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सिसोदिया ने सिर्फ सरकारी खजाने को ही नहीं बल्कि जन विश्वास को भी बड़ा धक्का पहुँचाया है

मनीष सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया गया है। ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी नेता को भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की रिमांड पर भेजा गया हो। पहले भी बहुत नेता जांच एजेंसियों की रिमांड और जेल भेजे गये हैं। लेकिन सिसोदिया बाकी नेताओं से इसलिए अलग हैं क्योंकि शराब घोटाले से भले सरकारी खजाने को सिर्फ हजारों करोड़ का नुकसान पहुँचा हो लेकिन जनता के विश्वास को जो धक्का पहुँचा है उसकी कीमत इन हजारों करोड़ रुपए के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। अन्ना आंदोलन के दौरान रामलीला मैदान में मंच पर बैठे केजरीवाल और सिसोदिया जब भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा बुलंद करते हुए नेताओं की शानो शौकत, उनके बड़े-बड़े सरकारी बंगलों, गाड़ियों के लंबे काफिलों और उनको मिलने वाले तमाम तरह के वित्तीय लाभों पर सवाल उठाते थे और कसम खाते थे तब जनता को लगता था कि यह लोग यदि सत्ता में आये तो सचमुच सुराज लाएंगे।

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आम आदमी पार्टी का जब गठन हुआ तो जनता से तमाम तरह के वादे किये गये थे इसलिए जनता ने प्रचंड समर्थन देकर इन्हें दिल्ली की सत्ता सौंप दी। लेकिन देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उपजी राजनीतिक पार्टी ने भी भ्रष्टाचार के दलदल में अपने पांव रखने शुरू कर दिये। आम आदमी की राजनीति करने का दावा करने वाले नेताओं ने खुद भी बड़े-बड़े सरकारी बंगले, वित्तीय लाभ, परिजनों के लिए सुविधाएं और गाड़ियों के लंबे-चौड़े काफिले ले लिये और सुरक्षाकर्मियों की इतनी बड़ी फौज खुद की सुरक्षा में तैनात कर दी कि पहले से राजनीति में जमे राजनेता इन नये नवेलों के बदले तेवर देखकर हैरान रह गये।

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बहरहाल, दिल्ली की अब जो स्थिति है जरा उसको समझिये। दिल्ली में कुल 33 विभाग हैं जिनमें से 18 मंत्रालय सिसोदिया संभाल रहे थे। सिसोदिया के अंदर जाने का मतलब है कि आधी दिल्ली सरकार अंदर हो गयी है। एक कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में हैं। अन्य मंत्रियों पर भी तमाम तरह के आरोप लग रहे हैं। शराब घोटाला मामले में जिस तरह परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं वह दर्शा रही हैं कि खेल बहुत बड़ा है। सिसोदिया के खिलाफ मामला एक ही हो, ऐसा नहीं है। जासूसी कांड में भी उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गयी है। यानि सिसोदिया यदि रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद जेल भेजे जाते हैं तो उनको लंबा समय वहां गुजारना पड़ सकता है। सत्येंद्र जैन पहले से ही तिहाड़ में हैं। दिल्ली अब देश का एकमात्र ऐसा राज्य हो गया है जिसकी प्रदेश सरकार के दो कैबिनेट मंत्री जेल में हैं। सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल अब भी सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा लेंगे या उनके गुण गाते रहेंगे?

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