छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

हौसले के आगे दिव्यांगता भी नहीं आती आड़े,दिव्यांग महिला मेट ने पेश की सेवा की अनूठी मिसाल।

रायपुर : हौसले के आगे दिव्यांगता भी नहीं आती आड़े,दिव्यांग महिला मेट ने पेश की सेवा की अनूठी मिसाल

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

रायपुर, 18 फरवरी 2022 हिम्मत, हौसले और जुनून के बल-बूते एक दिव्यांग महिला समाज के लिए वह एक आदर्श बनकर उभरी है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में मैट का काम करने वाली दुर्ग जिले के ग्राम चीचा की सुश्री अनुराग ठाकुर ने ग्रामीणों को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 
दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-चीचा की 34 वर्षीय सुश्री अनुराग ठाकुर एक पैर से दिव्यांग है। उनके परिवार में दो बहनें और एक भाई है। बचपन में ही नियति ने उसके सिर से पिता का साया उठा लिया था। ऐसे में परिवार में बड़ी होने के नाते उसके कंधों पर समय से पहले ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। काफी कोशिशों के बाद उन्होंने अपनी स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। ग्राम पंचायत की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत वर्ष 2012 से वे मेट के रुप में काम कर रही हैं। वह सुबह घर के सभी कामों को निपटाकर महात्मा गांधी नरेगा के कार्यस्थल पर पहुँचती है और मेट के रुप में मनरेगा श्रमिकों को काम आबंटित करके, उनके द्वारा किये गये कामों का हिसाब अपनी मेट-माप पंजी में दर्ज करती हैं। सुश्री अनुराग अपने कार्य में इतनी अधिक कुशल हो गई हैं कि वे अन्य मेट के भांति सभी कामों को सहजता से निपटा लेती हैं। इनके कौशल के सामने इनकी दिव्यांगता कहीं नजर ही नहीं आती।
जीवन के उतार-चढ़ाव को नजदीक से देखने वाली सुश्री अनुराग ने परिवार में बड़े होने की भूमिका का भी बखूबी निर्वहन किया है। उन्होंने विरासत में मिली खेती-बाड़ी को संभालते हुए अपने छोटे भाई-बहनों को पढ़ाया और उनका विवाह भी कराया। सुश्री ठाकुर बताती हैं कि महात्मा गांधी नरेगा से उन्हें काफी संबल मिला। योजना में मेट के रुप में मिलने वाले पारिश्रमिक से वे अपनी आजीविका पहले से बेहतर तरीके से चला पा रही हैं। मेट के कार्य से उन्हें अब तक बतौर पारिश्रमिक एक लाख 67 हजार रुपये मिल चुके हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में मंत्रीपरिषद की बैठक।
      महिला मेट के रुप में सुश्री अनुराग ने महात्मा गांधी नरेगा में चलने वाले कार्यों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए घर-घर महिलाओं से संपर्क करके उनसे काम की डिमांड ली। उनकी सक्रियता के फलस्वरुप वर्ष 2018-19 में 189 महिलाओं को 4 हजार 346 मानव दिवस का रोजगार मिला, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 225 महिलाओं के द्वारा सृजित मानव दिवस 7 हजार 719 हो गया। महिलाओं की भागीदारी का यह सिलसिला वर्ष 2020-21 में भी जारी रहा। इस वर्ष 289 महिलाओं के द्वारा 16 हजार 271 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त किया गया। वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 16 फरवरी की स्थिति में 277 महिलाओं को 5 हजार 430 मानव दिवस का सीधा रोजगार प्राप्त हो चुका है। 
गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और सुराजी गांव योजना से किसानों के जीवन में आया बड़ा बदलाव : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
    सुश्री ठाकुर मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के अलावा, गाँव में महिला स्व सहायता समूह की दीदीयों के साथ भी कार्य करती है। वह स्वयं भी ओम सांईनाथ स्व सहायता समूह से जुड़ी हैं और समूह में लेखापाल की भूमिका निभाती हैं। अपनी लीडरशीप और लेखा संधारण के कौशल के बलबूते उन्होंने गाँव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित 14 महिला स्व सहायता समूहों को परस्पर सक्रिय बनाकर रखा है। इसके अलावा वह सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को सीधे हितग्राही तक पहुँचाने के लिए गांव के निवासियों को जानकारी भी प्रदान करती हैं।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में आज यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से…।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!