
भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक फेडरेशन निरंतर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहा है स्वामी नाथ जायसवाल
भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक फेडरेशन निरंतर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहा है स्वामी नाथ जायसवाल
नई दिल्ली प्रेस वार्ता में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के अध्यक्ष स्वामीनाथ जायसवाल ने बताया कल भारतीय राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस (इंटक) के सभी राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पदाधिकारियों की एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्हर्चुअल मिटिंग आयोजित की गई थी। इस मिटिंग में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब एवं गोवा इन पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा की गई। भारतीय राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं ने अपने अध्यक्षीय भाषण में उपरोक्त पांच राज्यों की अपनी टीमों को काँग्रेस पार्टी के सभी उम्मीदवारों को विजयी बनाने के लिए हर संभव प्रयास तथा प्रचार करने के लिए उपयुक्त तथा उपयोगी सभी कार्य करने में तत्परता दिखाने का निर्देश भी दिया। मैं इस समाचारपत्र के माध्यम से काँग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह भी बताना चाहता हूँ कि 03 मई 1947 वाली इंटक को तो संजीव रेड्डी कब का तहस-नहस कर चुके हैं और उसके बाद ही उन्होंने 2007 में एक नई इंटक का रजिस्ट्रेशन करवाया और जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 5098 है। बाद में इसी इंटक से ददई दुबे और के के तिवारी अलग होकर अपने आप को इंटक का आका बताने लगे और एक-दूसरे को असली-नकली बताने लगे और इसकी लडाई आज भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है। अब सुना है कि काँग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह जी और मल्लिकार्जुन खडगे जी दोनों ही मिलकर इन सभी नेताओं को एकत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने पहले भी कहा था और आज भी कहा रहा हूँ कि इन तीनों को एकत्रित कर के इनके द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाये गये इंटक को आप एक मजदूर संगठन का रूप मात्र दे सकते हैं, मगर एक राष्ट्रीय महासंघ की शक्ल कभी नहीं दे सकेंगे। क्योंकि किसी राष्ट्रीय महासंघ का अर्थ होता है मजदूर संगठनों का संगठन और जबकि संजीवा रेड्डी द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाये गये इंटक को सिर्फ एक मजदूर संगठन का रूप मात्र दिया जा सकेगा। मात्र भारतीय राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस (इंटक) को एक फेडरेशन के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाया गया है। काँग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह भी समझना होगा कि विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने के बावजूद काँग्रेस जितनी तेजी से भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर छाई थी उतनी तेजी से सिमटती भी जा रही है। 2014 में केंद्र की सत्ता में आने से पहले भाजपा मात्र 7 राज्यों में सत्ता में थी लेकिन देश में मोदी सरकार बनने के बाद से भाजपा का विजय रथ इतनी तेजी से दौड़ा कि मार्च 2018 तक देश के 21 राज्यों में भाजपा की सरकारें बन गयीं और देश की 70 प्रतिशत आबादी पर भाजपा का शासन है। यह तब्दीली रातोंरात नहीं हुई है और ना ही राम मंदिर, तीन तलाक या गौ हत्या से हि इसका कोई लेना देना है। सच पूछियेगा तो इसका सबसे बड़ा कारण है भारतीय मजदूर संघ। भारतीय मजदूर संघ भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। आज भारतीय मजदूर संघ की कुल सदस्यता दस करोड़ के आसपास आंकी जाती है। यानि कि इस दस करोड़ की सदस्यता को जोडियों से ही परिभाषित किया जाता है तो भी यह संख्या बीस करोड़ यानि कि भारतीय मतदाताओं की कुल संख्या की बाईस प्रतिशत आंकी जा सकती है। और जबकि संजीवा रेड्डी की तरफ से पिछले पंद्रह सालों से इंटक की कुल सदस्यता साढ़े तीन करोड़ के आसपास होने का ढिंढोरा पीटा जाता है यानि कि इस साढ़े तीन करोड़ की सदस्यता को जोडियों से ही परिभाषित किया जाता है तो भी यह संख्या सात करोड़ यानि कि भारतीय मतदाताओं की कुल संख्या की आठ प्रतिशत आंकी जा सकती है। मगर ऐसा नहीं है।संजीव रेड्डी सरासर झूठ बोलते हैं। दस साल पहले कांग्रेस के कोटे से राज्यसभा सांसद रहते हुये डॉ. जी. संजीव रेड्डी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी की आर्थिक नीतियों पर ही सवाल उठाए थे। उस समय उन्होंने कहा था कि आज मालिक और सरकार एक हो गए हैं और मजदूर व कर्मचारी अलग हो गया है। आज सरकारों को पैसा चाहिए। हजारों करोड़ का मुनाफा कमाने वाली कंपनियां श्रमिकों को 5000 से ज्यादा तनख्वाह नहीं देते। आज सरकार की आर्थिक नीतियों से गरीबी और अमीरी के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। नरेगा ने गरीबी को एक जगह रोका जरूर है लेकिन इससे गरीबी कम नहीं हुई है। 15 साल में आर्थिक नीतियों से इस देश में श्रमिक व कामगार का जीना मुहाल हो गया है। जीडीपी बढ़ रही है तो गरीबी भी बढ़ रही है। मेरा मानना है कि इंटक काँग्रेस यह पार्टी का श्रम संगठन है तो इसे पार्टी के निर्देशों के नीचे ही काम करना चाहिए। मगर उस समय संजीवा रेड्डी ने कहा था कि श्रमिकों के मुद्दों को लेकर इंटक लड़ाई जारी रखेगा। सभी ट्रेड यूनियनों ने मिलकर संघर्ष करने का फैसला किया है। इंटक का कांग्रेस के नीचे काम करना मजबूरी नहीं है, यह स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है और न तो कांग्रेस इंटक का मालिक होता है, न ही इंटक कांग्रेस का फ्रंटियल ऑर्गेनाइजेशन है।कांग्रेस में मजदूर संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) की राजनीति हमेशा विवादों में रही है। दरअसल पिछले कई सालों से इंटक के तीन और गुट सक्रिय हो गये हैं। जी. संजीवा रेड्डी की राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस (इंटक) के साथ भारतीय राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस (इंटक) का मुकाबला तो था ही मगर इसके साथ-साथ पिछले कई सालों से इंटक के दो गुट सक्रिय रहे हैं। यह गुट पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी और ददई गुट के नाम से चर्चित रहा है। गुट के मान्यता को लेकर मामला कोर्ट में लंबित है। जहां तक जी. संजीवा रेड्डी की बात है, तो वे शुरू से ही वर्किंग कमिटी में शामिल होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके गुट को मान्यता मिली है। केवल नाम रख लेने से मान्यता नहीं मिल जाती है। मान्यता तो कोर्ट देगा। संजीवा रेड्डी सेटिंग करके सदस्य हो जायें, तो बात अलग है। जबतक कोई निर्णय नहीं आता है, तबतक सभी गुट कांग्रेस पार्टी के लिए ही काम कर रहे हैं।