छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

रायपुर : शिक्षक दिवस के अवसर पर विशेष लेख : शिक्षकों के नवाचार से कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए मिले बेहतर विकल्प

रायपुर : शिक्षक दिवस के अवसर पर विशेष लेख : शिक्षकों के नवाचार से कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए मिले बेहतर विकल्प

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

ललित चतुर्वेदी, उप संचालक

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.26.21 AM
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.07.47 AM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.51.38 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.47.11 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.40.50 PM
ABHYANTA DIWAS new (1)_page-0001

रायपुर, 04 सितम्बर 2021छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के नवाचार और सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से शिक्षा की जोत को प्रज्ज्वलित कर प्रदेश के अंतिम छोर तक शिक्षा के पढ़ई तुंहर दुआर नाम से ऑनलाईन और ऑफलाईन तकनीक से बच्चों के लिए शिक्षा में निरंतरता के लिए संगठित रूप से प्रयास किए हैं। कोरोना काल में शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता बनाए रखने के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। गत वर्ष मार्च महीने से स्कूल बंद होने की स्थिति में बच्चों को घर पहुंच शिक्षा उपलब्ध कराने की अनुकरणीय पहल को देशभर में सराहा गया है। प्रदेश के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एक बार फिर यह साबित किया है कि परिस्थितियां चाहें कितनी भी विपरीत क्यों न हो, शिक्षादान के प्रति उनका समर्पण अतुलनीय और अद्वितीय है।
शिक्षकों पर देश के भावी कर्णधारों के जीवन को गढ़ने और उनके चरित्र निर्माण करने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है। शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिससे हम प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ सकते हैं। देश के प्रथम उपराष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब वे भारत के राष्ट्रपति थे तब कुछ पूर्व छात्रों और मित्रों ने उनसे अपना जन्मदिन मनाने का आग्रह किया। उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा कि यह बेहतर होगा कि आप इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए। इसके बाद 5 सितम्बर को हमारे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शिक्षक शिक्षा और ज्ञान के जरिये बेहतर इंसान तैयार करते है, जो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते है। हमारे देश की संस्कृति और संस्कार शिक्षकों को विशेष सम्मान और स्थान देती है। गुरू शिष्य के जीवन को बदलकर सार्थक बना देता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से किए गए वादे को न केवल निभाया है, बल्कि अमलीजामा पहनाना भी शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पहली बार बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार प्रदान किया है। राज्य निर्माण के बाद पहली बार लगभग 15 हजार शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र की वैधता की 7 वर्ष की अवधि को विलोपित करते हुए, इसे आजीवन कर दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मियों का पंचायत शिक्षक और शिक्षिका के रूप में संविलियन किया गया। महतारी दुलार योजना के अंतर्गत कोरोना महामारी से मृत व्यक्तियों के बेसहारा बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ ही छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। योजना के तहत कक्षा पहली से आठवीं तक 500 रूपए प्रतिमाह और कक्षा 9वीं से 12वीं तक 1000 रूपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति दी जाएगी। इस योजना के तहत निजी स्कूलों के बच्चों को भी महतारी दुलार योजना का लाभ मिलेगा। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस सरकार द्वारा वहन की जाएगी। ऐसे बच्चे उसी निजी स्कूल में या स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल में अपनी इच्छानुसार पढ़ सकेंगे।
प्रदेश में शिक्षा के वर्तमान परिवेश की जरूरत को ध्यान में रखते हुए बेहतर बनाने का प्रयास प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में भी अब अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को निजी स्कूलों की तरह शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 171 स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू किए गए हैं। यह राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के गुरूजनों के प्रति विश्वास का प्रतीक है कि हमारे गुरूजन अंग्रेजी माध्यम के जरिए ग्रामीण अंचल के बच्चों को भी बड़े-बड़े शहरों में स्थित प्रायवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा-दीक्षा दे सकेंगे।
कोरोना संक्रमण के चलते स्कूली बच्चों को शैक्षणिक गतिविधियां से जोड़े रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने वेब पोर्टल ’पढ़ई तुंहर दुआर’ शुरू किया। यह पोर्टल आज बच्चों को घर पहुंच शिक्षा उपलब्ध कराने का सबसे सशक्त माध्यम बन चुका है। इस वेब पोर्टल का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 7 अप्रैल 2020 को किया था। इस पोर्टल के माध्यम से राज्य के लगभग 2 लाख शिक्षक जुड़े हैं, जो इसके माध्यम से 57 लाख बच्चों तक ज्ञान का प्रकाश पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।
बच्चों को पढ़ाई से निरंतर जोड़े रखने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने आनलाईन पोर्टल ‘पढ़ई तुंहर दुवार’ के साथ ही मोबाइल इंटरनेट विहीन क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा की ऑफलाइन व्यवस्था के तहत लाउडस्पीकर, ‘पढ़ई तुंहर पारा’ और ‘बुलटू के बोल’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सुनिश्चित की है। इससे सुदूर वनांचल के बच्चों को भी पढ़ाई कराई जा रही है। कई शिक्षक स्वेच्छा से अपने आसपास की परिस्थितियों के आधार पर बच्चों की शिक्षा के लिए नवाचारी उपाय कर रहे हैं।
नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ के आकांक्षी ज़िला नारायणपुर में सामुदायिक सहायता से संचालित पढ़ई तुंहर दुआर योजना को सराहा है। इस विशेष पहल के लिए छत्तीसगढ़ राज्य को 2 बार राष्ट्रीय स्तर पर ई-गवर्नेस अवार्ड से नवाजा गया। यहां ज़िला प्रशासन एवं गांव के युवाओं की मदद से जहां नेटवर्क नहीं है, वहां सामुदायिक भवन, घर के बरामदे में कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए, बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई और ‘मिस कॉल गुरुजी’ के साथ प्रदेश के 7 जिलो बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोण्डागांव, बस्तर में शुरू हुए खास अभियान को शिक्षकों ने अपनाया। इसके अंतर्गत गत वर्ष कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों को अगस्त माह से नवंबर माह तक प्रारंभिक भाषा शिक्षण में दक्ष बनाने का प्रयास किया। जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन नही था और पढ़ई तुंहर दुआर से वंचित थे, ‘मिस कॉल गुरुजी’ छात्रों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुआ। दुर्ग जिले के 200 स्कूलों में ‘हर घर स्कूल’ नामक अभियान संचालित किया गया, जिसमें दुर्ग ब्लॉक के 112 तथा पाटन ब्लाक के 88 प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा एवं लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन के माध्यम से संचालित अभियान के तहत बच्चों की भाषाई दक्षता को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम के दूसरे वर्ष की शुरूआत के अवसर पर आयोजित वेबीनार में प्रत्येक जिले से नियमित रूप से कक्षा का संचालन करने वाले 36-36 शिक्षकों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। मंत्री डॉ. टेकाम का कहना है कि कोरोना काल में शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए कई प्रकार के नवाचारों के माध्यम से बच्चों की नियमित पढ़ाई की समस्या का हल ढूंढने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सोच के अनुसार ‘‘मोहल्ला क्लास में जाके पढ़बो, तभे नवा छत्तीसगढ़ गढ़बो’’। यह कार्य सभी नवाचारी शिक्षकों की सक्रियता से ही पूरा होगा।

Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!