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बढ़ती महंगाई ने किया बदहाल जीना हुआ अब मुहाल: सुनील सिंह

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जिला कांग्रेस कमेटी ने आज बढ़ती महंगाई पर पत्रकार वार्ता आयोजित कर केंद्र की सरकार को जमकर कोसा जिला प्रवक्ता सुनील सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानते हुए बिंदुवार महंगाई को लेकर कई बातें रखें और कहां
मोदी सरकार के 7 साल हर वर्ष वस्तुओं के दाम दुगुने से अधिक हुये है। पेट्रोल और डीजल के दाम लगभग दुगुने हो गये।
रसोई गैस के दाम दुगुने हो गये।
दवाईयों के दाम दुगुने हो गये।
खाद्य तेलों के दाम दुगुने हो गये।
खाद्य पदार्थों के दाम दुगुने हो गये।
सड़क परिवहन, रेल यात्रा के दाम दुगुने हो गये।
सब्जियों के दाम दुगुने हुये।
खेती के उर्वरकों के दाम बढ़े।

एक तरफ खाद्य पदार्थो के दाम बढ़े, दूसरी ओर किसानों की आमदनी घटी, खाद्य पदार्थो के दाम बढ़ने का फायदा बिचौलियों को मिला किसानों को नहीं।
खाद्य तेलों के दाम पिछले दो वर्ष में लगभग दुगुने हुये है।
देश में खाद्य तेल का सबसे बड़ा निर्माता मोदी के प्रिय गौतम अडानी है।
आप समझ सकते हैं खाद्य तेल के दामों को बढ़ने का सबसे ज्यादा फायदा अडानी को हो रहा।

एक तरफ तो महंगाई बढ़ी, दूसरी तरफ मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण लोगों की कमाई घटी, रोजगार के संसाधन घटे, नौकरियां गयी, नोटबंदी जीएसटी से व्यापार-व्यवसाय तबाह हुये। कोरोना जैसी महामारी में मोदी सरकार की अकर्मण्यता के कारण इलाज और दवाईयों में लोगों की जमा पूंजी, जमीन जायदाद खत्म हो गया।

कोरोना से बचेगी तो महंगाई से मरेगी जनताः कांग्रेस
कोरोना के बाद महंगाई भी राष्ट्रीय आपदा साबित होने जा रही है।पेट्रोल-डीज़ल, रसोई गैस और मिट्टी तेल के दाम रोज़ बढ़ा रहें हैं
नरेंद्र मोदी।
खाने के तेलों के दाम दोगुने हो गए, रसोई पर बोझ अभी और बढ़ेगा।
जब जनता की जेब में पैसा डालना चाहिए नरेंद्र मोदी जेबों पर डाका डाल रहे हैं।

पिछले डेढ़ साल से भारत की जनता कोरोना महामारी की मार झेल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अदूरदर्शी और जनविरोधी नीतियों ने कोरोना की बीमारी के समय में जीवन को और कठिन बनाया है. चाहे वह अचानक किया हुआ लॉकडाउन हो, अस्पतालों से लेकर ऑक्सीजन तक का इंतज़ाम हो या फिर वैक्सीन की नीति, हर जगह नरेंद्र मोदी सरकार विफल दिखाई देती है।
गलत नीतियों और व्यवस्था बनाने में विफलता की वजह से लाखों लोगों की जानें चली गई हैं। लाखों परिवार में कमाई करने वाला मुखिया ही चल बसा है. उद्योग और कारोबार ठप्प होने से रोज़गार का संकट पैदा हो गया है।
ऐसे समय में नरेंद्र मोदी की सरकार देश में महंगाई बढ़ाने में लगी हुई है. पेट्रोल, डीज़ल और केरोसिन के दाम हों या गैस सिलेंडर के, खाने के तेल की क़ीमतें हों या फिर साधारण बीमारियों में काम में आने वाली दवाओं की, हर चीज़ लगातार महंगी होती जा रही है।
हमें लगता है कि कोरोना महामारी से किसी तरह बच गए लोग अब महंगाई नाम की महामारी की चपेट में आने वाले हैं।
एक राष्ट्रीय आपदा के बाद एक और राष्ट्रीय आपदा देश में आ गई है और इसके लिए ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
आश्चर्य नहीं है कि किसी समय रसोई गैस की क़ीमत में पांच-सात रु की बढ़ोत्तरी होने पर गले में सिलेंडर टांगकर प्रदर्शन करने वाले भाजपा के नेता इस समय अनावश्यक विवादों के ज़रिए जनता का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम की वजह से पेट्रोल, डीज़ल की क़ीमत बढ़ने पर साइकिल पर सवार होकर सड़क पर उतरने वाले रमन सिंह इस समय फ़र्ज़ी दस्तावेज़ दिखाकर लोगों को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई षडयंत्र हो रहा है।
दरअसल महंगाई नरेंद्र मोदी सरकार का असली षडयंत्र है और यह अपने प्रिय कोरोबारियों और उद्योगपतियों की जेबें भरने का तरीक़ा है।
जिस समय कांग्रेस के हमारे नेता राहुल गांधी जी लोगों को जेबों में पैसा डालने की बात कर रही है, जिस समय छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार लोगों के जेबों में कई योजनाओं से पैसे डाल रही है, उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की सरकार लोगों के जेबों पर डाका डालने में लगी हुई है।
कच्चा तेल सस्ता फिर भी बढ़ रही पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें।

