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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005: पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005: पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित

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राजनांदगांव,20 मार्च 2025। कलेक्टर संजय अग्रवाल की उपस्थिति में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारियों एवं जनसूचना अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम की गहराई से जानकारी देना, इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मार्गदर्शन करना और पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करना था।

इस कार्यशाला में राज्य सूचना आयोग के अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अधिकारियों को आरटीआई से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं और इसके डिजिटल स्वरूप से होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला। इस दौरान अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय, संयुक्त कलेक्टर शीतल बंसल, एसडीएम खेमलाल वर्मा, जिला जनसूचना अधिकारी एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

सूचना का अधिकार अधिनियम: लोकतंत्र का सुरक्षा कवच
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कार्यशाला में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लोकहित में अत्यंत महत्वपूर्ण कानून है, जो नागरिकों को सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में नागरिकों को सरकार से जुड़ी जानकारियाँ प्राप्त करने का कानूनी अधिकार होता है, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होती है।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आरटीआई अधिनियम की पूरी जानकारी रखें और किसी भी सूचना को संकलित करके न दें, बल्कि जिस रूप में जानकारी उपलब्ध हो, उसी स्वरूप में प्रदान करें। उन्होंने इस अधिनियम को एक सुरक्षा कवच बताते हुए कहा कि यह न केवल नागरिकों को सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार देता है, बल्कि सरकारी तंत्र को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में भी सहायक है।

समयसीमा के भीतर आवेदन निपटाना जरूरी
कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे निर्धारित समय सीमा का पालन करते हुए आरटीआई आवेदनों का प्राथमिकता से निराकरण करें। उन्होंने कहा कि कार्यालयों में सूचना के अधिकार से संबंधित फाइलें व्यवस्थित और संधारित रहनी चाहिए ताकि किसी भी समय आवश्यक सूचना आसानी से उपलब्ध कराई जा सके।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी व्यक्ति के लिए आरटीआई आवेदन की गई सूचना अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है, इसलिए अधिकारियों को संवेदनशीलता के साथ मामलों का निराकरण करना चाहिए। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को इस विषय पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया और सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

आरटीआई से जीवन में आ सकता है सकारात्मक परिवर्तन
राज्य सूचना आयोग के अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा ने कार्यशाला के दौरान कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण कानून है। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत नागरिक सरकारी विभागों से किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते वह जानकारी अधिनियम में निर्धारित प्रतिबंधों के अंतर्गत न आती हो।

उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन से आम नागरिकों को सरकार के कार्यों में भागीदारी का अवसर मिलता है, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि आरटीआई ऑनलाईन होने से अब यह कार्य अधिक सुगमता और कुशलतापूर्वक किया जा सकेगा। इसके लिए सभी अधिकारी-कर्मचारी एवं आवेदनकर्ता पंजीकरण करा सकते हैं।

उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि आरटीआई के तहत प्राप्त आवेदनों का अधिकतम 30 दिनों में निराकरण करना अनिवार्य है। यदि कोई आवेदन अत्यावश्यक है, तो उसमें जवाब देने की प्रक्रिया को और भी तेज किया जाना चाहिए।

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डिजिटल प्रक्रिया से होगी बचत
कार्यशाला के दौरान यह जानकारी दी गई कि आरटीआई के ऑनलाइन होने से नागरिकों को बड़ी सुविधा मिलेगी। अब आवेदनकर्ता को फिजिकल फाइलिंग करने की जरूरत नहीं होगी, जिससे उनकी मेहनत और खर्च दोनों की बचत होगी। डिजिटल माध्यम से आवेदन करने और शुल्क जमा करने की सुविधा नागरिकों को तेजी से सूचना प्राप्त करने में सहायक होगी।

इसके अलावा, ऑनलाइन प्रणाली में आवेदन की स्थिति की निगरानी करना आसान होगा, जिससे पारदर्शिता और बढ़ेगी। डिजिटल प्रणाली के माध्यम से सूचना देने से समय की बचत भी होगी, जिससे सरकारी कार्यालयों पर काम का दबाव कम होगा और नागरिकों को अधिक सुलभ तरीके से सूचना मिलेगी।

सूचना देने की प्रक्रिया में सावधानी बरतने के निर्देश
राज्य सूचना आयोग के अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा ने कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सूचना देने की प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी, आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट और संपत्ति की जानकारी आरटीआई के तहत प्रदान नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा कि सूचना देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि दी जाने वाली जानकारी लोकहित से जुड़ी हो और अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हो। उन्होंने अधिकारियों को यह भी सलाह दी कि वे सूचना के अधिकार से संबंधित मामलों का रिकॉर्ड व्यवस्थित रखें और प्रत्येक आवेदन का विवरण पंजी में दर्ज करें।

बुनियादी सुविधाओं से जुड़े मुद्दों पर दें प्राथमिकता
अतुल वर्मा ने कहा कि लोकहित से जुड़े मुद्दों पर सूचना प्रदान करने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सड़क, राशन और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लें और समय सीमा के भीतर आवेदनों का निपटारा करें।

उन्होंने कहा कि यदि कोई आवेदक दी गई सूचना से असंतुष्ट है, तो वह अधिनियम के तहत प्रथम अपील कर सकता है। यदि प्रथम अपील में भी समाधान नहीं मिलता, तो वह राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर कर सकता है।

संशोधित प्रावधानों की जानकारी दी गई
अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय ने कार्यशाला के दौरान कहा कि राज्य सूचना आयोग के निर्देशानुसार यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम में समय-समय पर संशोधन किए जाते हैं, जिनकी जानकारी अधिकारियों को होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में अधिनियम में जोड़े गए नए प्रावधानों और संशोधनों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

अधिकारियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया
कार्यशाला के दौरान उपस्थित अधिकारियों ने सूचना के अधिकार अधिनियम से जुड़े विभिन्न सवाल पूछे, जिनका समाधान अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा ने किया। उन्होंने अधिकारियों को अधिनियम की प्रक्रियाओं और अपील प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी और उन्हें प्रैक्टिकल उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि आरटीआई आवेदनों का सही तरीके से निपटान कैसे किया जाए।

कार्यशाला में इन अधिकारियों ने लिया भाग
इस अवसर पर संयुक्त कलेक्टर शीतल बंसल, एसडीएम खेमलाल वर्मा, जिला जनसूचना अधिकारी और संयुक्त कलेक्टर हितेश्वरी बाघे, संयुक्त कलेक्टर सरस्वती बंजारे, मास्टर ट्रेनर कैलाश चंद्र शर्मा, मास्टर ट्रेनर दीपक सिंह ठाकुर सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

यह कार्यशाला सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। इसने अधिकारियों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और उन्हें डिजिटल माध्यम से सूचना प्रदान करने की प्रक्रिया से अवगत कराया। कार्यशाला से प्राप्त जानकारी अधिकारियों को अपने दायित्वों का निर्वहन बेहतर तरीके से करने में सहायक होगी, जिससे आम नागरिकों को सही समय पर सटीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

Ashish Sinha

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