छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यरायपुर

रायपुर : मुख्यमंत्री ने किया शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों की प्रदर्शनी का अवलोकन

रायपुर : मुख्यमंत्री ने किया शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों की प्रदर्शनी का अवलोकन

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.26.21 AM
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.07.47 AM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.51.38 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.47.11 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.40.50 PM
ABHYANTA DIWAS new (1)_page-0001

रायपुर, 14 नवम्बर 2021मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम के शुभारंभ अवसर पर छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचारों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य पाठ्य पुस्तक निगम शैलेष नितिन त्रिवेदी, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. कमलप्रीत सिंह और शिक्षा विभाग के अधिकारी और अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। 

    अतिथियों के निरीक्षण के दौरान ‘खिलौनों से सीखना’ के स्टाल में मुंगेली की श्रीमती स्वाति पाण्डेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के शिक्षकों द्वारा विगत कई माह से नियमित वेबीनार के माध्यम से स्थानीय खिलौने बनाकर उनका कक्षा में उपयोग किया जा रहा है। हमारे नायक ने भी विभिन्न नवाचारी खिलौने बनाने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित किया गया है। 

    बलौदाबाजार की श्रीमती सीमा मिश्रा ने बताया कि राज्य में कुछ महिला शिक्षकाओं ने कोरोना के दौरान छोटी-छोटी कक्षाओं के बच्चों को उनकी माताओं के माध्यम से पढ़ाने के लिए स्वप्रेरित होकर अंगना म शिक्षा कार्यक्रम डिजाइन कर प्रत्येक विकासखण्ड में टीम बनाकर शाला स्तर पर माताओं का उन्मुखीकरण का कार्य किया है और हजारों की संख्या में माताओं को घर पर रहकर बच्चों की शिक्षा के लिए तैयार किया है। 
राज्य समन्वयक श्री गौतम शर्मा ने बताया कि कोरोना के दौरान बिना किसी शासकीय आदेश के शिक्षकों ने बच्चों के सतत् सीखने के लिए कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए नवाचारी मॉडल प्रस्तुत किए। मोहल्ला कक्षाएं, ऑनलाइन शिक्षा, मोटरसायकल गुरूजी, लाउडस्पीकर से सीखना, बुल्टू के बोल, मिस्ड काल गुरूजी और न जाने क्या-क्या। इन नवाचारों की जानकारी साझा करने प्रत्येक नवाचार के लिए ब्रोशर तैयार किया गया। ऐसे नवाचारी शिक्षकों को सतत् प्रोत्साहित करने हमारे नायक के नाम से ब्लॉग लिखकर प्रतिदिन दो ब्लॉग को वेबसाईट में अपलोड करना प्रारंभ किया गया। अब तक एक हजार से अधिक ब्लॉग लिखे जा चुके हैं। कुछ ब्लॉग के सैम्पल एक पुस्तक के रूप में तैयार कर वितरण हेतु स्टाल में उपलब्ध करवाए गए हैं। 
अनुभव आधारित शिक्षा के स्टाल में अतिथियों को बताया गया कि कोरोना के बाद स्कूल खुलने पर पढ़ाई एवं सिलेबस पूरा करने पर फोकस न करते हुए बच्चों को अनुभव-आधारित शिक्षा देने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में शिक्षकों के लिए experiential learning पर आधारित आनलाइन प्रशिक्षण प्रारंभ किए जाने के साथ-साथ गांधी जी के आदर्शों के अनुरूप आदर्श गांवों का अवलोकन एवं छत्तीसगढ़ शासन की लीड योजना – नरवा, गरुवा, घुरवा एवं बाडी का अवलोकन कर सीखने का अवसर देने हेतु ग्राम भ्रमण का आयोजन किया गया। इससे संबंधित पठन सामग्री एवं फोटो फीचर, वीडियो आदि स्टाल में प्रदर्शित किए गए।

कोरोना तनाव-रहित सीखने हेतु रणनीतियां- ‘पढ़ई तुंहर दुआर 2.0’ के स्टाल में बताया गया कि स्कूलों के खुलने के बाद शिक्षकों को गैप पूरा करने सेतु पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। ग्रीष्मकाल में बच्चों को सक्रिय रखने हेतु आमाराईट कार्यक्रम संचालित किया गया। स्कूलों के खुलने के बाद बच्चों को पढ़ना, लिखना, विज्ञान एवं गणित के महत्वपूर्ण कौशलों पर अभ्यास कार्यों पर फोकस किया गया। इन मुद्दों पर बच्चों की आपस में शाला स्तर से लेकर जिले स्तर तक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। स्टाल में सेतु पाठ्यक्रम, बच्चों की विकासखंड स्तर पर चयनित हस्तलिखित पुस्तिकाएं, आमाराईट परियोजना के अंतर्गत तैयार सामग्री, बच्चों द्वारा किए जा रहे विज्ञान के विभिन्न प्रयोगों को प्रदर्शित किया गया है। यहां सौ दिन सौ कहानियां योजना से भी परिचित करवाया जा रहा है।

