलों का त्वरित निराकरण प्राथमिकता से किया गया। ग्राम चौकबेड़ा के किसान श्री ब्रज प्रसाद की भूमि का सीमांकन वर्षों से लंबित था, जिससे उनकी खेती प्रभावित हो रही थी। अभियान के दौरान मात्र दो दिनों में सीमांकन कर रिपोर्ट सौंपी गई, जिससे किसान परिवार में उत्साह का वातावरण बना। इसी प्रकार उपतहसील पटेवा के किसान पंचराम और ग्राम झाखरमुडा के ग्रामीणों की समस्याओं का भी समाधान किया गया।
आम जनजीवन की छोटी लेकिन महत्वपूर्ण समस्याओं का हल
इस अभियान में केवल बड़े प्रकरण ही नहीं, बल्कि भू-अभिलेख की प्रतिलिपि, सीमांकन रिपोर्ट की प्रति, किसान किताब, भूमि स्वामित्व की त्रुटियों में सुधार, खातों की अद्यतन जानकारी जैसी मामूली लेकिन अत्यंत आवश्यक समस्याओं का भी तत्काल समाधान किया गया।
दस्तावेज़ों का वितरण और किसान किताब प्रदान
राजस्व विभाग ने बसना तहसील के ग्राम डूमरपाली निवासी किसान महेशराम, ग्राम जगत के मीन केतन और राजकुमार को तहसीलदार ममता ठाकुर के हाथों किसान किताब सौंपी। वहीं बागबाहरा के ग्राम तेंदुलोथा की श्रीमती पुरी हरपाल को भी एक सप्ताह के भीतर किसान किताब प्राप्त हो गई।
जनता में विश्वास, शासन द्वार तक
बसना के किसान पंचराम ने कहा, “अब हमें तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ते, अफसर खुद गांव आकर समाधान कर रहे हैं।” मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार की यह पहल आम जनता से जुड़ाव और त्वरित समाधान का बेहतरीन उदाहरण है।
‘सुशासन तिहार’ केवल एक प्रशासनिक अभियान नहीं, बल्कि शासन की संवेदनशीलता और जवाबदेही का प्रमाण है। यदि इसी तरह कार्य होते रहें, तो यह पहल स्थायी बदलाव की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध हो सकती है।