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कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला: मंकी फीवर के मुफ्त इलाज की सुविधा, जागरूकता और रोकथाम पर विशेष जोर

कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला: मंकी फीवर के मुफ्त इलाज की सुविधा, जागरूकता और रोकथाम पर विशेष जोर

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बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने राज्य में मंकी फीवर (Kyasanur Forest Disease – KFD) के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी नागरिकों को इस बीमारी के मुफ्त इलाज की सुविधा देने का फैसला किया है। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत प्रदान करेगा, जहां इस बीमारी के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसके साथ ही सरकार ने जागरूकता अभियान और रोकथाम के उपायों पर भी विशेष ध्यान देने की योजना बनाई है।

क्या है मंकी फीवर (KFD)?

मंकी फीवर जिसे Kyasanur Forest Disease (KFD) भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो टिक्स (Ticks) नामक कीड़ों के काटने से फैलता है। यह बीमारी मुख्य रूप से बंदरों में पाई जाती है, लेकिन संक्रमित टिक्स के संपर्क में आने से इंसानों में भी फैल सकती है। यह बीमारी फ्लाविवायरस (Flavivirus) के कारण होती है और इसमें संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, खून बहने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में यह घातक भी साबित हो सकती है।

सरकार के प्रमुख कदम

कर्नाटक सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

मुफ्त इलाज की सुविधा: सभी सरकारी अस्पतालों में मंकी फीवर से पीड़ित मरीजों को निशुल्क इलाज दिया जाएगा। इसके लिए अलग से बजट भी आवंटित किया गया है।

जागरूकता अभियान: ग्रामीण और वन क्षेत्रों में लोगों को इस बीमारी के लक्षण, बचाव और समय पर इलाज के बारे में जानकारी देने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

टीकाकरण अभियान: प्रभावित क्षेत्रों में इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को तेज किया जाएगा।

रिसर्च और निगरानी: स्वास्थ्य विभाग को बीमारी की निगरानी करने, नए मामलों का पता लगाने और रिसर्च के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

संक्रमण रोकने के उपाय: वन क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले लोगों को सुरक्षा उपायों के बारे में बताया जाएगा और उन्हें उपयुक्त कपड़े पहनने और टिक्स से बचाव के लिए उपाय करने की सलाह दी जाएगी।

राज्य में मंकी फीवर के मौजूदा हालात

कर्नाटक के कुछ जिलों में मंकी फीवर के मामलों में इजाफा देखा गया है, विशेष रूप से पश्चिमी घाट और वन क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक फैल रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में रहने वाले बंदरों के संक्रमित होने के कारण यह बीमारी इंसानों में भी फैल रही है।

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कैसे फैलता है यह संक्रमण?

मंकी फीवर मुख्य रूप से उन लोगों में पाया जाता है जो जंगलों में काम करते हैं या वहां रहने वाले जानवरों के संपर्क में आते हैं। संक्रमित टिक्स के काटने से यह वायरस इंसानों में प्रवेश करता है और कुछ दिनों के भीतर इसके लक्षण उभरने लगते हैं।

मंकी फीवर के लक्षण

मंकी फीवर के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • अचानक तेज बुखार
  • सिरदर्द और कमजोरी
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
  • खून बहने की समस्या (Severe cases में)
  • उल्टी और मतली

कैसे करें बचाव?

चूंकि मंकी फीवर एक टिक्स-जनित बीमारी है, इसलिए इससे बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • जंगलों में जाने से पहले पूरी बाजू के कपड़े और जूते पहनें।
  • टिक्स के काटने से बचने के लिए टिक्स रिपेलेंट (Tick Repellent) का इस्तेमाल करें।
  • संक्रमित क्षेत्रों में रहने के दौरान अपने शरीर को बार-बार चेक करें और यदि कोई टिक्स दिखे तो तुरंत हटा दें।
  • जंगलों में रहने वाले जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
  • किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी को रोकने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की है, जिसमें प्रभावित जिलों में मोबाइल क्लीनिक, दवाओं की आपूर्ति और स्वास्थ्य कर्मियों की विशेष ट्रेनिंग शामिल है। साथ ही, प्रभावित क्षेत्रों में जांच केंद्र बनाए जाएंगे ताकि बीमारी का जल्द पता लगाया जा सके।

राज्य सरकार ने जनता से अपील की है कि वे इस बीमारी के प्रति सतर्क रहें और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा लाभ उठाएं। विशेष रूप से ग्रामीण और वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को किसी भी संदिग्ध लक्षण के दिखने पर तुरंत अस्पताल जाने की सलाह दी गई है।

कर्नाटक सरकार का यह फैसला स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बीमारी से बचाव और इलाज के लिए सरकार ने व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें मुफ्त इलाज, जागरूकता अभियान, टीकाकरण और निगरानी पर जोर दिया गया है। यदि सरकार की इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया गया तो इससे न केवल लोगों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि मंकी फीवर के प्रसार को भी रोका जा सकेगा।

Ashish Sinha

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