
लखपति दीदी मधु कंवर : मजदूरी से सीएचसी संचालक बनने तक की प्रेरक यात्रा
धमतरी की मधु कंवर ने खेतों में मजदूरी और मशरूम उत्पादन से शुरुआत कर आज कॉमन सर्विस सेंटर (सीएचसी) चला रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में आजीविका मिशन ने बदली उनकी तकदीर।
सारंगपुरी की मधु कंवर बनीं लखपति दीदी: मजदूरी से सीएचसी तक का सफर
धमतरी, 07 मई 2025: धमतरी जिले के सारंगपुरी पंचायत की श्रीमती मधु कंवर की सफलता की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार के ग्रामीण विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयासों को भी उजागर करती है। श्रीमती कंवर अब ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं, जिन्होंने कभी खेतों में मजदूरी की और मशरूम उगाकर आजीविका कमाई, लेकिन अब वे अपने गांव में स्थित कॉमन सर्विस सेंटर (सीएचसी) चला रही हैं, जिससे वे प्रतिमाह 10-12 हजार रुपये कमा रही हैं।
मधु कंवर की यह सफलता की कहानी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय आजीविका मिशन के माध्यम से आकार ले पाई। श्रीमती कंवर ने अपने संघर्षपूर्ण जीवन में परिवार की खराब आर्थिक स्थिति और सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी मेहनत से एक नया मुकाम हासिल किया है।
मधु कंवर बताती हैं कि पहले उनके परिवार की स्थिति बहुत खराब थी, वे बड़े किसानों के खेतों में मजदूरी करती थीं और घर की आवश्यकताएँ पूरी करना भी एक चुनौती थी। लेकिन जब वे जय मां कर्मा महिला स्व सहायता समूह से जुड़ीं, तो उनका जीवन बदलने की दिशा में कदम बढ़े। उन्होंने धान खरीदी-बिक्री, मशरूम उत्पादन जैसे कामों की शुरुआत की और फिर समूह के माध्यम से लोन लेकर घर में ही एक कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किया।
इस केंद्र में उन्होंने सरकारी सुविधाओं का लाभ देने वाली ई-गवर्नेंस सेवाएँ जैसे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ बनाने की शुरुआत की। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी, बल्कि आसपास के गांवों के लोगों को भी इन सेवाओं का लाभ मिला।
मधु कंवर और उनके समूह ने मोमबत्ती बनाना, केक बनाना, मछली पालन जैसे कई स्वरोजगार के अवसरों को अपनाया है। आज वे अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के साथ-साथ समाज और परिवार के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं।
श्रीमती कंवर का कहना है, “स्व-सहायता समूह से जुड़कर और आत्मनिर्भर बनकर न केवल मैंने अपनी स्थिति को बेहतर किया, बल्कि अब मैं दूसरों को भी यह प्रेरणा देती हूं कि वे भी इस दिशा में कदम बढ़ाएं।”
यह कहानी न केवल श्रीमती कंवर की बल्कि पूरे राज्य की ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल प्रस्तुत करती है।