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वाहन मालिकों का भाड़ा खा कर डकार चुकी ट्रांसपोर्टर कंपनियां नए रूप में आ रही है सामने कोयला क्षेत्र आम्रपाली में वाहन मालिकों को फिर से ठगने की हो रही है साजिश

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*कोयला क्षेत्र आम्रपाली में वाहन मालिकों को फिर से ठगने की हो रही है साजिश*

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***मंडल प्रभारी बबलू खान की रिपोर्ट प्रदेश खबर टंडवा***

*वाहन मालिकों का भाड़ा खा कर डकार चुकी ट्रांसपोर्टर कंपनियां नए रूप में आ रही है सामने*

 

*हिंडाल्को ने भी बदला पैंतरा,एनआईए की रडार पर आयी कंपनी की जगह अन्य कंपनी के जिम्मे कोयला ढुलाई का काम*

 

*एक प्रमुख राजनीतिक दल का वरदहस्त है प्राप्त,दो नेता हैं इसके रहनुमा*

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यूं तो टंडवा कोयलांचल को एशिया महादेश में सबसे बड़ी परियोजना माना गया है। बड़ी बड़ी कंपनियों और सरकारी परियोजनाओं में प्रति माह करोड़ो टन कोयले की आपूर्ति होती है। यहां के कोयले से देश के कई हिस्से रोशन हो रहे हैं। इस कोयले के खेल में एक ओर जहां सीसीएल मालामाल हुई वहीं स्थानीय *दलाल किस्म के नेताओ* ने भी खूब मालपुए खाये और आज भी खा रही है। ठगे गए सिर्फ यहां के बेरोजगार युवा। स्थानीय लोगों की हालत बद से बदतर हो गयी है। रोजगार के लिए बेरोजगार युवाओं ने खेत-घर बेचकर कोयला ढोने के लिए ट्रक व हाइवा खरीदा। वह भी स्थानीय बिचौलियाद की दलदल में फंस गया और विभिन्न ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों के पास करोड़ो का भाड़ा भुगतान फंस गया। हालात यह हो गए कि कई हाइवा मालिको के वाहन फाइनेंसर खींच कर ले गए और कईयों ने आत्महत्या तक कर ली। आश्चर्यजनक तथ्य यह रहा कि जिनके कारण यह हालत पैदा हुए,वह कोई बाहरी नहीं थे,बल्कि स्थानीय लोग थे। कोयला के खेल में एक शब्द है *लिफ्टर* ! *लिफ्टर* उस कंपनी का प्रतिनिधि होता है जो सीसीएल से कोयला खरीदती है। इसी कोयला को ट्रकों-हाइवा में लोड कर गंतव्यों तक भेजा जाता है। लिफ्टर का कार्य कोई स्थानीय व्यक्ति ही करता है। पूर्व में ऐसे ही स्थानीय लोगों के द्वारा वाहन मालिकों को सब्ज़बाग दिखाए गए,फिर भाड़ा हड़प कर मरने के लिए छोड़ दिया गया। इन कंपनियों में सबसे ऊपर नाम आता है *हिंडाल्को* का। नक्सली राज (टीएसपीसी) में हिंडाल्को समेत कई कंपनियों ने नक्सलियों और पुलिस पदाधिकारियों से संरक्षण प्राप्त किया। इस एवज में इन दो संस्थानों को लेवी व रिश्वत की रकम से जमकर *नवाजा* गया। हिंडाल्को का काम देख रहे एक प्रमुख राजनीतिक दल के दो नेताओं ने *लिफ्टर* की भूमिका निभाई। बाद में कोल परियोजना क्षेत्र में हुई *राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)* की इंट्री ने नक्सली समर्थक कारोबारियों की नींद उड़ा दी। कई उसके रडार में आये और जेल भेज दिए गए। इस पूरे प्रकरण में सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह रहा कि जिन कंपनियों पर *एनआईए* की गाज गिरी और ट्रक मालिको का भाड़ा हड़प बैठे। उसके कर्ता धर्ता दूसरी कंपनी बनाकर पुनः कोयला के खेल में शामिल हो गए हैं। इनका साथ भी वही स्थानीय लोग दे रहें,जो पहले भी ठगी का धंधा कर चुके हैं यानी लिफ्टिंग और ट्रांसपोर्टिंग का काम। *हिंडाल्को* के इस नए खेल में किसी *शर्मा-वर्मा जी* का नाम सुर्खियों में है और ठग नेता सहयोगी की भी भूमिका में….

 

 

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