
मप्र नगर पालिका संशोधन 2025: अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अब कठिन, जानें नए नियम
मध्यप्रदेश सरकार ने मप्र नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश-2025 लागू किया। अब अध्यक्षों को हटाने के लिए साढ़े चार साल बाद तीन-चौथाई बहुमत और खाली कुर्सी-भरी कुर्सी चुनाव की जरूरत होगी।
नगरीय निकायों पर बड़ा फैसला: अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना अब मुश्किल
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने मप्र नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश-2025 लागू कर नगरीय निकायों से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है। इसके बाद अब नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद कठिन हो गया है।
🔹 अध्यक्षों की कुर्सी पर संकट टला
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पहले अध्यक्षों के खिलाफ दो या तीन साल के कार्यकाल के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था।
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अब यह अवधि साढ़े चार साल कर दी गई है।
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प्रदेश के करीब 80% नगरीय निकायों पर भाजपा या समर्थक पार्षद काबिज हैं।
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कई जगह भाजपा पार्षद ही अध्यक्षों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे थे।
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इस कदम से सरकार और भाजपा संगठन को बार-बार संकट प्रबंधन नहीं करना पड़ेगा।
जानकारों के अनुसार, यह अध्यादेश अध्यक्षों को पार्षदों के दबाव से मुक्त कर उनके कार्यकाल को स्थिरता देने के लिए है। यही कारण है कि कैबिनेट की मंजूरी के अगले ही दिन इसे लागू कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव के नए नियम
| अवधि व बहुमत | पहले के नियम | नए प्रावधान (10 सितम्बर 2025 से) |
|---|---|---|
| कार्यकाल के 2 साल बाद | 2/3 पार्षदों से अविश्वास प्रस्ताव संभव | ❌ लागू नहीं |
| कार्यकाल के 3 साल बाद | 3/4 पार्षदों से प्रस्ताव संभव | ❌ लागू नहीं |
| कार्यकाल के 4.5 साल बाद | — | 3/4 पार्षदों की सहमति जरूरी |
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प्रस्ताव पास होने पर राज्य निर्वाचन आयोग “खाली कुर्सी-भरी कुर्सी” चुनाव कराएगा।
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इसमें जनता ही निर्णय लेगी कि अध्यक्ष पद पर रहेंगे या नहीं।