शिक्षा में तकनीकी के स्टाल में बिलासपुर के राज्य समन्वयक संजय रजक ने बताया गया कि कोरोना के दौरान शिक्षा में तकनीकी का बेहतर प्रयोग एवं आश्चर्यजनक रूप से विस्तार हुआ। ऑनलाइन टीचिंग, डिजिटल लर्निंग, क्राउड-सोर्सिंग, आगमेंटेड रियालिटी, जुगाड़ स्टूडियो, टेली-प्रेक्टिस जैसे प्रक्रियाओं एवं वेबसाईट का प्रदर्शन किया जा सकेगा। इस दौरान कुछ विशेषज्ञ शिक्षकों ने अन्य शिक्षकों को आसानी से तकनीक का उपयोग कर पाने के लिए हेल्प वीडियो बनाकर साझा करने का कल्चर विकसित किया। शिक्षकों ने अपने यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर हेल्प वीडियो बनाना जारी रखा। 
एक दूसरे से सीखने हेतु प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी के स्टाल में जांजगीर-चांपा जिले के शिक्षा जिला शक्ति के प्रभारी श्री संजीव सूर्यवंशी ने बताया कि राज्य में वर्तमान में आठ हजार से अधिक प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी का पंजीयन हुआ है और वे विभिन्न मुद्दों पर काम कर रहे हैं। अरिजोना विश्वविद्यालय, अमेरिका में  InSteP के माध्यम से सीखे गए इस प्रक्रिया को राज्य में अपनी स्थिति के अनुसार अनुकूलन कर सर्वप्रथम संकुल स्तर पर शिक्षकों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर मासिक समीक्षा बैठकों में अकादमिक चर्चाओं के लिए प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ।  प्रारंभिक स्तर पर प्राप्त सफलता के बाद शिक्षकों ने धीरे-धीरे अपने संकुल से बाहर निकलकर विकासखंड, जिला और राज्य के बाद अब पूरे देश में प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी का विस्तार करने में सफलता मिली। सोशल मीडिया ने इस प्रक्रिया में बहुत अधिक सहयोग दिया। छत्तीसगढ़ में गठित नवाचारी गतिविधियाँ समूह द्वारा राष्ट्रीय स्तर के वेबीनार के माध्यम से पूरे देश में एक दूसरे से सीखने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है।
व्यावसायिक एवं पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के स्टाल के प्रभारी दुर्ग के विवेकानंद दिल्लीवार बताया गया कि राज्य में बच्चों को बाजार की मांग के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा देने हेतु विकासखंडवार मांग का सर्वे कर एक-एक हायर सेकन्डरी स्कूल में उनके निकट के पॉलिटेक्निक कॉलेज के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर उपयोगी विभिन्न ट्रेड पर आधारित कोर्स प्रारंभ किया गया है। इसी प्रकार उच्च प्राथमिक स्तर पर अवकाश के दिनों बस्ता मुक्त विद्यालय एवं पूर्व व्यावसायिक कौशलों के विकास हेतु विभिन्न कौशलों से परिचय के साथ साथ उन्हें विभिन्न कुटीर एवं बड़े उद्योगों, व्यवसायों, कार्यालयों, सफल व्यक्तियों से परिचित करवाया जा रहा है। बच्चे विभिन्न व्यवसायों की बारीकियां समझ रहे हैं। 
स्टाल में विभिन्न कलाओं एवं सीखने के क्षेत्र में टेलेंटेड बच्चों का प्रस्तुतीकरण -हमारे नायक में विभिन्न कमजोरियों के बावजूद अपने अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रहे बच्चों के ब्लॉग लिखे गए हैं। राज्य में ऐसे बहु-मुखी प्रतिभा के धनी बच्चों को इस कॉन्क्लेव में आमंत्रित कर उन्हें प्रोत्साहित किया गया। स्टाल में पूरे देश में अपने गाने “बचपन का प्यार” से प्रसिद्धि पा चुके सुकमा के विद्यार्थी सहदेव को भी आमंत्रित किया गया। 

Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!