
दिव्यांगों की आवाज़ को मिला मंच: भोपाल में पहली बार हुआ ‘दिव्यांग संवाद’, सचिव डॉ. अजय खमारिया ने सुनीं समस्याएँ
भोपाल में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा पहली बार “दिव्यांग संवाद” कार्यक्रम आयोजित — सचिव डॉ. अजय खमारिया ने दिव्यांग प्रतिनिधियों से सीधा संवाद किया, पेंशन, रोजगार और नीतियों पर हुई चर्चा।
दिव्यांगों की आवाज़ को मिला मंच – भोपाल में पहली बार हुआ ऐतिहासिक ‘दिव्यांग संवाद’
भोपाल। सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग, भोपाल में शुक्रवार 7 नवम्बर 2025 को एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत हुई। पहली बार राज्यभर के दिव्यांगजन एक ही मंच पर इकट्ठा हुए और अपनी समस्याओं, अपेक्षाओं व सुझावों पर सीधे विभागीय अधिकारियों से संवाद किया। इस कार्यक्रम को “दिव्यांग संवाद” नाम दिया गया, जिसने न केवल संवेदनशील शासन-प्रशासन की नई दिशा दिखाई, बल्कि दिव्यांग समाज के भीतर आत्मविश्वास और उम्मीद की नई लौ भी प्रज्ज्वलित की।
संवाद का नेतृत्व तरुण सिंह कुशवाह ने किया
कार्यक्रम का संचालन और नेतृत्व तरुण सिंह कुशवाह द्वारा किया गया। संवाद के मुख्य अतिथि रहे नव नियुक्त सचिव डॉ. अजय खमारिया, जिन्होंने दिव्यांग जनों से सीधे बात करते हुए उनकी समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना। डॉ. खमारिया ने कहा कि,
“सरकार की प्राथमिकता है कि दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में समान अवसरों के साथ जोड़ा जाए। आपकी हर बात हमारे लिए नीति निर्माण का आधार बनेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि विभाग की योजनाएँ तभी प्रभावी होंगी, जब लाभार्थियों की वास्तविक ज़रूरतें और अनुभव सीधे सामने आएँ।
दिव्यांग जनों ने रखीं अपनी बातें खुले मन से
संवाद सत्र के दौरान अलग-अलग जिलों से आए दिव्यांग प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएँ और सुझाव खुले मन से रखे।
मुख्य बिंदुओं में —
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दिव्यांग पेंशन में वृद्धि,
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रोज़गार और स्व-रोज़गार के अवसरों का विस्तार,
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दिव्यांगता प्रतिशत से जुड़ी प्रमाणन प्रक्रिया का सरलीकरण,
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और शिक्षा व स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स की सुलभता शामिल रही।
प्रतिनिधियों ने यह भी सुझाव दिया कि दिव्यांग युवाओं के लिए अलग से उद्यमिता प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएँ, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
आयुक्त महोदय का सकारात्मक रुख
संवाद के दौरान उपस्थित आयुक्त सामाजिक न्याय विभाग ने सभी बिंदुओं को गंभीरता से सुना और कहा कि विभाग सभी सुझावों पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कुछ नीतिगत सुधार किए जाएँगे ताकि दिव्यांग जनों को योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल सके।
आयुक्त ने यह भी आश्वासन दिया कि —
“प्रत्येक सुझाव पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी और विभागीय समीक्षा बैठकों में इन पर अमल सुनिश्चित किया जाएगा।”
प्रदेशभर से आए प्रतिनिधियों की सहभागिता
इस संवाद में भोपाल, नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा, रायसेन, छिंदवाड़ा, और बैतूल सहित अनेक जिलों से दिव्यांग प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने कहा कि यह पहली बार है जब सरकार ने उन्हें “सुनने” का अवसर दिया है, न कि केवल “बताने” का।
प्रतिनिधियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह संवाद वास्तव में “दिव्यांग सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम” है।
दिव्यांग समाज के लिए उम्मीद की नई किरण
इस आयोजन से यह स्पष्ट संदेश गया कि सरकार अब दिव्यांग जनों को योजनाओं के केंद्र में रखकर नीति बना रही है। “दिव्यांग संवाद” ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि उनकी आवाज़ अब अनसुनी नहीं रहेगी।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन देते हुए आयोजक तरुण सिंह कुशवाह ने कहा कि यह संवाद केवल शुरुआत है, आने वाले समय में इसे जिला और ब्लॉक स्तर तक विस्तारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि,
“दिव्यांग समाज को अब किसी सहानुभूति की नहीं, बल्कि सम्मानजनक अवसरों की आवश्यकता है। यह संवाद उसी दिशा में हमारा सामूहिक प्रयास है।”
आगे की राह
कार्यक्रम के बाद विभाग ने घोषणा की कि प्राप्त सुझावों के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जो राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। साथ ही, हर छह महीने में “फॉलोअप संवाद” आयोजित किया जाएगा ताकि लिए गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा हो सके।
यह पहल मध्यप्रदेश में दिव्यांग कल्याण के क्षेत्र में सामाजिक समावेश और जवाबदेही की नई परंपरा की शुरुआत मानी जा रही है।










