
शिक्षा को बढ़ावा: सरकार की योजनाओं से बच्चों को मिल रही निर्बाध पढ़ाई
शिक्षा को बढ़ावा: सरकार की योजनाओं से बच्चों को मिल रही निर्बाध पढ़ाई
राजनांदगांव, 13 मार्च 2025। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। कमजोर वर्ग एवं वंचित समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल बच्चों को पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है, बल्कि उनके समग्र विकास में सहायक बनना भी है।
नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक योजना
शिक्षा के प्रसार और समाज के हर वर्ग तक इसे पहुंचाने के लिए सरकार ने नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक योजना लागू की है। जिले में कक्षा 1 से 10 तक के सभी शासकीय, अशासकीय एवं अनुदान प्राप्त विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक प्रदान की जा रही है। इससे अभिभावकों को आर्थिक राहत मिली है और बच्चों की पढ़ाई बाधित होने की समस्या समाप्त हो रही है।
नि:शुल्क गणवेश योजना
शिक्षा के प्रति समानता का भाव विकसित करने और विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को नि:शुल्क गणवेश दिया जा रहा है। यह योजना सरकारी विद्यालयों एवं मदरसों में लागू है। इस पहल से कमजोर वर्ग के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिली है।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा: सरस्वती साइकिल योजना
राज्य सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नि:शुल्क सरस्वती साइकिल योजना संचालित कर रही है। इस योजना के तहत 9वीं कक्षा में प्रथम बार प्रवेश लेने वाली अनुसूचित जाति, जनजाति एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बालिकाओं को नि:शुल्क साइकिल दी जाती है। शिक्षा सत्र 2024-25 में जिले की 6,538 पात्र बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिला है। इससे न केवल छात्राओं की विद्यालयों तक पहुंच आसान हुई है, बल्कि उनकी शिक्षा में नियमितता भी आई है।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना: पौष्टिक भोजन से बच्चों का विकास
सरकार शिक्षा के साथ ही बच्चों के पोषण पर भी ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के अंतर्गत जिले की 1,206 शासकीय एवं अनुदान प्राप्त प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में पढ़ने वाले 89,308 बच्चों को गर्म एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के संचालन की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को दी गई है, जिससे स्थानीय महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
वर्तमान में 791 प्राथमिक शालाओं में 52,576 तथा 415 अपर प्राथमिक शालाओं में 36,732 बच्चे मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस योजना के तहत 2,644 रसोइयों द्वारा भोजन तैयार किया जाता है। अब तक जिले में 6,943 न्योता भोज आयोजित किए गए हैं, जिनमें 4,44,821 बच्चों ने भाग लिया है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य और उपस्थिति दर में सकारात्मक सुधार देखने को मिला है।
पीएमश्री योजना के तहत उन्नत स्कूल
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिले में 40 स्कूलों को पीएमश्री योजना में शामिल किया गया है। इन स्कूलों में बच्चों को आधुनिक तकनीकों से लैस शिक्षा दी जा रही है। अधोसंरचना को भी बेहतर बनाया गया है, ताकि छात्र एक उत्तम वातावरण में सीख सकें। स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, खेल सुविधाएं एवं स्वच्छता सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
पालकों की भागीदारी: मेगा पालक बैठक का आयोजन
शिक्षा में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जिले के 1,336 विद्यालयों में तीन बार मेगा पालक बैठक आयोजित की गई। इन बैठकों में कुल 34,289 अभिभावकों ने भाग लिया। इनमें से 16,756 पालक प्राथमिक शालाओं, 9,837 पूर्व माध्यमिक शालाओं, 1,670 हाई स्कूलों और 6,026 पालक हायर सेकेंडरी स्कूलों की बैठकों में शामिल हुए। इन बैठकों में शिक्षा की गुणवत्ता, बच्चों की उपस्थिति, पाठ्यक्रम और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
आंगनबाड़ी केंद्रों को बनाया जा रहा बालवाड़ी
नई शिक्षा नीति के तहत जिले के 267 प्राथमिक शालाओं में आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाड़ी के रूप में विकसित किया गया है। इन केंद्रों में 5 से 6 वर्ष की उम्र के 1,437 बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई करवाई जा रही है। शिक्षकों द्वारा प्रतिदिन दो घंटे तक बच्चों को रोचक गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाया जाता है। शाला के एक कक्ष को विशेष रूप से प्रिंट-रिच बनाकर पढ़ाई को अधिक आकर्षक बनाया गया है। इससे प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने में मदद मिली है।
शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव
राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं के कारण शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार देखा जा रहा है। नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक, गणवेश, साइकिल, पौष्टिक भोजन और आधुनिक सुविधाओं से युक्त विद्यालयों के कारण बच्चों की पढ़ाई सुगम और निरंतर बनी हुई है। अभिभावकों पर आर्थिक भार कम हुआ है और बच्चों की विद्यालयों में उपस्थिति बढ़ी है।
सरकार के इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इससे न केवल बच्चों का भविष्य संवर रहा है, बल्कि समाज भी शिक्षित और सशक्त बन रहा है।