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बाल विवाह मुक्त सूरजपुर अभियान के तहत प्रतापपुर में उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

बाल विवाह मुक्त सूरजपुर अभियान के तहत प्रतापपुर में उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

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सूरजपुर, 28 मार्च 2025: आकांक्षी ब्लॉक प्रतापपुर में बाल विवाह मुक्त सूरजपुर अभियान के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला एवं जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कलेक्टर एस जयवर्धन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सूरजपुर नंदिनी साहू के निर्देशानुसार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के तत्वावधान में जनपद पंचायत प्रतापपुर के सभा कक्ष में यह महत्वपूर्ण कार्यशाला संपन्न हुई।

इस कार्यशाला में जिला पंचायत अध्यक्ष चन्द्रमणी पैकरा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतापपुर सुखमनिया आयाम, लाल संतोष सिंह और लालती सिंह मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुविभागीय अधिकारी (रा.) प्रतापपुर ललिता भगत द्वारा की गई। कार्यशाला में विकासखंड के सभी सरपंच, पंच, जनपद पंचायत सदस्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक शामिल हुए।

बाल विवाह रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास

कार्यशाला के दौरान अनुविभागीय अधिकारी (रा.) प्रतापपुर ने अपने संबोधन में बाल विवाह को एक सामाजिक अभिशाप बताते हुए कहा कि इसे रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 मार्च 2024 को ‘बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि बाल विवाह के कारण न केवल बालक और बालिकाओं का भविष्य प्रभावित होता है, बल्कि इससे उनके अधिकारों का भी हनन होता है। बाल विवाह के कारण वे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और सामाजिक तथा शारीरिक रूप से कई समस्याओं का सामना करते हैं।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने जानकारी दी कि सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड में सबसे अधिक बाल विवाह की शिकायतें प्राप्त होती हैं। इसी कारण इस विकासखंड में बाल विवाह की रोकथाम के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर ‘पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति’ का गठन किया गया है, जिसमें ग्राम सचिव को ‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी’ के रूप में नामित किया गया है।

बाल विवाह के दुष्परिणाम और समाधान

कार्यशाला में वक्ताओं ने बताया कि बाल विवाह से बच्चों का समुचित विकास बाधित होता है। न केवल शिक्षा, बल्कि उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। विशेष रूप से कम उम्र में गर्भधारण करने वाली बालिकाओं के बच्चों को कुपोषण और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा रहता है। 18 वर्ष से कम उम्र की माताओं से जन्म लेने वाले शिशु या तो कुपोषित होते हैं या कई बार मृत पैदा होते हैं।

परामर्शदाता जैनेन्द्र दुबे ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। प्रदेशभर में युवा बालक-बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

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चाइल्ड हेल्पलाइन और अन्य सहायता सुविधाएं

चाइल्ड हेल्पलाइन सूरजपुर के परियोजना समन्वयक कार्तिक मजूमदार ने कार्यशाला में उपस्थित लोगों को बताया कि बाल विवाह की किसी भी शिकायत को टोल फ्री नंबर 1098 पर किसी भी समय दर्ज कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि चाइल्ड हेल्पलाइन का नियंत्रण कक्ष सूरजपुर जिला मुख्यालय में स्थित है, जहां 24 घंटे कॉल उठाने की सुविधा उपलब्ध है।

बाल विकास परियोजना अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों से अपील की कि किसी भी परिस्थिति में प्रतापपुर विकासखंड को बाल विवाह से मुक्त कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति बाल विवाह होते हुए देखता है तो वह इसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दे सकता है।

समाज की भूमिका और संकल्प

कार्यशाला में जिला पंचायत अध्यक्ष चन्द्रमणी पैकरा ने कहा कि बाल विवाह को रोकना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में जागरूकता नहीं आएगी, तब तक इस कुरीति को समाप्त करना कठिन होगा। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को शपथ दिलाई कि वे अपने परिवार, समाज, गांव और मोहल्ले में बाल विवाह रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

कार्यशाला के संचालन की जिम्मेदारी विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी अमित भारिया ने निभाई। इस अवसर पर प्रतापपुर विकासखंड के समस्त जनपद पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत के सरपंच एवं पंच, नगर पंचायत प्रतापपुर के वार्ड पार्षद, पुलिस विभाग के कर्मचारी तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक मौजूद रहे।

बाल विवाह रोकने के लिए ठोस कदम

  1. पंचायत स्तर पर समिति गठन: हर ग्राम पंचायत में ‘बाल संरक्षण समिति’ का गठन किया गया है, जो बाल विवाह के मामलों पर नजर रखेगी।
  2. बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी की नियुक्ति: ग्राम पंचायत सचिव को इस पद पर नामित किया गया है, ताकि बाल विवाह की घटनाओं को रोका जा सके।
  3. चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की सुविधा: 24 घंटे उपलब्ध इस हेल्पलाइन पर कोई भी बाल विवाह की सूचना दे सकता है।
  4. सामुदायिक जागरूकता: पंचायतों और गांवों में जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि लोग बाल विवाह के दुष्परिणामों को समझें।
  5. स्कूली शिक्षा को बढ़ावा: बाल विवाह रोकने के लिए लड़कियों को उच्च शिक्षा देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इस कार्यशाला और जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज में बाल विवाह जैसी कुरीति को खत्म करना है। प्रशासन, पंचायत प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और स्थानीय लोग मिलकर इस अभियान को सफल बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बाल विवाह न केवल एक कानूनी अपराध है, बल्कि यह समाज के समग्र विकास में भी बाधक है। इस प्रकार के आयोजन से न केवल प्रशासनिक स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बाल विवाह के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इसे जड़ से समाप्त करने में सहायता मिलेगी।

 

Ashish Sinha

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