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केंद्र की मोदी सरकार के 7 सालों के कुशासन में पेट्रोल व डीजल के दामों में अविवेकपूर्ण बढ़ोत्तरी की है।
अप्रैल 2014 में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत 103 डॉलर प्रति बैरल थी. तब मनमोहन सिंह जी देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल के दामों को बढ़ने नहीं दिया. उस समय पेट्रोल की कीमत 72 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 55 रुपए प्रति लीटर थी।
आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमत 69.15 डॉलर प्रति बैरल है। जबकि स्थानीय स्तर पर पेट्रोल की कीमतें 92.76 रुपए प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत 92.38 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई है।
देश के कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए से भी ज्यादा हो गई है।
मई महीने में ही पेट्रोल-डीज़ल के दाम में 16 बार बढ़ोत्तरी की गई और जून महीने में भी यह सिलसिला जारी है।
सालों में क्रूड आयल की कीमतों में 36 प्रतिशत की कमी आयी है उसके बाद भी पेट्रोल के दामों में 31 प्रतिशत की और डीजल के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
पिछले सिर्फ एक साल में 30 मई 2020 से 30 मई 2021 के बीच पेट्रोल की कीमत में 18/- प्रति लीटर एवं डीजल की कीमत में 19/- प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है.
2014 में जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर थी ,जो कि वर्तमान में 32.90 रुपए प्रति लीटर है
2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपए प्रति लीटर थी जो वर्तमान में 31.80 रुपए प्रति लीटर है
ऽ यानी कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल लगभग चार गुना एक्साइज ड्यूटी बढ़ायी गयी जबकि डीजल पर 10 गुना से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई
पेट्रोल और डीजल में टैक्स वृद्धि से केंद्र सरकार के राजस्व संग्रहण में 459 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आम आदमी के जेब पर डाका डालकर मोदी सरकार अपना ख़जाना भरने में लगी हुई है।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट रूप से बताया था कि भारतीय जनता पार्टी के पिछले 7 साल के शासन काल में घरेलू रसोई गैस की कीमत दुगनी हो गई है।
1 मार्च 2014 को (14.2 KG) एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपए प्रति सिलेंडर थी जबकि आज सिलेंडर की कीमत 880.50 रुपए प्रति सिलेंडर पहुंच गई है।
सिर्फ वर्ष 2021 में ही घरेलु गैस सिलेंडर की कीमतों में 225 रुपए की बढ़ोतरी की गई है।
ज़ाहिर है कि रसोई घर पर सिर्फ़ गैस सिलेंडर की क़ीमतों का बोझ दोगुना हो गया है।
केरोसिन यानी मिट्टीतेल को ग़रीबों का ईंधन माना जाता है। जो लोग रसोई गैस नहीं ख़रीद पाते उनके लिए मिट्टीतेल ही सहारा होता है।
मिट्टीतेल की कीमत मई 2020 में 13.96 रुपए प्रति लीटर थी जबकि आज इसकी क़ीमत 30.38 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी है. यानी केरोसिन की कीमत दुगने से भी ज्यादा बढ़ चुकी है। गरीबों के लिए सर्वाधिक जरूरत केरल की होती है जिसके दर सर्वाधिक हो जाने से गरीबों का जीना दूभर हो गया है।
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल में खाद्य तेलों के दामों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस मूल्यवृद्धि ने खाद्य तेलों जैसे मूंगफली तेल, सरसों तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम आयल के मूल्य वृद्धि के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. वनस्पति के दाम भी इसी तरह से बढ़े हैं।
अगर सरसों तेल की बात करें तो मई 2020 में 1 लीटर सरसों तेल का दाम 90 रुपए प्रति लीटर था जो आज बढ़कर 200 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गया है, मतलब दुगुने से भी ज्यादा है।
इसी प्रकार पिछले साल 100 से 110 रुपए प्रति लीटर बिकने वाले दूसरे खाद्य तेलों की क़ीमतें वर्तमान में 200 तक पहुंच गई हैं।
खाद्य तेलों की कीमतों में इस असामान्य वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।
कोरोना के बाद अब महंगाई की राष्ट्रीय आपदाहो गई है।
पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि से परिवहन महंगा हो जाता है यह सब जानते हैं।
यानी आने वाले दिनों में सब्ज़ी भाजी से लेकर राशन पानी तक सबका परिवहन महंगा होगा और क़ीमतें बेतहाशा बढ़ेंगीं।
यानी आने वाले दिनों में रसोई गैस, मिट्टी के तेल, खाने के तेल के अलावा सब्ज़ी भाजी और राशन भी और महंगे दामों में मिलने वाला है।
इसका मतलब साफ़ है कि नरेंद्र मोदी जी ने सारे इंतज़ाम कर दिए हैं कि भारत की जनता कोरोना के मार से उबरने से पहले ही महंगाई की चपेट में आ जाए।
नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं बता रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम अगर नहीं बढ़ रहे हैं तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं।
क्यों सरकार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपना खज़ाना भरने में लगी हुई है।
पत्रकार वार्ता के दौरान जिला महामंत्री जितेंद्र गुप्ता, सुरेश सोनी, उपाध्यक्ष लालसाय मिंज,पूरनचंद जायसवाल ब्लॉक प्रवक्ता विकास अंबस्ट,राम बिहारी यादव, नीरज तिवारी, युवक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल भारती, विभु जायसवाल, अन्य उपस्थित थे।

Ashish Sinha

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