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राम कीर्तन की गूंज और दीया की रोशनी से कोरिया हुआ राममय

राम कीर्तन की गूंज और दीया की रोशनी से कोरिया हुआ राममय

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कोरिया/ बैकुंठपुर के प्राचीन मंदिर देवराहा बाबा में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ पड़े थे। मन्दिर की साफ- सफाई लगातार की जा रही थी। मानो 22 जनवरी दीपावली हो! घर, परिसर को साफ-सफाई के साथ चारो ओर मंगल भवन, अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ, अजिर बिहारी राम सिया राम, जय जय राम की धुन सुनाई पड़ रही थी।

पीले चावल से आमन्त्रण
राम भक्तों द्वारा इस उत्सव में शामिल होने के लिए घर-घर जाकर शगुन के तौर पर पीले चावल देकर आमन्त्रण किए थे। बैकुंठपुर वासियों ने सुबह से प्रभात फेरी निकालकर पूरे शहर को आस्था, विश्वास व राममय से सराबोर किए थे। बच्चे, महिलाएं व बुजुर्गों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिली। जगह-जगह भंडारा का आयोजन भी किया गया था।

बैकुंठपुर के प्रेमाबाग, खरवत, सोनहत में आयोजित रामोत्सव के अवसर पर जिलेवासी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिए। प्रेमाबाग के खुले मैदान और चारो तरफ आम के वृक्षों के बीच बड़ी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से अयोध्या में भगवान श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा का सीधे प्रसारण का आयोजन किया गया था, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे! जैसे ही प्राण प्रतिष्ठा का रस्म पूरा हुआ तो फटाखे फोड़े गए और जय सियाराम के जयघोष गूंजने लगी।

राम का सकल पसारा
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे एक बुजुर्ग ने कबीर के राम के बारे में बताते हुए जानकारी दी कि एक राम दशरथ का बेटा,.एक राम घट-घट में लेटा; एक राम का सकल पसारा, एक राम सभी से न्यारा इनमें कौन-सा राम तुम्हारा! कबीर साहब के गुरु ने उन्हें बताया कि जिसकी आँख पर जैसा चश्मा चढ़ा होता है, उसको भगवान का वैसा ही रूप दिखाई देता है।

प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
कोई परमात्मा को ‘ब्रह्म’ कहता है; कोई ‘परमात्मा’ कहता है; कोई ‘ईश्वर’ कहता है; कोई ‘भगवान’ कहता है। लेकिन अलग-अलग नाम लेने से परमात्मा अलग-अलग नहीं हो जाते। इसलिए जो राम दशरथ जी का बेटा है, वही राम घट घट में भी लेटा है; उसी राम का सकल पसारा है; और वही राम सबसे न्यारा भी है। इन चारों में कोई भेद नहीं है। यह चारों एक ही है।” कबीर जी को उस दोहे का अर्थ अच्छे से गुरू जी ने समझा दिया।

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मानस मंडली ने किया भावविभोर-
जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मानस मंडलियों द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के विभिन्न लीलाओं के बारे में बताया गया। प्रभु श्रीराम के बाल लीलाओं व 14 बरस वनवास काल व राज्याभिषेक के सारगर्भित जानकारी दी तो माता जानकी की त्याग, भाई भरत के प्रेम को रामायण मंडलियों ने सुनाया तो श्रोताओं के आखंे भीगने लगे।

विभिन्न वर्गों में भी खुशियां
रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न वर्गों ने विचार साझा करते हुए कहा 42 वर्षीय बैकुंठपुर निवासी मोहम्मद आसिफ का कहना है यह गंगा-जमुनी पर बसे हुये एक ऐसे देश है जहाँ हर मजहब के लोग एक दूसरे के पर्व में शामिल होते है। अयोध्या में श्रीराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होना भी हम सबके लिए गौरव की बात है।

कोरियावासी 65 वर्षीय श्रीमती काजबन निशा कहती है, अल्लाह हो या ईश्वर नाम अनेक हो सकते हैं, लेकिन वे तो सिर्फ मोहब्बत कराना सिखाया है, एक-दूसरे का मदद करने की बात बताया है। इस उम्र में यह देखने का अवसर मिल रहा है कि अयोध्या में भगवान राम का प्राणप्रतिष्ठा हो रहा है। इससे हम बहुत खुश है। हम तो बचपन से ईद-दीपावली एक साथ मनाते आए हैं। हमारे देश के लोग एक दूसरे को गले लगाकर, मोहब्बत के साथ आगे बढ़े यही चाहती हूँ।

44 वर्षीय श्री सतपाल सिंह सलूजा मनेन्द्रगढ़ निवासी का कहना है, इस देश के कण-कण में राम बसे है! यह सद्भाव का देश है, ऐसे में अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हो रहे है वे किसी धर्म के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर है। हमे गर्व है कि इस देश की संस्कृति और आस्था इससे और मजबूत होगी।

11 हजार आकर्षक दीपों ने मन को मोहा
प्रेमाबाग के प्राचीन मंदिर में करीब 11 हजार दीयों से अयोध्या मंदिर की तर्ज पर सजाया गया था। जो मन को मोह लिया साथ ही रंगोली से प्रभु राम और माता सीता की खुबसूरत तस्वीर भी तैयार की थी।
प्राण प्रतिष्ठा एवं रामोत्सव के अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष, कलेक्टर विनय कुमार लंगेह, पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल, नगरपालिका अध्यक्ष,जनपद अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कोरियावासी उपस्थित थे।

Ashish Sinha

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