
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन: ईडी की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन: ईडी की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और पूरे प्रदेश में केंद्र सरकार और ईडी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईडी विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए काम कर रही है।
इस विरोध प्रदर्शन के तहत रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, सरगुजा सहित सभी प्रमुख जिलों में ईडी का पुतला दहन किया गया। अंबिकापुर में एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के नेतृत्व में युवाओं ने घड़ी चौक पर प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद ईडी का पुतला जलाया गया।
ईडी की कार्रवाई और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
11 मार्च 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर छापा मारा। यह कार्रवाई सात साल पुराने एक मामले से जुड़ी बताई जा रही है, जिसे अदालत पहले ही खारिज कर चुकी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाना और विपक्ष को कमजोर करना है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया में इस कार्रवाई को जनतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि किसी भी जांच एजेंसी को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए और लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
प्रदेशभर में जोरदार विरोध प्रदर्शन
विभिन्न जिलों में ईडी के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए। रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, भिलाई, बेमेतरा, राजनांदगांव, कवर्धा, जगदलपुर, सुकमा, नारायणपुर, कोण्डागांव, बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर और कोरिया में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किए और पुतला दहन किया।
अंबिकापुर में कांग्रेस का प्रदर्शन और पुतला दहन
अंबिकापुर में एनएसयूआई के नेतृत्व में बड़ी संख्या में युवाओं ने कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन से रैली निकाली और घड़ी चौक पहुंचकर जोरदार नारेबाजी की।
इस प्रदर्शन का नेतृत्व एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष आशीष जायसवाल ने किया। प्रदर्शनकारियों ने ‘ईडी वापस जाओ’, ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए।
पुलिस ने इस प्रदर्शन को रोकने के लिए घड़ी चौक पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की थी, लेकिन छात्र नेताओं ने पुतला दहन कर अपना विरोध दर्ज कराया। इस प्रदर्शन में पूर्व पार्षद सतीश बारी, प्रदेश उपाध्यक्ष हिमांशु जायसवाल, धीरज गुप्ता, अभिनव पाण्डेय, अतुल यादव, संजर नवाज, अंकित जायसवाल, नीतीश तिर्की, आयुष जायसवाल, आयुष पाण्डेय, यूनित सिंह, रंजन शर्मा, रोशन, अमित, ईश्वर प्रियांशु, आकाश, पप्पू, परवीन, चेतन गोलू, राहुल गुप्ता, सन्नी रजक, अंकित शरण सहित सैकड़ों युवा कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल थे।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ईडी की यह छापेमारी ऐसे समय में हुई है, जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। इस कार्रवाई को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जा रहा है।
हाल के वर्षों में ईडी ने जिन मामलों में कार्रवाई की है, उनमें अधिकतर विपक्षी नेताओं पर ही शिकंजा कसा गया है। चाहे वह महाराष्ट्र में, दिल्ली में या फिर झारखंड में हुई कार्रवाई हो, कई मामलों में जांच एजेंसियों की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठे हैं।
छत्तीसगढ़ में भी ईडी की यह कार्रवाई ऐसे समय हुई, जब विपक्ष अपनी चुनावी रणनीति को मजबूत करने में लगा था। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में ईडी की इस कार्रवाई ने एक बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा प्रमुख बन सकता है। अब यह देखना होगा कि क्या यह आंदोलन विपक्ष को मजबूती देगा, या फिर इससे राजनीतिक माहौल और अधिक जटिल होगा?
फिलहाल, छत्तीसगढ़ की राजनीति में नए मोड़ देखने को मिल सकते हैं और यह मामला आने वाले दिनों में और गरमा सकता है।