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अयोध्या धाम। संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी प्रभु श्री रामलला का श्रृंगार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या धाम में प्रतिदिन भव्य रूप में होता है। बुधवार, 15 अक्टूबर (कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि, तत्पश्चात पूर्णिमा तिथि, विक्रम संवत 2082) को रामलला सरकार का शुभ और अलौकिक श्रृंगार किया गया।
रामलला प्रतिदिन भक्तों को अलग-अलग और दिव्य रूप में दर्शन देते हैं।
रामलला की दिनचर्या की शुरुआत उन्हें जगाने से होती है, जिसके बाद पूजन शुरू होता है:
राम मंदिर की रसोई में बने व्यंजन चार समय रामलला को परोसे जाते हैं, जो हर दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग होते हैं:
समय | कार्यक्रम | विवरण |
सुबह 6:30 बजे | पहली आरती | रामलला को जगाने के बाद पहली आरती होती है। |
सुबह (शुरुआत में) | बाल भोग | दिन की शुरुआत बाल भोग से होती है। |
दोपहर 12:00 बजे | भोग आरती | दोपहर का भोग लगाया जाता है। |
शाम 7:30 बजे | दर्शन बंद | भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। |
शाम 7:30 बजे | संध्या आरती | साढ़े सात बजे संध्या आरती होती है। |
रात 8:30 बजे | शयन | रामलला को शयन (सोने) करवाया जाता है। |