
अक्षय नवमी (कुष्मांड, धात्री वृक्ष नवमी) 12 नवंबर 2021आज अक्षय नवमी (कुष्मांड, धात्री वृक्ष नवमी), जानिए विशेषताएं
12 नवंबर: अक्षय नवमी (कुष्मांड, धात्री वृक्ष नवमी)
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी संज्ञा दी गई है।
अक्षय नवमी धात्री नवमी कुष्मांड नवमी आदि भी नाम है।
इस दिन स्नान पूजन तर्पण तथा , दान का अक्षय फल प्राप्त होता है।
यह वर्ष की समस्त नवमी तिथियो मे दान के सुफल के लिए सर्व प्रमुख तिथि है ।.
आंवला वृक्ष के अभाव मे व्यवस्था-
– आंवला वृक्ष के अभाव मे नर्सरी से गमले मे आंवला वृक्ष लेकर पूजा करे।घर मे स्थान के अभाव मे,दशमी तिथि को आंवला वृक्ष उचित स्थान पर रोप सकते है ।
आंवला वृक्ष के अभाव मे उसकी शाखा से भी पूजा कार्य संपादन कर सकते है।
ज्योतिष – किस नाम या राशि वाले अवश्य करे।
तुला एवम मकर राशि, या लग्न वालो को विघ्न बाधा से सुरक्षा के लिए या जिनके नाम त, ख, ज, र, अक्षर से प्रारंभ हो ,उनके लिए यह दिन उपाय के लिए बहुत उपयोगी है।
विधि
-1 संकल्प
प्रातः स्नान के उपरांत दाहिनी हथेली में जल अक्षत पुष्प लेकर संकल्प करें –
अपना नाम ले ,अपना गोत्र, तथा कहें मेरे समस्त पाप नष्ट हो ।धर्म, अर्थ काम ,मोक्ष की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो। श्री विष्णु जी की कृपा या अनुग्रह के लिए मैं धात्री वृक्ष के मूल में विष्णु का पूजन करता हूं ।
ऐसा संकल्प कर जल पृथ्वी पर छोड़ दें ।इस समय मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए।
पांच बार कहें- ओम धात्र्यै नमः।
आमले वृक्ष की जड़ के पास दूध की द्वारा धारा गिराए ।
2- तर्पण( जिनके पिता माता न हो)करे-
दक्षिण में मुख कर पितरों का तर्पण करें( जिनके पिता माता न हो) जल तिल दे।-
मंत्र- पिता पितामह च अन्ये अपुत्रा ये च गोत्रिणा:।
ते पिबुन्तू माया दत्तम धात्री मूले अक्षयम पय:।
आब्रह्म स्तंब परयन्तम देव ऋषि पितृ मानवा: ।
ते पिबुन्तू माया दत्तम धात्री मूले अक्षयम पय:।
3- सूत्र बंधन- कच्चा सूत्,
आंवले के वृक्ष के तने में सूत्र सूत्र लपेटे ।
मंत्र -दामोदर निवासायै धात्री देव्यै नमो नमः ।
सूत्रेण अनेन बंधनम धात्री देवी नमोस्तुते ।
4- आरती-
कपूर, गाय के घी के दीपक से आमले वृक्ष की आरती करें ।
5- प्रदक्षिणा एव ब्राहमण भोज या भोजन सामग्री- 108 या 05,09,11का से कम परिक्रमा कच्चे सूत को वृक्ष तने मे लपेटते हुए।
वृक्ष की प्रदक्षिणा करें।
प्रदक्षिणा का मंत्र- यानि कानि च पापानी जन्मांतर कृतानी च।
तानि सर्वानी नश्यंतु प्रदीक्षण पदे पदे।।
इसके उपरांत आंवले वृक्ष के नीचे ब्राह्मण को भोजन या उसके लिए अन्न दान करें ।
6- पेठा, कुम्हडा – गुप्त दान
एक कुम्हडा ( कुष्मांड) लेकर उसके अंदर रत्न ,चांदी, रुपया आदि रखे। संकल्प करें –
मम अखिल पाप क्षय पूर्वक सुख सौभाग्य आदिनाम उत्तरोत्तर अभिवृद्धिये कुष्मांड दानम अहम करीष्ये।।
इस प्रकार ब्राह्मण को तिलक कर कुष्मांड दे दे
प्रार्थना करें –
कुष्मांडम बहू बीज आढयम ब्रह्मणा निर्मितं ंपुरा ।
दास्यामी विष्णुवे तुभ्यं पितृणाम् तारणाय च।
7-
पितरों के को शीत या ठंड से बचाने के लिए (निवारण करने के लिए) यथाशक्ति कंबल या ऊनी वस्त्र भी ब्राह्मण को देना चाहिए ।