छत्तीसगढ़ब्रेकिंग न्यूज़राज्यसरगुजा

नेशनल लोक अदालत में हार-जीत नहीं बल्कि आवश्यकता के आधार पर होता है समझौता

नेशनल लोक अदालत में हार-जीत नहीं बल्कि आवश्यकता के आधार पर होता है समझौता

 

प्रभा सिंह यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// नेशनल लोक अदालत में मामलों का निराकरण पक्षकारों के आपसी सुलहनामें तथा आवश्यकता के आधार पर किया जाता है। इसमें किसी पक्षकार की हार जीत नहीं होती बल्कि दोनों पक्ष की रजामंदी होती है। नेशनल लोक अदालत के माध्यम से समझौता हो जाने पर पक्षकारों को सुनवाई के लिए आने-जाने में होने वाली खर्च की बचत होती है।यह बातें बुधवार को नया सदन स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपर जिला न्यायधीश आनंद राम ढीढी ने कहा।उन्होंने बताया कि 11 सितम्बर 2021 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। नेशनल लोक अदालत में प्रीलिटीगेशन प्रकरणों का अधिक से अधिक निराकरण समझौता के आधार पर किया जाएगा।

WhatsApp Image 2025-10-31 at 2.58.20 PM (1)
WhatsApp-Image-2025-10-31-at-2.41.35-PM-300x300
mantr
66071dc5-2d9e-4236-bea3-b3073018714b

स्थाई लोक अदालत से जनोपयोगी सेवाओं का समाधान-बताया गया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्रारिधकरण 1987 की धारा 22 बी के अंतर्गत जनोपयोगी लोक अदालतों की स्थापना छत्तीसगढ़ के पांच स्ंभागीय मुख्यालय बिलासपुर, रायपुर ,दुर्ग जगदलपुर एवं सरगुजा में की गई है।इस लोक अदालत में जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित प्रकरण जैसे परिवहन, डाक फोन बिजली, पानी, प्रकाश, स्वच्छता, अस्पताल, बीमा, बैंकिग, शिक्षा, आवास एवं भू-संपदा से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की जाती है। जनोपयोगी लोक अदालत में पीड़ित पक्षकार संस्थाओं के खिलाफ आवेदन बिना किसी न्याय शुल्क के प्रस्तुत कर सकते है। जो आवेदक सक्षम नहीं है उन्हें आवेदन प्रस्तुत करने हेतु यथा संभव मद्द भी की जाती है। जनोपयोगी लोक अदालत में प्रस्तुत आवेदन आपसी राजी नामा के माध्यम से निराकृत किया जाता है।

85 बंदियों का होगा समपूर्व रिहाई- जिला विधिक सेवा के सचिव जर्नादन खरे ने बताया कि उन्मुख अभियान के तहत सजापूर्ण करने से पहले ही बंदियों की रिहाई की जा रही है। सरगुजा जिले में इस अभियान के अंतर्गत 85 बंदियों की रिहाई शीघ्र की जाएगी तथा 22 अन्य बंदियों को रिहाई के लिए चिन्हांकित किया गया है। उन्होंने बताया कि आजीवन कारावाश की सजा काट रहे बंदियों को सुखी सजा व माफी के रूप में कुल 20 वर्ष की अवधी पूर्ण होने पर समुचित सरकार द्वारा रिहाई हेतु अभिमत प्रदान की जाती है। जिसके आधार पर बंदियों को समयपूर्व रिहाई की जाती है।

Pradesh Khabar

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)
WhatsApp-Image-2025-09-23-at-1.09.26-PM-300x300
IMG-20250923-WA0360-300x300
WhatsApp-Image-2025-09-25-at-3.01.05-AM-300x298
BackgroundEraser_20250923_132554448-1-300x298
WhatsApp Image 2025-11-23 at 11.25.59 PM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!