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प्रदेश में मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियों से अकाल मृत्यु के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के द्वारा !

प्रदेश में मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियों से अकाल मृत्यु के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के द्वारा !

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पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के द्वारा राष्ट्रपति भारत सरकार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर संरक्षित बैगा जनजाति के जीवन की रक्षा के लिए इस विषय में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। जिसमें बड़े आहत मन से मैं आपका ध्यान छत्तीसगढ़ की संरक्षित अनुसूचित जन जाति, बैगा जनजाति जिन्हें महामहिम राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। जिनको भारत के राष्ट्रपति द्वारा विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। छत्तीसगढ़ में इस बैगा जनजाति की दुर्दशा पर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। चिंता का विषय है कि राज्य के कवर्धा जिले में बैगा जनजाति मलेरिया और डायरिया जैसी बीमारियों की चपेट में है, जिसके कारण सोनवाही गांव, ग्राम पंचायत-झलमला, पोस्ट-चिल्फी, तहसील-बोडला में 5 लोगो की मौतें भी हो गयी है। इसके अलावा ग्राम-बाहना खोदरा एवं समीप के गांवो में भी कुछ लोगो की मौत की खबरे सामने आई है। दुर्भाग्यजनक है कि राज्य सरकार पीड़ितो के बचाव और इलाज करवाने के बजाय मामले को दबाने और मौतों को नकारने में लगी है। 

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राज्य सरकार की अकर्मण्यता के कारण बैगा संरक्षित जनजाति के जीवन के ऊपर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। मैं स्वयं प्रभावित क्षेत्रों में 13 जुलाई को गया था वहां पर मलेरिया से बचाव के लिये लोगों को मच्छरदानी तक राज्य सरकार उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। लोग कुएं का दूषित पानी पी रहे है। जिससे पूरे क्षेत्र में डायरिया फैला हुआ है। कुएं के पानी का वाटर ट्रीटमेंट भी सरकार नहीं करवा रही है। गांव के लोगों से बातचीत करने पर पता चला की वहां पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिया जाने वाली राशन सामाग्री का भी वितरण नहीं किया जा रहा है। क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्र झलमला में चिकित्सकां की पदस्थापना नहीं है, दवाईयों का आभाव है तथा समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है। 

महामहिम राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाली बैगा जनजाति के लोगों की अकाल मृत्यु मलेरिया डायरिया जैसी बीमारियों से होना चिंता का विषय है। इस पूरे मामले आपका हस्तक्षेप आवश्यक है, ताकि इस संरक्षित जनजाति की जीवन रक्षा की जा सके।

Ashish Sinha

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