
गंगा मैली, घोटाला खेला! 42,500 करोड़ डूबे, टीएस सिंह देव ने खोली मोदी सरकार की पोल
नमामि गंगे: 11 साल बाद भी अधूरा सपना, टीएस सिंह देव ने उठाए गंभीर सवाल
अंबिकापुर। गंगा सफाई के नाम पर मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। पूर्व मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “नमामि गंगे योजना” सिर्फ प्रचार का हिस्सा बनकर रह गई है, जबकि गंगा नदी की स्थिति पहले से भी बदतर हो चुकी है।
टीएस सिंह देव का ट्वीट और केंद्र पर निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने अपने आधिकारिक ट्विटर (X) हैंडल से केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “मोदी जी, आपको गंगा मां ने बुलाया या आपने गंगा मां को भुलाया? बजट 42,500 करोड़, लेकिन 11 साल में सिर्फ 45% खर्च! यूपी-बिहार में गंगा अब भी गंदगी से भरी है, STP फेल हो चुके हैं। नमामि गंगे सिर्फ एक चुनावी नारा बनकर रह गया है।”
इस ट्वीट के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने सरकार से जवाबदेही की मांग की है, जबकि भाजपा इसे महज “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” करार दे रही है।
बजट और खर्च में भारी विसंगति
टीएस सिंह देव ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नमामि गंगे योजना के तहत 42,500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन 11 साल में सिर्फ 45% राशि ही खर्च हो पाई। इतना ही नहीं, सरकार ने 876 करोड़ रुपये का ‘क्लीन गंगा फंड’ तो इकट्ठा किया, लेकिन इसका 57% धन आज भी बेकार पड़ा हुआ है।
अधूरे प्रोजेक्ट्स और नालों की गंगा में बहती गंदगी
इस योजना के तहत 38% प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं और 39% सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) या तो पूरे नहीं हुए या फिर सही से काम नहीं कर रहे। सबसे चिंताजनक स्थिति उत्तर प्रदेश में है, जहां 75% नालों का गंदा पानी बिना शुद्ध किए सीधे गंगा में जा रहा है। बिहार और पश्चिम बंगाल में भी अधिकांश STP या तो फेल हो गए हैं या आधे-अधूरे हालत में हैं।
एनजीटी की रिपोर्ट और बढ़ता प्रदूषण
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया कि वाराणसी में गंगा का जल नहाने लायक भी नहीं है। इसके अलावा, 2024 में गंगा में प्लास्टिक प्रदूषण में 25% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि जल की पारदर्शिता केवल 5% रह गई है।
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गंगा ग्राम योजना भी विफल
गंगा किनारे बसे गांवों को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के लिए चलाई गई “गंगा ग्राम योजना” भी नाकाम साबित हुई है। 85% फंड अभी भी बेकार पड़ा हुआ है और 78% वनीकरण प्रोजेक्ट अधूरे हैं।
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सिंह देव का आरोप: सिर्फ प्रचार, कोई ठोस काम नहीं
टीएस सिंह देव ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार सिर्फ बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि गंगा की सफाई के नाम पर सिर्फ कागजी योजनाएं बनाई गई हैं। उन्होंने कहा, “अगर सरकार सही मायनों में गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध होती, तो 11 साल बाद भी यह स्थिति नहीं होती।”
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आगे की राह
गंगा सफाई अभियान की इस दुर्दशा पर विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार को घेरा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को अब पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ इस योजना को आगे बढ़ाने की जरूरत है। टीएस सिंह देव ने केंद्र से मांग की है कि गंगा सफाई अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्वतंत्र एजेंसियों की मदद ली जाए और सभी अधूरे प्रोजेक्ट को जल्द पूरा किया जाए।
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टीएस सिंह देव के ट्वीट ने एक बार फिर नमामि गंगे योजना की असलियत उजागर कर दी है। 11 सालों में हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा आज भी मैली है। आंकड़े बताते हैं कि इस दिशा में किए गए प्रयास नाकाफी हैं और सरकार की नीयत पर भी सवाल उठते हैं। अब देखना यह है कि क्या मोदी सरकार इन आरोपों के जवाब में कोई ठोस कदम उठाती है या फिर “नमामि गंगे” केवल एक चुनावी नारा बनकर रह जाता है।