
बस्तर पंडुम 2025: बस्तर की संस्कृति, लोकगीत और राम की कथा से जुड़ेगा विकास
बस्तर पंडुम 2025: बस्तर की संस्कृति, लोकगीत और राम की कथा से जुड़ेगा विकास
दंतेवाड़ा में गूंजेगा ‘बस्तर के राम’, डॉ. कुमार विश्वास सुनाएंगे अनुपम कथा
रायपुर, 31 मार्च 2025 बस्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और जनजातीय अस्मिता को सहेजने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित ‘बस्तर पंडुम 2025’ एक नए सांस्कृतिक युग की शुरुआत करेगा। इस भव्य आयोजन का प्रमुख आकर्षण सुप्रसिद्ध कवि और वक्ता डॉ. कुमार विश्वास का “बस्तर के राम” कथा वाचन होगा। यह आयोजन बस्तर क्षेत्र में सांस्कृतिक जागरण और शांति स्थापना के प्रयासों को गति देगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ‘बस्तर पंडुम 2025’ को बस्तर की आत्मा से जुड़ा एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण बताते हुए कहा कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि बस्तर की अस्मिता, आस्था और आकांक्षाओं का उत्सव है। उन्होंने कहा कि ‘बस्तर के राम’ जैसे कार्यक्रम न केवल बस्तर की भूमि को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हैं, बल्कि यह भी सिद्ध करते हैं कि विकास का सबसे सशक्त मार्ग संस्कृति और परंपरा से होकर गुजरता है। मुख्यमंत्री साय ने विश्वास जताया कि यह उत्सव बस्तर को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा और जनजातीय परंपराएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।
बस्तर के राम: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण आयोजन
यह सर्वविदित है कि दंडकारण्य क्षेत्र का रामायण काल में विशेष स्थान रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का एक महत्वपूर्ण भाग दंडकारण्य के घने जंगलों में व्यतीत किया था। यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डॉ. कुमार विश्वास अपनी वाणी में जब राम कथा का वाचन करेंगे, तो इसमें केवल शब्द नहीं होंगे, बल्कि बस्तर के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की भावना भी समाहित होगी। “बस्तर के राम” कार्यक्रम के माध्यम से बस्तरवासियों को अपनी समृद्ध पौराणिक विरासत का अनुभव करने का अवसर मिलेगा।
बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रयास
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित ‘बस्तर पंडुम 2025’ केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह बस्तर की लोकसंस्कृति को सहेजने और उसके संरक्षण-संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस उत्सव में बस्तर की लोककला, संगीत, नृत्य और परंपराओं को विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस आयोजन में बस्तर के लोकगीत, जनजातीय नृत्य, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों की झलक भी देखने को मिलेगी।
बस्तर संभाग के जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से इस उत्सव में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। बस्तर की घोटुल संस्कृति, माड़िया नृत्य, परंपरागत तीरंदाजी प्रतियोगिता और लोकनाट्य प्रस्तुतियां इस महोत्सव को और अधिक भव्य बनाएंगी।
“बस्तर पंडुम” से शांति और विकास की ओर बढ़ता बस्तर
बस्तर क्षेत्र लंबे समय तक सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझता रहा है। हाल के वर्षों में, सरकार ने इस क्षेत्र में विकास और शांति स्थापना के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, सरकार बस्तर को केवल आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध बनाने के प्रयास कर रही है।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने ‘बस्तर के राम’ आयोजन पर कहा कि “बस्तर पंडुम” और “बस्तर के राम” जैसे कार्यक्रम बस्तर क्षेत्र को भारत और विश्व से जोड़ने वाले एक सांस्कृतिक सेतु की तरह हैं। यह कार्यक्रम दर्शाता है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बस्तर क्षेत्र के समग्र विकास का संकल्प अब साकार रूप ले रहा है। बस्तर क्षेत्र अब गर्व से साक्षी बन रहा है कि हिंसा का अंत संभव है और शांति का मार्ग संस्कृति से होकर गुजरता है।
सरकार की इस पहल से न केवल बस्तर की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन और निवेश के लिए भी आकर्षक बन सकेगा।
बस्तर के विकास की नई दिशा
‘बस्तर पंडुम 2025’ के आयोजन के साथ ही सरकार बस्तर क्षेत्र को एक नई दिशा देने की योजना बना रही है। इसके तहत, बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने और बस्तर की कला और संस्कृति को व्यापारिक स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इसके साथ ही, स्थानीय हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा देने की योजना है, जिससे बस्तर क्षेत्र के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। पारंपरिक बस्तर कला, लकड़ी और धातु शिल्प, बस्तर की प्राचीन चित्रकला और जनजातीय आभूषणों को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाने की योजना है।
उद्घाटन समारोह में “बस्तर के राम” का विशेष आयोजन
बस्तर पंडुम 2025 के उद्घाटन समारोह के तहत “बस्तर के राम” कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम 3 अप्रैल को शाम 6 बजे आयोजित किया जाएगा, जिसमें उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी शामिल होंगे।
डॉ. कुमार विश्वास, जो अपनी प्रभावशाली वाणी और काव्य-पाठ के लिए प्रसिद्ध हैं, इस विशेष आयोजन में श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास और बस्तर से उनके संबंधों पर प्रकाश डालेंगे। उनकी कथा केवल पौराणिक महत्व को ही नहीं, बल्कि बस्तर के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को भी उजागर करेगी।
बस्तर पंडुम से जुड़ने का अवसर
बस्तर पंडुम 2025 न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए एक अनूठा अवसर लेकर आ रहा है। यह आयोजन न केवल बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देगा, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिष्ठित करेगा।
इस महोत्सव में देश-विदेश से पर्यटक और शोधकर्ता भी भाग लेंगे, जो बस्तर की कला, संस्कृति और इतिहास को करीब से जानने का अवसर प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर अब संस्कृति के माध्यम से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। इस प्रकार, “बस्तर पंडुम 2025” न केवल बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने का प्रयास है, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और प्रगति का भी एक नया अध्याय साबित होगा।