
SCO में आतंकवाद के खिलाफ भारत की बड़ी जीत:पाकिस्तानी PM की मौजूदगी में पहलगाम हमले की निंदा, मेंबर देश बोले- आतंकियों को सजा दिलाना जरूरी बीजिंग
SCO में आतंकवाद के खिलाफ भारत की बड़ी जीत:पाकिस्तानी PM की मौजूदगी में पहलगाम हमले की निंदा, मेंबर देश बोले- आतंकियों को सजा दिलाना जरूरी बीजिंग
चीन में SCO समिट के दूसरे दिन भारत को बड़ी सफलता मिली है। घोषणापत्र में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई है।
इस दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। घोषणा पत्र में कहा गया कि इस हमले के अपराधियों, आयोजकों और उन्हें समर्थन देने वालों को सजा दिलाना जरूरी है।
गौरतलब है कि इससे पहले जून में हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान SCO के घोषणापत्र में पहलगाम हमले का जिक्र भी नहीं था। इसे लेकर भारत ने नाराजगी जताई थी। साथ ही इस पर साइन करने से इनकार कर दिया था।
SCO समिट से जुड़ी 5 तस्वीरें…
मोदी, पुतिन और जिनपिंग फोटो सेशन के बाद एकसाथ दिखे।
मोदी, जिनपिंग और पुतिन SCO सत्र को संबोधित करने के लिए जाते हुए।
पुतिन और मोदी ने एक दूसरे को गले लगाया।
SCO मंच पर पुतिन से बात करते रहे मोदी, बाजू में खड़े पाकिस्तानी PM शहबाज टकटकी लगाए देखते रहे।
SCO की बैठक से पहले सदस्य देशों के नेता फोटो सेशन में शामिल हुए।
मोदी बोले- कुछ देशों को आतंकवाद के खुले समर्थन की छूट क्यों
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन दौरे आखिरी दिन SCO की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद को दुनिया के लिए खतरा बताया।
उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए इसे आतंकवाद का सबसे बुरा रूप बताया। मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद को पिछले चार दशकों से झेल रहा है।
पीएम ने सवाल उठाया कि कुछ देशों का आतंकवाद को खुला समर्थन कैसे स्वीकार किया जा रहा है।
मोदी के चीन दौरे से जुड़े अपडेट्स के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए…
लाइव अपडेट्स
मोदी बोले– मुश्किल हालात में भी साथ रहे भारत-रूस
पुतिन से बैठक में मोदी ने कहा कि भारत और रूस हमेशा कठिन परिस्थितियों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं।
मोदी ने कहा कि दोनों देशों का घनिष्ठ सहयोग न सिर्फ भारत और रूस की जनता के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।
मोदी बोले- पुतिन का भारत में बेसब्री से इंतजार
पुतिन के साथ द्विपक्षीय बातचीत में मोदी ने कहा कि 140 करोड़ भारतीय इस साल दिसंबर में होने वाले 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पुतिन से मुलाकात हमेशा यादगार अनुभव रहती है और दोनों नेताओं को कई मुद्दों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलता है।
मोदी और पुतिन की द्विपक्षीय बातचीत शुरू
SCO समिट के इतर प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो गई है।
SCO सत्र में पीएम मोदी के संबोधन पर विदेश मंत्रालय का बयान
SCO की में मोदी के बयान पर पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पोस्ट किया।
जायसवाल ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने SCO के तहत सहयोग मजबूत करने की भारत की सोच रखी।
उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ ठोस और निर्णायक कदम उठाने की अपील की।
मोदी और पुतिन एक ही कार से बैठक के लिए रवाना
प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन चीन के तियानजिन में द्विपक्षीय बैठक के लिए एक ही कार से रवाना हुए।
पुतिन बोले- SCO स्थिरता और सुरक्षा का नया मॉडल है
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) स्थिरता और सुरक्षा का नया मॉडल है। उन्होंने बताया कि यह अब पुराने, यूरोप-केन्द्रित और यूरो-अटलांटिक मॉडल की जगह ले रहा है।
SCO में आतंकवाद के खिलाफ भारत की बड़ी जीत
चीन में SCO समिट के दूसरे दिन भारत को बड़ी सफलता मिली है। घोषणापत्र में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई है।
इस दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। घोषणा पत्र में कहा गया कि इस हमले के अपराधियों, आयोजकों और उन्हें समर्थन देने वालों को सजा दिलाना जरूरी है।
गौरतलब है कि इससे पहले जून में हुई रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान SCO के घोषणापत्र में पहलगाम हमले का जिक्र भी नहीं था। इसे लेकर भारत ने नाराजगी जताई थी। साथ ही इस पर साइन करने से इनकार कर दिया था।
पुतिन ने यूक्रेन मुद्दे पर भारत-चीन की तारीफ की
SCO की बैठक में पुतिन ने कहा कि
मैं यूक्रेन में संकट को हल करने के लिए भारत और चीन के प्रयासों की सराहना करता हूं।
‘आतंकवाद को खुला समर्थन स्वीकार्य नहीं’
