
Ambikapur : मानवजीवन का परमोद्देश्य आत्मसाक्षात्कार : स्वामी सत्यानन्द…………
मानवजीवन का परमोद्देश्य आत्मसाक्षात्कार : स्वामी सत्यानन्द…………
पी0एस0यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// अग्रसेन भवन में चल रहे सप्त दिवसीय संतसम्मेलन के पांचवें दिन सोहम पीठाधीश्वर श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज (वृन्दावन) ने कहा कि हमारे जीवन का परम उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार करना अर्थात अपने वास्तविक स्वरूप को जानना है।या यों कहें संसार सागर से पार होना है।।इसलिये हमें अपने कल्याण के विषय में सदा ही विचार करते रहना चाहिए। मानव जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह बार बार प्राप्त हो ही जाए ये आवश्यक नहीं है। अतः मैं कौन हूँ? यह संसार क्या है? जीव और माया क्या है? परमात्मा से मिलन कैसे संभव हो इसीके बारे में चिंतन करते रहना चाहिए। और महापुरुषों के सानिध्य में जाकर एवं गीता, रामायण भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन करते हुए इन सभी प्रश्नों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। सत्संग में रामायणी स्वामी ज्ञानानंद जी ने रामचरित से महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिया। प्रणवानंद, प्रज्ञानंद जी ने भागवत से रसिक कथा श्रवण कराई। नारायणानंद व अरुण स्वरूप ने भी सत्संग से लोगों को आनंदित किया।