
बलरामपुर जिले में आकाशीय बिजली से तीन मवेशियों की मौत, आंधी-तूफान से जनजीवन प्रभावित
बलरामपुर जिले में आकाशीय बिजली से तीन मवेशियों की मौत, आंधी-तूफान से जनजीवन प्रभावित
बलरामपुर। जिले के ग्राम बनापति, पुलिस चौकी विजयनगर क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने से बड़ा हादसा हो गया। इस प्राकृतिक आपदा में ग्रामीण शिवकुमार पिता धनराज के तीन मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं तेज आंधी-तूफान से लुरगी क्षेत्र में विद्युत पोल व तार टूट गए और पेड़ गिरने से आवागमन घंटों बाधित रहा। इस हादसे ने पूरे इलाके को दहला दिया और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
अचानक बदला मौसम और हुआ हादसा
गुरुवार की शाम मौसम अचानक खराब हो गया। आसमान में काले बादल छा गए और तेज आंधी-तूफान के साथ बिजली चमकने लगी। उसी समय ग्राम बनापति निवासी शिवकुमार अपने गाय-बैल को चारा खिलाकर घर के पास एक पेड़ के नीचे बांध चुके थे। देखते ही देखते अचानक गरज-चमक के बीच आकाशीय बिजली गिरी और तीनों मवेशी उसकी चपेट में आ गए। तेज धमाके के साथ हुए इस हादसे में मवेशियों की मौके पर ही मौत हो गई।
ग्रामीणों के अनुसार बिजली गिरते ही पूरा क्षेत्र कांप उठा और जोरदार आवाज सुनकर लोग दहशत में आ गए। आसपास मौजूद लोगों ने जब घर के पास पहुंचकर देखा तो तीनों मवेशी मृत अवस्था में पड़े थे।
मालिक भी आया चपेट में
घटना में मवेशियों के मालिक शिवकुमार भी घायल हो गए। बताया जाता है कि बिजली गिरने का असर उनके शरीर पर भी पड़ा है, जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शिवकुमार कुछ ही कदम और नजदीक होते तो यह हादसा और भी गंभीर हो सकता था।
आंधी-तूफान से लुरगी क्षेत्र में भारी नुकसान
इधर, आंधी-तूफान के असर से लुरगी मोड़ के पास एक विद्युत पोल टूट गया और तार क्षतिग्रस्त हो गए। इससे न केवल बिजली आपूर्ति बाधित हुई बल्कि लोगों को अंधेरे में रात बितानी पड़ी। वहीं, रामानुजगंज से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम लुरगी में मुख्य सड़क पर लिप्टिस का विशाल पेड़ गिर पड़ा।
इस वजह से सड़क पर आवागमन पूरी तरह ठप हो गया और दोनों ओर से वाहनों की लंबी कतार लग गई। घंटों तक जाम की स्थिति बनी रही। पेड़ गिरने से नीचे मौजूद बिजली का खंभा भी क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे विद्युत आपूर्ति बहाल करना और चुनौतीपूर्ण हो गया।
ग्रामीणों की परेशानी और अफरा-तफरी
घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने बताया कि अचानक आई इस प्राकृतिक आपदा ने उनके जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों में खड़ी फसलें भी आंधी और तेज हवा से प्रभावित हुईं। वहीं, बिजली खंभा टूटने के कारण पूरे इलाके में बिजली गुल हो गई।
ग्रामीणों ने कहा कि शाम से लेकर देर रात तक वे अंधेरे में रहे और संचार सेवाओं पर भी असर पड़ा। जिन लोगों के मोबाइल चार्ज नहीं थे, वे पूरी तरह बाहरी संपर्क से कट गए।
प्रशासन और बिजली विभाग की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत प्रशासन और बिजली विभाग को दी। बिजली विभाग की टीम मौके पर पहुंची और क्षतिग्रस्त तारों व पोल की मरम्मत का कार्य शुरू किया। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी।
स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर घटना का जायजा लिया और प्रभावित परिवार को सांत्वना दी। ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, मवेशियों की मौत के मामले में पशुपालन विभाग द्वारा मुआवजा राशि दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
लगातार बढ़ रहे आकाशीय बिजली के हादसे
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में आकाशीय बिजली गिरने से ग्रामीण क्षेत्रों में जान-माल का नुकसान बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मौसम में हो रहे असामान्य बदलाव इसके पीछे मुख्य कारण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों के नीचे शरण लेने की आदत लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
मौसम विभाग ने भी बार-बार चेतावनी जारी की है कि आंधी-तूफान और बारिश के समय खुले मैदान, ऊंचे पेड़ों और विद्युत पोल के पास खड़ा होना खतरे से खाली नहीं है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रभावित परिवार को शीघ्र मुआवजा दिया जाए और क्षतिग्रस्त बिजली व्यवस्था को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए। साथ ही, आकाशीय बिजली से बचाव के लिए गांव-गांव में लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जाएं और लोगों को जागरूक किया जाए।
बलरामपुर जिले की यह घटना न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा आघात है। तीन मवेशियों की मौत से परिवार को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, वहीं आंधी-तूफान से बिजली और सड़क व्यवस्था ठप होने से ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन और संबंधित विभागों की त्वरित कार्रवाई से राहत की उम्मीद है, लेकिन इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए दीर्घकालिक उपाय और ग्रामीणों में जागरूकता बेहद जरूरी है।