मोदी ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकवाद पर किसी भी तरह का दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा,
यह हमला मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और व्यक्ति के लिए चुनौती है। ऐसे में यह स्वाभाविक सवाल है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को दिया जा रहा खुला समर्थन स्वीकार किया जा सकता है।
मोदी बोले- भारत चार दशक से आतंकवाद झेल रहा
SCO बैठक में मोदी ने कहा,
भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। हाल ही में हमने पहलगाम में आतंकवाद का सबसे बुरा रूप देखा। मैं इस दुख की घड़ी में हमारे साथ खड़े मित्र देश के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
मोदी बोले- आतंकवाद पूरी मानवता के लिए चुनौती
SCO की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा,
सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार हैं। लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां हैं। आतंकवाद सिर्फ एक देश की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है। कोई भी देश, कोई भी समाज, कोई भी नागरिक इससे खुद को सुरक्षित नहीं मान सकता।
मोदी बोले- SCO मतलब, सिक्योरिटी, कनेक्टिविटी और अपॉर्चुनिटी
SCO की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि
मुझे इस सम्मेलन में शामिल होकर खुशी हो रही है। मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग का शानदार स्वागत के लिए आभार व्यक्त करता हूं। आज उज्बेकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने SCO में एक सकारात्मक भूमिका निभाई है। उन्होंने संगठन के लिए भारत की सोच और नीति को तीन स्तंभों पर आधारित बताया। ये तीन स्तंभ S- सिक्योरिटी, C- कनेक्टिविटी और O अपॉर्चुनिटी है।
SCO में पीएम मोदी का संबोधन शुरू
मोदी बोले- पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात होती है
SCO मेंबर्स को 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट
SCO समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस साल शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों को 2 बिलियन युआन यानी करीब 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट देने की घोषणा की।
यह मदद सदस्य देशों की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए होगी।
जिनपिंग बोले- आतंकवाद, अलगाववाद , उग्रवाद के खिलाफ
SCO बैठक को संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि यह संगठन आतंकवाद, अलगाववाद , उग्रवाद के खिलाफ है। जिनपिंग ने कहा कि चीन SCO को आगे ले जाने का काम करेगा। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक नीति में धमकाना नामंजूर है।
चीनी राष्ट्रपति ने SCO की बैठक को संबोधित किया
कुछ देर में होगी मोदी-पुतिन की बातचीत प्रधानमंत्री
मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी। दोनों 9:45 से 10:30 बजे तक बातचीत करेंगे। इसके बाद मोदी भारत के लिए रवाना हो जाएंगे।
एकसाथ दिखे मोदी-पुतिन-जिनपिंग
प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन SCO के मंच पर एक साथ नजर आए। तीनों नेता आपस में बात करते देखे गए। इस दौरान तीन देशों की ट्रायो डिप्लोमेसी देखने को मिली।
मोदी पुतिन ने एक दूसरे को गले लगाया
SCO की बैठक से पहले मोदी और पुतिन ने अनौपचारिक मुलाकात की। दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाया।
SCO बैठक से पहले मोदी, पुतिन और जिनपिंग साथ दिखे
इस बार की SCO समिट 6 वजहों से खास
- गलवान झड़प के बाद मोदी का पहला चीन दौरा: 5 साल पहले भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद यह पहला मौका है जब मोदी चीन पहुंचे हैं। इस वजह से पूरी दुनिया की नजर इस समिट पर है।
- ट्रम्प का SCO देशों पर हाई टैरिफ: ट्रम्प ने भारत (50%), चीन (30%), कजाकिस्तान (25%) समेत बाकी SCO देशों पर भी हाई टैरिफ लगाया है। ऐसे में यह उन देशों के लिए अहम है जो अमेरिकी दबाव के खिलाफ साझा मंच पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं।
- अमेरिका की लीडरशिप को चुनौती: जिनपिंग इस समिट को अमेरिका के नेतृत्व वाले ग्लोबल ऑर्डर का विकल्प पेश करने का मंच बनाना चाहते हैं। चीन यह दिखाना चाहता है कि वह रूस, भारत, ईरान जैसे देशों के साथ मिलकर ऑप्शनल पावर बन सकता है।
- भारत का एजेंडा- आतंकवाद पर फोकस: जून 2025 में हुई SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने जॉइंट स्टेटमेंट पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, उसमें पहलगाम आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं था। अब मुख्य मीटिंग में भारत, आतंकवाद पर चर्चा और समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा। पाकिस्तान की मौजूदगी में यह मुद्दा छाया रहेगा।
