
राजस्व निरीक्षक दौल राम ठाकुर को किया निलंबित, विभागीय जांच के आदेश
राजस्व निरीक्षक दौल राम ठाकुर को किया निलंबित, विभागीय जांच के आदेश
महासमुंद, 02 अप्रैल 2025: महासमुंद जिले में प्रशासनिक अनुशासन को सख्ती से लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने राजस्व निरीक्षक दौल राम ठाकुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उनके विरुद्ध विभागीय जांच भी संस्थित की गई है। यह निर्णय उनके अनुशासनहीनता व कर्तव्य पालन में लापरवाही के कारण लिया गया है।
राजस्व निरीक्षक दौल राम ठाकुर, जो कि राजस्व निरीक्षक मंडल शेर एवं बरोंडा बाजार, तहसील महासमुंद में पदस्थ थे, उन्हें बिना पूर्व सूचना एवं सक्षम अधिकारी की अनुमति के अनाधिकृत रूप से अवकाश पर रहने के कारण कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। परंतु उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महासमुंद द्वारा जारी नोटिस का संतोषजनक उत्तर प्रस्तुत नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने उनके विरुद्ध तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की।
दौल राम ठाकुर का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन माना गया है। इस नियम के तहत सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल पर अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना आवश्यक होता है।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत उनकी निलंबन की प्रक्रिया पूरी की गई है। साथ ही, उनके विरुद्ध विभागीय जांच भी प्रारंभ कर दी गई है, जिसमें उनके विरुद्ध लगे आरोपों की विधिवत जांच की जाएगी।
निलंबन के दौरान दौल राम ठाकुर का मुख्यालय तहसील कार्यालय सरायपाली को नियत किया गया है। इस अवधि में उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों के तहत जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।
राजस्व निरीक्षक दौल राम ठाकुर के निलंबन के बाद उनके प्रभार का पुनर्वितरण किया गया है। राजस्व निरीक्षक मंडल शेर का अतिरिक्त प्रभार अब राजस्व निरीक्षक महेश बंजारे (राजस्व निरीक्षक मंडल सिरपुर) को सौंपा गया है। वहीं, राजस्व निरीक्षक मंडल बरोंडा बाजार का अतिरिक्त प्रभार मनीष श्रीवास्तव (राजस्व निरीक्षक मंडल महासमुंद) को दिया गया है।
कलेक्टर विनय कुमार लंगेह द्वारा की गई यह कार्रवाई प्रशासनिक अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस प्रकार की कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि शासकीय कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस निलंबन की कार्रवाई से प्रशासनिक महकमे में हलचल मच गई है। यह कदम अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि शासकीय सेवा में लापरवाही और अनुशासनहीनता को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब यह देखना होगा कि विभागीय जांच में आगे क्या निष्कर्ष निकलते हैं और इस मामले का अंतिम परिणाम क्या होगा।