
आधार सुधार में मुश्किल: भोपाल-दिल्ली तक भटक रहे लोग, हेल्पलाइन भी बेअसर
ग्वालियर में आधार सुधार के लिए लोग परेशान हैं। फिंगर मिक्स, नाम में गलती और जन्मतिथि त्रुटि के कारण हजारों लोग भोपाल-दिल्ली तक भटक रहे हैं। जानें पूरी रिपोर्ट।
आधार की गलती बनी सिरदर्द, भोपाल से दिल्ली तक भटक रहे लोग, नहीं मिल रहा समाधान
आधार सुधार में मुश्किल: भोपाल-दिल्ली तक भटक रहे लोग, हेल्पलाइन भी बेअसर
ग्वालियर में आधार सुधार के लिए लोग परेशान हैं। फिंगर मिक्स, नाम में गलती और जन्मतिथि त्रुटि के कारण हजारों लोग भोपाल-दिल्ली तक भटक रहे हैं। जानें पूरी रिपोर्ट।
ग्वालियर। आधार कार्ड, जो पहचान और सरकारी योजनाओं का सबसे अहम दस्तावेज माना जाता है, आज कई लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है। ग्वालियर में रोजाना 10 से 12 लोग कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी समस्याएं बताते हैं, लेकिन समाधान कहीं नहीं मिल रहा। न भोपाल में मदद मिल रही है, न ही दिल्ली में।
फिंगरप्रिंट मिक्स होने से बड़ी मुश्किल
अमित लक्षकार, ग्वालियर निवासी, ने अपने बेटा-बेटी का आधार बनवाया। लेकिन बेटे के आधार में बेटी के फिंगरप्रिंट दर्ज हो गए। नतीजा यह हुआ कि बेटे का आधार कार्ड बन ही नहीं पाया। उन्होंने शहर के हर आधार सेंटर के चक्कर लगाए, फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट से UIDAI को मेल भेजा गया, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। थक-हारकर वे भोपाल और दिल्ली तक गए, फिर भी समस्या जस की तस है।
“बेटे का आधार न होने की वजह से उसका स्कूल एडमिशन तक अटक गया है। यह एक छोटी सी गलती है, लेकिन इसे ठीक करने में महीनों से परेशान हो रहा हूं,” अमित लक्षकार बताते हैं।
लोग क्यों हो रहे परेशान?
कलेक्ट्रेट कर्मचारियों के मुताबिक, हर दिन 10-12 लोग आधार की गलतियों के समाधान के लिए आते हैं। ज्यादातर मामलों में नाम में स्पेलिंग मिस्टेक, फिंगरप्रिंट मिक्सअप और जन्मतिथि की त्रुटि होती है। खासतौर पर फिंगर और फोटो मिक्स हो जाएं तो सुधार बेहद मुश्किल हो जाता है।
आधार सुधार में आ रही बड़ी दिक्कतें
स्पेलिंग मिस्टेक: आधार बनवाते समय लापरवाही से नाम गलत लिखा जा रहा है।
फिंगर और फोटो मिक्स: सबसे बड़ी समस्या यही है। तकनीकी गलती के कारण एक बच्चे के आधार में दूसरे के फिंगर जुड़ जाते हैं।
जन्मतिथि में त्रुटि: UIDAI के नियमों के मुताबिक, जन्मतिथि एक बार ही ऑनलाइन या सेंटर पर अपडेट हो सकती है। उसके बाद बदलाव के लिए सरकारी नोटिफिकेशन का प्रकाशन कराना पड़ता है, जिस पर 5 से 8 हजार रुपए तक खर्च आ रहा है।
हेल्पलाइन भी नहीं दे रहीं मदद
UIDAI द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबरों पर भी लोगों को मदद नहीं मिल रही। कॉल रिसीव नहीं होते या सिर्फ ऑटोमैटिक रिकॉर्डिंग सुनाई देती है।
नागरिकों पर पड़ रहा असर
आधार की गलती के कारण बच्चों का स्कूल एडमिशन रुक रहा है, बैंक अकाउंट नहीं खुल पा रहे, सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। आधार अब जीवन के हर क्षेत्र में जरूरी हो गया है, ऐसे में एक छोटी गलती बड़ी परेशानी का कारण बन रही है।
विशेषज्ञों का कहना
डिजिटल गवर्नेंस एक्सपर्ट का कहना है कि “आधार में सुधार के लिए मजबूत सिस्टम की जरूरत है। UIDAI को ऐसे मामलों के लिए तेज़ समाधान देने वाले स्पेशल ग्रिवांस सेल बनाने चाहिए। साथ ही लोकल स्तर पर भी ऑथराइज्ड सुपरवाइजर मौजूद होने चाहिए, जो गंभीर मामलों का तुरंत निपटारा करें।”
क्या कहता है UIDAI?
UIDAI का दावा है कि अधिकांश समस्याएं ऑनलाइन और आधार सेवा केंद्रों के जरिए हल हो जाती हैं। लेकिन ग्राउंड पर हकीकत अलग है। खासकर फिंगर मिक्स या बायोमेट्रिक एरर वाले मामलों में समाधान लगभग असंभव हो जाता है।
समाधान क्या हो सकता है?
जिला स्तर पर स्पेशल हेल्प डेस्क बने।
बायोमेट्रिक री-वेरीफिकेशन सेंटर खोले जाएं।
हेल्पलाइन नंबरों को ऑटोमेटिक मैसेजिंग के बजाय लाइव सपोर्ट पर लाया जाए।