- 20 से ज्यादा देशों की मौजूदगी: इस बार समिट में सिर्फ SCO सदस्य ही नहीं, बल्कि ऑब्जर्वर और पार्टनर देशों को मिलाकर 20 से ज्यादा देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं।
- भारत-चीन में रिश्ते बेहतर हुए: गलवान के बाद पहली बार सीमा और व्यापार पर कुछ नरमी दिखी है। सीधी उड़ानें शुरू हुईं, बॉर्डर ट्रेड पर बातचीत हुई, कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल हुई।
SCO कवर करने 3 हजार से ज्यादा पत्रकार पहुंचे
SCO शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए 3000 से ज्यादा पत्रकार पहुंचे हैं, जो इसकी वैश्विक अहमियत को दिखाता है।
पीएम मोदी और जिनपिंग की बातचीत के प्रमुख मुद्दे
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने रविवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात का डिटेल ब्योरा दिया। यह पिछले एक साल में दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले दोनों अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में मिले थे।
- साझेदारी और शांति पर जोर- दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और चीन एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार हैं। दोनों देशों के दोस्ताना रिश्ते 2.8 अरब लोगों के लिए फायदेमंद होंगे। एशिया और दुनिया में मल्टी पोलर सिस्टम के लिए भारत-चीन का सहयोग जरूरी है।
- सीमा मुद्दे पर चर्चा- पीएम मोदी ने सीमा पर शांति बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पिछले साल में हुए समझौते और सीमा पर शांति बनाए रखने तारीफ की। मौजूदा सिस्टम के जरिए शांति बनाए रखने पर सहमति बनी।
- जिनपिंग ने 4 सुझाव दिए- राष्ट्रपति शी ने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चार सुझाव दिए- 1. डिप्लोमेटिक संवाद बढ़ाना, 2. आपसी भरोसा मजबूत करना, 3. आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाना, 4. एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखना और ग्लोबल मंचों पर साझा हितों की रक्षा करना।
- सीमा विवाद और अन्य मुद्दे- दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को आपसी सम्मान और दोनों देशों के हितों को ध्यान में रखकर हल करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने व्यापार संतुलन, लोगों के बीच संपर्क, सीमा पार नदियों पर सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने पर भी बात की।
- BRICS सम्मेलन का न्योता- पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले BRICS सम्मेलन का न्योता दिया। शी ने न्योते के लिए शुक्रिया कहा और भारत की BRICS अध्यक्षता को समर्थन देने का वादा किया। पीएम मोदी ने चीन की SCO अध्यक्षता और तियानजिन समिट को भी समर्थन दिया।
- आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा- पीएम मोदी ने जिनपिंग के सामने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद की समस्या का सामना भारत और चीन दोनों ने किया है। वहीं, चीन ने इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह से अपना समर्थन देने का भरोसा दिया।
- ग्लोबल संगठनों में सुधार की जरूरत- पीएम मोदी ने कहा कि WTO और UN जैसी संस्थाओं में खामियां हैं। भारत और चीन जैसे बड़े देशों के लिए यह साझा हित का विषय है, क्योंकि दोनों देश ग्लोबल आर्थिक और वित्तीय प्लेटफॉर्म पर अहम भूमिका निभाते हैं।
- डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने की योजना- भारत और चीन के बीच जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू हो सकती हैं। हाल के महीनों में इस पर तकनीकी स्तर की कई दौर की बातचीत हुई है। दोनों पक्षों के बीच उड़ानों को फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है।
- व्यापार घाटा- भारत और चीन के बीच बड़े व्यापार घाटे पर भी चर्चा हुई। यह मुद्दा कई सालों से बातचीत का हिस्सा रहा है। व्यापार घाटे को कम करने और पारदर्शी नीतियों के जरिए संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया।
- ताइवान पर भारत का रुख- भारत ने बार फिर क्लियर किया कि ताइवान को लेकर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं है। भारत पूरी तरह वन चाइना पॉलिसी को मानता है।
मोदी और जिनपिंग ने द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ मिलाए।
रिश्तों में नरमी, लेकिन पुराने विवाद बरकरार
मोदी के चीन दौरे के बाद भारत और चीन के रिश्तों में नरमी के संकेत दिखे हैं। 2020 की गलवान झड़प के बाद पहली बार दोनों देशों ने सीमा और व्यापार से जुड़े कई अहम मसलों पर सहमति बनाई है।
लेकिन सीमा विवाद और पानी के मसले जैसे बड़े विवाद बने हुए हैं। आर्थिक दबाव और वैश्विक हालात ने दोनों को साथ बैठने पर मजबूर किया है, पर पूरी तरह भरोसा बनने में वक्त लग सकता है।