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रूस-भारत तेल कारोबार पर असर: RIL ने कहा- यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का करेंगे पालन

अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने घोषणा की कि वह रूस से कच्चे तेल के आयात और यूरोप को निर्यात पर EU प्रतिबंधों का पालन करेगी। यह फैसला भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर असर डाल सकता है, क्योंकि भारत की 50% रूसी तेल खरीद इन्हीं प्रतिबंधित कंपनियों से होती थी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा: रूस से तेल खरीद पर EU प्रतिबंध का करेंगे पालन, भारत के ऊर्जा कारोबार में आएगी कमी

नई दिल्ली: अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) द्वारा रूस की तेल कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद, अब यह निश्चित हो गया है कि आने वाले दिनों में भारत की रूस से तेल खरीद में कमी आ सकती है। रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाली भारतीय कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने शुक्रवार देर शाम एक विस्तृत नोट जारी कर कहा है कि वह यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों का पालन करेगी और इस बारे में केंद्र सरकार के मार्गदर्शन का अनुसरण करेगी।

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यह बयान इस बात का सीधा संकेत है कि रूस और भारत के बीच तेल कारोबार में कमी आने वाली है।

RIL का आधिकारिक बयान

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने नोट में निम्नलिखित बातें कही हैं:

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  • प्रतिबंधों पर संज्ञान: “हमने यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात और यूरोप को परिष्कृत उत्पादों के निर्यात पर हाल ही में घोषित प्रतिबंधों को नोट किया है। रिलायंस वर्तमान में इसके प्रभावों का आकलन कर रहा है, जिसमें नई अनुपालन आवश्यकताएं भी शामिल हैं।”
  • अनुपालन की प्रतिबद्धता: कंपनी ने कहा कि वह “लागू प्रतिबंधों और नियामक ढांचों के प्रति अपने दीर्घकालिक और निष्कलंक अनुपालन रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और अनुपालन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रिफाइनरी संचालन में आवश्यक बदलाव भी करेगी।”
  • सरकारी मार्गदर्शन: रिलायंस ने स्पष्ट किया कि, “हम यूरोप में परिष्कृत उत्पादों के आयात पर यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। जब भी इस संबंध में भारतीय सरकार से कोई मार्गदर्शन प्राप्त होगा, हम हमेशा की तरह उसका पूर्ण रूप से पालन करेंगे।”

प्रतिबंध का प्रभाव

  • रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध: अमेरिका ने बुधवार को रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर नया प्रतिबंध लगा दिया है, जिसकी वजह से उनके लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम कारोबार करना एक तरह से असंभव हो गया है।
  • भारत पर असर: भारत हाल के समय में रूस से जितना तेल आयात कर रहा था, उसका 50 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं दोनों कंपनियों की तरफ से आ रहा था। भारतीय कंपनियों, खासकर RIL, के लिए अब इनके साथ कारोबार करना मुश्किल हो चुका है।

रिलायंस ने विश्वास जताया है कि कच्चे तेल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की उसकी आजमाई हुई रणनीति से घरेलू और निर्यात आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाएगा। आधिकारिक तौर पर भारत का विदेश मंत्रालय कह चुका है कि सरकार ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही कदम उठाएगी।


Ashish Sinha

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