छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यसरगुजा

अम्बिकापुर : अगस्त क्रांति के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी…………….

’जिनके सरबस दान से, हुआ देश आज़ाद, उन्हें कभी मत भूलना, हरदम करना याद’

अगस्त क्रांति के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी…………….

ब्यूरो चीफ/सरगुजा//  अगस्त क्रांति के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्य समिति की ओर से शायर-ए-शहर यादव विकास की अध्यक्षता में केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य बीडीलाल, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह, आशा पाण्डेय व वरिष्ठ साहित्यकार एसपी जायसवाल थे। मां वीणापाणि के सामूहिक पूजन पश्चात् कवयित्री गीता द्विवेदी ने सुंदर सरस्वती-वंदना की प्रस्तुति देकर भक्तिमय परिवेश में कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एसपी जायसवाल ने कहा कि 8 अगस्त 1942 की शाम अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव रखा था। जिसे ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी के ‘करो या मरो’ के नारे से पूरे देश में खलबली मच गई। अंग्रेज़ों के विरूद्ध ज़ोरदार अभियान शुरू हो गया। इसका उद्देश्य देश से अंग्रेज़ी शासन को उखाड़ फेंकना था। विद्वान ब्रह्माशंकर सिंह ने कहा कि 9 अगस्त, 1925 को शहीद-ए-आज़म पं. रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में ‘हिन्दुस्तान प्रजातंत्र संघ’ ने काकोरी कांड को अंजाम दिया था। इसका उद्देश्य अंग्रेज़ों के विरूद्व सशस्त्र संघर्ष हेतु हथियार खरीदना व स्वतंत्रता आंदोलन केा आगे बढ़ाना था।

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

इस कांड की वजह से चारों प्रमुख क्रांतिकारियों- रामप्रसाद बिस्मिल, अश्फाक उल्ला खां, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सज़ा दी गई। शेष को कालापानी और 4 से 14 साल का कारावास हुआ। चूंकि देश की जनता पूरी तरह अंग्रेज़ों के खिलाफ हो चुकी थी और देश पर राज करना अंग्रेज़ों को घाटे का सौदा लग रहा था, साथ ही वे यहां रहना भी नहीं चाहते थे इसीलिए ब्रिटेन की सरकार ने भारत को आज़ाद करने की कवायद की। काव्यगोष्ठी में कवयित्री माधुरी जायसवाल ने देश की स्वतंत्रता अक्षुण्ण रहने की कामना की- हम सबके चेहरों पर सदा मुस्कान रहे, फहराता तिरंगा चांद-तारों के समान रहे, सम्मान, गौरव और स्वाभिमान रहे। मातृभूमि की रक्षा का आव्हान कवयित्री आशा पाण्डेय ने बखूबी किया- कायर कभी न बनना तुम, बहाकर अपना खून-पसीना। अपना कर्तव्य निभाकर तुम, मातृभूमि की रक्षा करना। अभिनेत्री व कवयित्री अर्चना पाठक ने अपने दोहे में वर्तमान भारत को सभी दृष्टि से सुंदर, श्रेष्ठ व सम्पन्न बताया- उत्तम भारत देश है, उत्तम है परिवेश। सुंदर इसकी सम्पदा, सुंदर सभी प्रदेश। कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने भी शुभकामना व्यक्त की- सूरज-चांद-सितारों-सा चमके तेरा नाम, मेरे देश की धरती तुझे सलाम!

