
LIC-Adani Mega Scam: ₹32,000 करोड़ के निवेश पर कांग्रेस हमलावर, JPC/PAC जांच की मांग
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के बाद विवाद: कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 'मोदानी जॉइंट वेंचर' के तहत LIC ने अडानी समूह में ₹32,000 करोड़ का निवेश किया। पार्टी ने इसे 'मेगा घोटाला' बताकर JPC/PAC जांच की मांग की है। LIC और अडानी ग्रुप ने आरोपों को 'बेबुनियाद' बताया।
अडानी-LIC निवेश विवाद: कांग्रेस ने ‘मोदानी महाघोटाला’ बताकर JPC/PAC जांच की मांग की, LIC और अडानी ग्रुप का खंडन
नई दिल्ली: भारतीय राजनीति और कॉर्पोरेट जगत के सबसे चर्चित मामलों में से एक, अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित संबंधों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार (25 अक्टूबर 2025) को आरोप लगाया कि अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग किया गया।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और कांग्रेस का आरोप
- रिपोर्ट का दावा: ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने एक पड़ताल में दावा किया कि इस साल की शुरुआत में जब गौतम अडानी भारी कर्ज में डूबे थे और कई यूरोपीय व अमेरिकी बैंक कर्ज देने से झिझक रहे थे, तब मोदी सरकार ने अडानी की मदद के लिए एक बड़ा प्लान तैयार किया। रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत एलआईसी से 3.9 अरब डॉलर यानी क़रीब ₹32,000 करोड़ रुपये का निवेश अडानी समूह के कारोबार में करवाया गया।
- कांग्रेस का हमला: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे ‘मोदानी जॉइंट वेंचर’ बताते हुए एक्स (X) पर पोस्ट किया और इसे ‘मेगा घोटाला’ करार दिया।
- जांच की मांग: कांग्रेस ने मांग की है कि इस ‘मोदानी महाघोटाला’ की जांच संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा की जानी चाहिए। इससे पहले, पार्टी ने कहा कि संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को इसकी जांच करनी चाहिए कि एलआईसी को अडानी ग्रुप में निवेश के लिए कथित रूप से कैसे मजबूर किया गया।
LIC और अडानी ग्रुप का खंडन
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट और कांग्रेस के आरोपों के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और अडानी समूह दोनों ने ही इन दावों का जोरदार खंडन किया है:
- LIC का खंडन:
- एलआईसी ने रिपोर्ट को ‘गलत, बेबुनियाद और सत्य से कोसों दूर’ बताया।
- एलआईसी ने स्पष्ट किया कि निवेश संबंधी फैसले वह स्वतंत्र रूप से लेती है। ये फैसले बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार और विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद लिए जाते हैं।
- एलआईसी ने यह भी स्पष्ट किया कि वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय का ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं है। कंपनी ने आर्टिकल में बताए गए किसी भी कथित सरकारी प्लान या डॉक्यूमेंट को बनाने से इनकार किया।
- अडानी ग्रुप का खंडन:
- अडानी समूह ने भी वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से इन्कार किया है।
- कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह इस तरह की किसी भी कथित सरकारी योजना में शामिल नहीं है।
अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के समय से ही लंबे समय से रिश्ते होने का आरोप लगता रहा है। 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अडानी समूह पर शेयरों की कीमतों में हेरफेर और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। सेबी ने सितंबर 2025 में कुछ आरोपों को खारिज किया, जबकि कुछ अन्य मामलों की जांच अभी भी लंबित है।












