ताजा ख़बरेंदेशनई दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राज्य
Trending

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों की फीस और मुनाफाखोरी की जांच का अधिकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों की फीस संरचना और मुनाफाखोरी की जांच का पूरा अधिकार है। अदालत ने दो निजी स्कूलों के खातों की नए सिरे से जांच के निर्देश दिए। दुखद रूप से, इस मामले के मुख्य याचिकाकर्ता की बेटी ने बढ़ी हुई फीस न देने पर नाम काटे जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी।

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: निजी स्कूलों की फीस और मुनाफाखोरी की जांच कर सकेगा शिक्षा निदेशालय

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) को यह अधिकार प्राप्त है कि वह निजी स्कूलों की फीस संरचना और मुनाफाखोरी की जांच कर सके।

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने आदेश दिया कि शिक्षा निदेशालय दो निजी स्कूलों के खातों की नए सिरे से जांच करे और यह सुनिश्चित करे कि वसूली गई फीस का उपयोग छात्रों के हित में किया जा रहा है या नहीं।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश को अब दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह मामला वर्ष 2017 से लंबित है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों की फीस संरचना की समीक्षा और अनुचित लाभ पर कार्रवाई का पूरा अधिकार है।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.26.21 AM
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.07.47 AM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.51.38 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.47.11 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.40.50 PM
ABHYANTA DIWAS new (1)_page-0001

इस मामले के मुख्य याचिकाकर्ता की दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी ने वर्ष 2024 में आत्महत्या कर ली थी। उस समय मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था, लेकिन स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न देने पर छात्रा का नाम काट दिया था।
यह घटना स्कूल फीस विवादों के मानवीय पहलू को उजागर करती है और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

यह याचिका दो निजी स्कूलों के अभिभावकों द्वारा दायर की गई थी।
अभिभावकों का आरोप था कि दिल्ली सरकार के आदेशों के बावजूद स्कूल लगातार फीस बढ़ा रहे हैं, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ा है। वहीं, स्कूल प्रशासन ने तर्क दिया कि वे गैर-सहायता प्राप्त (unaided) संस्थान हैं और अपने संचालन खर्च को पूरा करने के लिए फीस में वृद्धि आवश्यक है।

कोर्ट ने कहा कि शिक्षा किसी भी रूप में व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो सकती।
यदि स्कूल फीस के नाम पर अनुचित मुनाफा कमा रहे हैं, तो शिक्षा निदेशालय को हस्तक्षेप करना चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

Ashish Sinha

WhatsApp Image 2025-08-15 at 7.06.25 AM
WhatsApp Image 2025-08-15 at 7.00.23 AM
WhatsApp Image 2025-08-15 at 6.52.56 AM
WhatsApp Image 2025-08-15 at 7.31.04 AM
e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.51 AM (2)
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.53 AM (1)
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.52 AM (1)
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.51 AM
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.54 AM
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.54 AM (2)
WhatsApp Image 2025-08-28 at 12.06.50 AM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!