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.26.21 AM
WhatsApp Image 2025-09-03 at 7.07.47 AM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.51.38 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.47.11 PM
WhatsApp Image 2025-09-02 at 10.40.50 PM
ABHYANTA DIWAS new (1)_page-0001

देश के स्वतंत्रता-सेनानियों के अप्रतिम त्याग-बलिदान को देखकर वरिष्ठ कवि उमाकांत पाण्डेय का कविमन चीत्कार उठा- आज़ादी के मतवालों ने कीमत बड़ी चुकाई है,कुछ के हिस्से जौहर आया, कुछ ने सूली पाई है! कविवर एसपी जायसवाल ने देश की जनता से इसी प्रकार की बलिदानी भावना आगे भी बनाये रखने की गुजारिश की- भारत मां की क़सम तुम्हे है, भारत को स्वर्ग बनाओ तुम। पड़े ज़रूरत जब देश को अपना शीश चढ़ाओ तुम! कविवर विनोद हर्ष ने आशा और उम्मीद का दीपक हमेशा जलाए रखने की बात कही- मेरे आशा के वृक्ष फिर एक बार फलो। मेरे आशा दीप फिर एक बार जलो! कवयित्री गीता द्विवेदी ने अपने गीत में तिरंगे को भारत की अस्मिता, शान व सम्मान का जीवंत प्रतीक बताया- देशप्रेम में डूबा मन है, वंदे मातरम् गाता है, तिरंगा लहराता है। आन-बान-सम्मान देश का ऊंचा सदा बढाता है। ग़ज़लकार मनव्वर अशरफी ने अपनी राष्ट्रभक्ति व प्रेम को यूं नुमायां किया- वतन से इश्क़ का गुमान रखते हैं, हर वक़्त हथेली पर जान रखते हैं और लहराते तिरंगे पर नाज़ है हमको- हम अपने दिल में हिन्दुस्तान रखते हैं। वरिष्ठ कवि बीडीलाल ने अपनी कविता में स्वतंत्रता-सेनानियों को ऐसा ‘मतवाला’ बताया, जिसे मृत्यु का कोई भय नहीं था- आलिंगन में मृत्यु लगाए विचर रहा है मतवाला। नेता, गांधी, वीर, जवाहर, आज़ाद, भगत, दादा, लाल। चक्रवर्ती, राजर्षि, तिलक भी आए बनकर मतवाला!

सच है लाखों वीरों ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी वीरता की गाथाएं हमेशा गायीं जाएंगी। कवयित्री अंजू पाण्डेय ने कहा कि- सुनो गा़ैर से भगत, राजगुरु, सुखदेव की गाथा जब भी गाई जाती है, रोम-रोम हर्षित हो जाता, आंखें भी भर आती हैं। शायर-ए-शहर यादव विकास ने अपनी उम्दा ग़ज़ल में जहां इंसानियत का संदेश दिया- राहगीरों को अंधेरों से निकलने दीजिए, आशिया मेरा जलता है, जलने दीजिए! वहीं वरिष्ठ गीतकार व संगीतकार अंजनी कुमार सिन्हा का दर्द उनके मार्मिक गीत में छलक पड़ा- या तो ख़ुदा बेरहम हो गया या हैवानियत ही ख़ुदा हो गई। नहीं है अगर बात कोई भी ऐसी, क्यूं इंसानियत की क़ज़ा हो गई! इनके अलावा ब्रह्माशंकर सिंह, अजय श्रीवास्तव, चंद्रभूषण मिश्र, सारिका मिश्रा और निर्मल कुमार गुप्ता ने भी अपनी राष्ट्रभक्तिपूर्ण कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम में एसपी जायसवाल के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा हाल ही में विमोचित दोहा-संकलन- ‘निश्छल के दोहे’ का वितरण सभी साहित्यकारों को किया गया। अंत में, संस्था के अध्यक्ष समर्थ दोहाकार मुकुंदलाल साहू ने अपने दोहे से कार्यक्रम का यादगार समापन किया- जिनके सरबस दान से, हुआ देश आज़ाद, उन्हें कभी मत भूलना, हरदम करना याद। कार्यक्रम का काव्यमय संचालन अंजू पाण्डेय और आभार उमाकांत पाण्डेय ने जताया। इस अवसर पर लीला यादव, गुप्तेश्वर नाथ गुप्ता, बालम सारथी, दिलबर सिंह सहित अन्य काव्यप्रेमी उपस्थित थे।

Pradesh Khabar

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!