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पद्मश्री ममता चंद्राकर के बस्तरिहा नाच मोर ताल मा…… झूमे दर्शक

राजिम। राजिम माघी पुन्नी मेला के दूसरे दिन मुख्यमंच पर पद्मश्री ममता चंद्राकर के चिन्हारी कार्यक्रम में दर्शक जमकर झूमे। छत्तीसगढ़ी पारंपरिक गीतों में खूब तालियां बटोरी। दूसरे दिन मुख्यमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत लोकमाया के संरक्षक महेश वर्मा व सहयोगी कलाकारों की प्रस्तुति रही। मंच पर अपने नृत्य और गीत का ऐसा छाप छोड़ा कि देखने वाले दर्शक देखते ही रह गए। उन्होंने एक से एक नए गीत की प्रस्तुति मंच पर दी, उनके कई गीतों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति झलक रही थी। लोकमाया परिवार के कलाकारों द्वारा सबसे बेहतरीन प्रस्तुति बस्तरिहा नाच मोर ताल मा…… धूम मचा दिया। इस गीत को सुनकर दर्षक भी खूब तालिया बजाई इसके बाद कर्मा नृत्य, विवाह गीत, जैसे अनेक गीत की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया।
मंच पर कार्यक्रम की अगली कड़ी में छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध चिन्हारी के पद्मश्री ममता चन्द्राकर का प्रस्तुति ही। अपने पुराने स्टाइल में विवाह के गीत ऐ मोर दाई सीता ला बिहावे राजा राम… की प्रस्तुति दी। अपने आवाज के जादू से दर्शको को अंत तक बांधे रखा। चिन्हारी परिवार के द्वारा तोर सुरता मा संगी गीत सुन दर्शक भी गुनगुनाने लगे। मुख्यमंच मंच पर ममता रूपी बादल छाया हुआ था जिसमें एक से बढ़कर एक गीतों की बौछारे के साथ लुप्त हो रही नाचा देवार गीत, मड़ई संस्कृति आदि को मंच के माध्यम से लोगो तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। उसके बाद उनका सबसे प्रसिध्द गीत तोर मन कैसे लागे राजा की प्रस्तुति ने तो दर्शको में एक नई ऊर्जा भर दी। प्रेम चन्द्राकर द्वारा निर्मित फिल्म के गीत को छत्तीसगढ़ी स्वर कोकिला ममता चन्द्राकर के द्वारा तोर मया के मारे…. जिंदगी के नई ए ठिकाना…. जैसे एक से बढ़कर एक छत्तीसगढ़ गीतों… ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी के साथ सुआ गीत, गौरी गौरा नृत्य की प्रस्तुति दी गई जिसे देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। कलाकारों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा किया गया। मंच संचालन निरंजन साहू द्वारा किया गया।

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