
*रायगढ़ की अब तक सबसे बड़ी दुःखद खबर*
?️ *रायगढ़ ने एक महान धार्मिक संत खो दिया*
?️ *रायगढ़ अंचल के प्रख्यात संत जगदम्बा प्रसाद महाराज का दुःखद निधन*
?️ *धर्म क्षेत्र से जुड़े विद्वानों, और नगर वासियों में शोक की लहर*
?️ *97 वर्ष की आयु तक लोगों की सेवा करते रहे, वे ब्रह्मचर्य थे*
रायगढ़ जिले के रियासत काल दौर के समय से रायगढ़ के महान ज्योतिषाचार्य संत जगदम्बा प्रसाद मिश्रा महाराज का आज कोविड से निजी अस्पताल में दुःखद निधन हो गया। वे 24 तारीख को कोविड पॉजिटिव हुए थे और उसी दिन ही उनको निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। 11 दिसंबर 1923 को इलाहाबाद के रामनगर के फोतूपुर गांव में उनका जन्म हुआ था।*
*रायगढ़ के केलो नदी तट पर जगदम्बा आश्रम के नाम से उनका आश्रम बना हुआ जहां वे रहते थे और इनके भतीजे राजनारायण मिश्रा भी वहां रहते हैं और महाराज की देखरेख करते आये हैं। लंबे समय से रायगढ़ के जीतने भी परिवार जिसमें रायगढ़ के अग्रवाल समाज सहित अन्य समाज के लोग शुरू से उनके अनुयायी रहे हैं। वे विशेष कर उनकों ज्योति शिक्षा में महारत हासिल थी और रोजाना उनके पास सुबह से लेकर शाम तक अनेकों पीड़ित अपने परेशानियों को लेकर आते थे। कि किसी की बेटी या बेटा कहीं चला गया हो, किसी का सामान चोरी हो गया हो, कोई बीमार हो, वे दिशा और दिन व शहर का नाम लेकर ये बता देते थे कि उनका परिवार का बच्चा यहां पर है और इतनी तारीख तक मिल जायेगी। इनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक थी। और रायगढ़ में लगभग सभी बड़े धार्मिक व्यक्ति हैं वे इनके अनुयायी रहे हैं। वे भागवत कथा भी करवाते थे।*
*वे 97 साल की उम्र में भी कभी वे बीमार नहीं पड़े, कभी अस्पताल में दाखिल नहीं हुए कभी इनको बीमारी छू तक नहीं पायी। पूराने रायगढ़ शहर के हर नागरिक इनको भली भांति जानता है. वे काफी सम्मानित संत पुरूष थे। कभी भी उन्होंने अपनी प्रसिद्धि का कोई फायदा नही उठाया और ना कभी भी किसी से दान दक्षिणा की मांग की। जो भी इनके दरवाजे आता था हमेशा प्रसन्न होकर जाता था। जगदम्बा महाराज उनकी पीड़ा को शांत करने के लिए उचित मार्ग बताते थे। फिलहाल इनका निधन रायगढ़ अंचल के लिए बहुत बड़ी क्षति है। रायगढ़ ने एक महान धार्मिक संत खो दिया। मंगला क्लाथ संचालक परमानंद अग्रवाल इनको हमेशा अपने पिता से बढ़ कर मानते थे उनको टॉप न्यूज के माध्यम से सूचना मिली तो वे बेहद दुखी हुए । उन्होंने बताया कि जगदम्बा महाराज के द्वारा रामायण, सुबह शाम भजन- किर्तन आश्रम किया जाता था।*
*अभी उनका अंतिम संस्कार और क्रिया कर्म के बारे में अभी कोई रूप रेखा तैयार नहीं हुई है। खबर है कि उनका अंतिम इच्छा बनारस में अंतिम संस्कार की थी