
ओबीसी महासभा द्वारा प्रतिमाह दिए जा रहे ज्ञापन का छत्तीसगढ़ में दिखने लगा है असर :-ओबीसी राधेश्याम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में ओबीसी के लिए पृथक से सलाहकार परिषद बनाये जाने के फैसले का ओबीसी महासभा ने किया स्वागत :- ओबीसी राधेश्याम
ओबीसी महासभा द्वारा प्रतिमाह दिए जा रहे ज्ञापन का छत्तीसगढ़ में दिखने लगा है असर :-ओबीसी राधेश्याम
ब्यूरो चीफ/सरगुजा// ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम के निर्देशन में पूरे प्रदेश भर में प्रदेश पदाधिकारी ,संभाग अध्यक्ष ,जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश भर के समस्त पदाधिकारियों के द्वारा विगत दो वर्षों से प्रतिमाह महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को कलेक्टर अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया है, जिसे माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय में 6 सितंबर दिन मंगलवार को भी कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले हुए, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण एवं विकास के लिए पृथक पृथक विभागों के गठन का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, इससे ओबीसी के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का अधिक व्यवस्थित तरीके से क्रियान्वयन हो सकेगा ।आदिवासी सलाहकार परिषद की तरह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ओबीसी के लिए भी पृथक से सलाहकार परिषद का गठन होगा। ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम, संभाग अध्यक्ष मनीष दीपक साहू,संभाग महासचिव नागेंद्र गुप्ता ,संभाग प्रवक्ता आनंदसिंह यादव एवं जिला अध्यक्ष सुरेंद्र साहू ने बताया कि कैबिनेट में लिए गये ऐतिहासिक निर्णय का ओबीसी महासभा स्वागत करता है।
प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधे श्याम,संभाग महासचिव नागेंद्र गुप्ता एवं जिलाध्यक्ष सुरेंद्र साहू ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि ओबीसी महासभा के द्वारा राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के ओबीसी के मुद्दे को लेकर जनवरी 2020 से प्रतिमाह ज्ञापन दिया जा रहा है, जिसमें प्रमुख मुद्दा के रूप में शामिल किया जाता रहा है कि देश में कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पृथक से पिछड़ा वर्ग विभाग संचालित है। छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है जिससे अन्य पिछडे वर्गों के हित संरक्षण एवं संवर्धन की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा सका है। अतः छत्तीसगढ़ राज्य में ओबीसी बहुसंख्यक होने से नाते अन्य पिछड़ा वर्ग का पृथक से विभाग संचालित किया जावे ,ताकि ओबीसी के लिए लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित ढंग से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में 3 वर्ग बनाए गए हैं। राष्ट्रीय जनगणना में इन तीनों वर्गों की दशाओं के आंकड़े एकत्र किए जाने चाहिए। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की जनगणना तो होती है, लेकिन ओबीसी की जनगणना नहीं होती है क्योंकि देश के आजादी के बाद से आज तक राष्ट्रीय जनगणना प्रपत्र के कालम में ओबीसी के लिए पृथक से कोड नंबर नहीं होता है। राष्ट्रीय जनगणना का मकसद भारतीय समाज की विविधता से जुड़े तथ्यों को सामने लाना है, ताकि देश को समझने का रास्ता खुल सकें। इनआंकड़ों का इस्तेमाल नीति निर्माताओं से लेकर समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री ,जनसंख्याविद् और आंकड़ाविज्ञानी करते हैं ।राष्ट्रीय जनगणना में अगर तमाम जातियों के आंकड़े जुटाए जाए तभी जनगणना का मकसद पूरा होता है। छत्तीसगढ़ सरकार से यह अपेक्षा करते हैं कि ओबीसी महासभा द्वारा अभी तक दिए गए अन्य सभी ज्ञापन के मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर पूर्ण करने की महानतम कृपा करेंगे, ताकि छत्तीसगढ़ राज्य में निवासरत बहुसंख्यक समुदाय ओबीसी को प्रजातांत्रिक गणराज्य का वास्तविक सुविधा मिल सके।